Gautam Gambhir बोले- देश के जवानों की जान ज्यादा अहम, भारत-पाक क्रिकेट बहुत छोटी बात


नई दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी सांसद (BJP MP) और पूर्व स्टार क्रिकेटर गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट को फिर से शुरू करने के विचार का विरोध किया है. गंभीर का मानना है कि जब तक इस्लामाबाद जम्मू एवं कश्मीर में सीमा पार आतंकवाद को बंद नहीं कर देता, तब तक भारत को पाकिस्तान के साथ क्रिकेट नहीं खेलना चाहिए.

‘सैनिकों का जीवन ज्यादा महत्वपूर्ण’
बीजेपी सांसद गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) ने कहा है, ‘क्रिकेट बहुत छोटी चीज है, हमारे सैनिकों का जीवन ज्यादा महत्वपूर्ण है. इसलिए, सीमा पार आतंकवाद रुकने तक पाकिस्तान के साथ कोई संबंध नहीं होना चाहिए.’ इससे पहले गौतम गंभीर ने कहा था कि भारतीय क्रिकेटरों को देश के लिए खेलने के लिए अच्छा-खासा भुगतान किया जाता है, लेकिन सैनिक देश की निस्वार्थ रूप से रक्षा करते हैं. उन्होंने कहा, ‘मैंने देश के लिए खेलते हुए और जीतकर किसी पर कोई उपकार नहीं किया है लेकिन किसी ऐसे व्यक्ति को देखें, जो सियाचिन या पाकिस्तान सीमा पर हमारा बचाव कर रहा है. थोड़े से पैसे लेकर ही अपनी जान जोखिम में डाल रहा है. असल में तो वही हमारे देश के सबसे महान नायक हैं.’

‘सैनिकों के लिए बोलना हमारी नैतिक जिम्मेदारी’
गंभीर ने सैनिकों की वर्दी को पवित्र बताते हुए कहा, ‘इसे पहनने वाले सैनिक अपना खून बहाते हैं, देश की रक्षा करते हुए अपनी जान का भी बलिदान दे देते हैं. ऐसा कोई व्यक्ति, जो इस कदर बलिदान नहीं देता है तो फिर उसे यह वर्दी नहीं पहननी चाहिए.’ गंभीर का मानना है कि पाकिस्तान (Pakistan) की ओर से सीमा पार आतंकवाद के कारण जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में गोलियां खाने वाले सैनिकों के लिए बोलना प्रत्येक भारतीय की नैतिक जिम्मेदारी है. गंभीर ने कहा, ‘वे हमारी रक्षा के लिए अपनी जान दे देते हैं. कम से कम हम उनके साथ खड़े तो हो ही सकते हैं.’

सेना में भर्ती होना चाहते थे गंभीर
गौतम गंभीर बचपन से ही भारतीय सेना (Indian Army) में शामिल होना चाहते थे, लेकिन जब वह स्कूल में थे और उन्होंने घरेलू स्तर पर खेली जाने वाली प्रतिष्ठित रणजी ट्रॉफी में खेलना शुरू किया तो उनके माता-पिता ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के लिए खेलने के लिए मनाया था. लोक सभा में पूर्वी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले गंभीर ने उस बात को याद करते हुए कहा, ‘यह देश के लिए खड़े होने का एक और तरीका था, इसलिए मैं सहमत हो गया.’ हालांकि सेना और भारतीय सेना की वर्दी के लिए उनका प्यार बरकरार है, लेकिन उन्होंने भारत में नागरिकों के लिए बनी प्रादेशिक सेना में शामिल होने के लिए किसी भी मानद पेशकश को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था.

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