Galwan: PLA ने स्वीकारी सच्चाई, तो भड़क उठे चीनी, Social Media पर Indian Embassy को बना रहे निशाना


बीजिंग. गलवान घाटी के खूनी संघर्ष (Galwan Valley Clash) में अपने सैनिकों की मौत को लेकर चीन (China) ने हाल ही में सच्चाई स्वीकारी थी. हालांकि, बीजिंग ने मरने वाले सैनिकों की संख्या काफी कम बताई थी, लेकिन इसके बावजूद चीन के लोग बौखला गए हैं. अपनी इस बौखलाहट में वह भारत (India) के खिलाफ हेट मैसेज, अपशब्द और गाली-गलौज पर उतर आए हैं. इतना ही नहीं, चीन में सोशल मीडिया पर भारत विरोधी संदेशों की बाढ़ आ गई है और भारतीय दूतावास (Indian Embassy) को लगातार निशाना बनाया जा रहा है.

5 सैनिकों की मौत का दावा

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, गलवान घाटी हिंसा पर चीन द्वारा सच्चाई स्वीकारने के बाद भारतीय दूतावास के वीवो (Vivo) अकाउंट को लगातार टारगेट किया जा रहा है. लोग गालियों से भरे मैसेज भेज रहे हैं. बता दें कि PLA डेली न्यूजपेपर में शुक्रवार को चीन ने दावा किया था कि गलवान संघर्ष में उसके चार सैनिक मारे गए थे और एक की रेस्क्यू के दौरान मौत हो गई थी. इस खुलासे के बाद चीन के लोग काफी भावनात्मक हो गए हैं. हालांकि, अपनी सरकार के खिलाफ गुस्सा निकालने के बजाए वह भारतीय दूतावास को निशाना बना रहे हैं.

Viral हो रहीं तस्वीरें

वहीं, चीन की सरकारी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सैनिकों के बारे में अपमानजनक टिप्पणी के लिए एक व्यक्ति को नानजिंग शहर में गिरफ्तार किया गया है. दरअसल, चीन ने सच्चाई स्वीकारने के बाद चालाकी से गलवान संघर्ष के कई वीडियो भी जारी किए हैं. इन वीडियो को लाखों बार देखा जा चुका है. इसके अलावा, चीनी सैनिकों की पुरानी तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर वायरल हुईं हैं. इसके बाद से चीनी नागरिकों की तीखी प्रतिक्रिया भी देखने को मिल रही है. चीनी सैनिकों के मरने से स्थानीय लोगों में गुस्सा इसलिए भी है, क्योंकि उन्होंने दशकों बाद अपने सैनिकों को मरते हुए देखा है.

Global Times ने संभाला मोर्चा

सैनिकों की मौत पर चीन की यूनिवर्सिटी-कॉलेजों में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जा रहा है. वैसे, इसे लेकर कुछ हद तक सरकार के खिलाफ भी बयानबाजी हो रही है. लोग सवाल पूछ रहे हैं कि सरकार ने आखिर इतने दिनों तक यह बात क्यों छिपाई. इन सवालों का जवाब देने के लिए कम्युनिस्ट सरकार और उसका मुखपत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ (Global Times) सामने आया है. अखबार ने अपने संपादकीय में यह बताया है कि आखिर इस सूचना को नौ महीने तक क्यों छिपाया गया.

बताया क्यों छिपाई सच्चाई

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि पिछले साल गलवान घाटी में जो हिंसा हुई थी, उस समय तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए हताहतों का खुलासा करने से बचना जरूरी था. संपादकीय में आगे कहा गया है कि अब जबकि सीमा गतिरोध का दौर समाप्त हो गया है, हमें चीनी सैनिकों के कामों को सार्वजनिक करना चाहिए ताकि सभी चीनी लोग उनके बलिदान को समझ सकें और उनकी प्रशंसा कर सकें. चीन ने गलवान हिंसा के पहले किसी विदेशी सेना के साथ संघर्ष में अपने सैनिकों का बलिदान नहीं देखा है. 1995 और 2000 के बाद जन्म लेने वाले युवा सैनिकों के बलिदान ने देश को झकझोर दिया है.

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