December 18, 2024

करोड़ों में बेच दी गई ग्राम सोठी की सरकारी जमीनों को, पंचायत प्रतिनिधियों की भूमिका संदेहास्पद


बिलासपुर. मस्तूरी तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम सोठी के सरकारी जमीनों में बंदरबांट किया जा रहा है। खसरा नंबर 162 में 10 एकड़ सरकारी भूमि है। इस जमीन को प्राप्त करने के लिए गांव के ही किसानों ने स्वयं भूमिहीन बताकर सरकार से पट्टे की मांग की। सरकार ने दो एकड़ और एक एकड़ में खेती करने के लिए पट्टा प्रदान कर दिया। पट्टा प्राप्त करने के बाद किसान खेती किसानी करना छोड़ जमीन दलालों को औने-पौने दामों में बेच रहे हैं। ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधि भी जमीन दलालों को ग्रामीणों की जमीनों पर कब्जा दिला रहे हैं। मस्तूरी तहसील में जमे अधिकारी भी सरकारी जमीनों को संरक्षित नहीं कर पा रहे हैं। भोले भाले ग्रामीणों को पैसे का लालच देकर पूरा खेल खेला जा रहा है।

सीपत थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम सोठी में बहुत पहले से सरकारी मद की जमीनों को बेचने के लिए दलाल गिरोह काम कर रहा है। बताया जा रहा है कि खसरा नंबर 371 जो कि छोटे झाड़ के जंगल के रूप में सरकरी रिकार्ड में दर्ज है। इस सरकारी जमीन को 40 से 50 टुकड़ों में अलग-अलग बेच दिया गया है। इसी तरह ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधियों ने खसरा नंबर 162 की सरकारी जमीन पर भी कूट रचना कर बाहरी लोगों को पांच-पांच डिसमिल देकर अवैध कब्जा कर लिया है। पंचायत प्रतिनिधियों ने पूर्व में मस्तूरी तहसील मेंं शिकायत दर्ज कराई थी कि गोठान के लिए आरक्षित जमीन पर एक किसान खेती किसानी कर रहा है। इस मामले को संज्ञान में लेते हुए मस्तूरी तहसील ने किसान से जमीन को खाली करा लिया था अब इसी जमीन को पंचायत के प्रतिनिधि बेच रहे हैं। बताया जा रहा है कि खसरा नंबर 162 की जमीनों पर खेती किसानी करने के लिए सरकार ने पट्टा भी जारी किया था। जिसमें हेराफेरी कर जमीन दलालों को बेचा जा रहा है। पूरे मामले की अगर सूक्ष्मतता से जांच की जाये तो 120 एकड़ सरकारी जमीन जो कि छोटे झाड़ के जंगल और मवेसियों के लिए आरक्षित थी उसे चट कर लिया गया है। जनहित में मस्तूरी तहसील के ग्राम सोठी में हो रहे सरकारी जमीनों के बंदरबांट को रोकने जिला प्रशासन को सख्त रवैया अपनाने की जरूरत है।

बैंक से लिया गया लोन
सोठी ग्राम पंचायत के जिन ग्रामीणों को सरकार ने खेती किसानी करने के लिए पट्टा जारी किया था वे लोग पटवारी से ऋण पुस्तिका बनवाने के बाद फसल लगाने के नाम पर बैंक से लोन भी प्राप्त कर चुके हैं। बाद में जमीन दलालों के चंगुल में आने के बाद ये किसान अपने पट्टे को ही बेच चुके हैं। यहां पंचायत के प्रतिनिधि अवैध कब्जा कराकर जंगल के अस्तित्व को नष्ट करने में तुले हुए हैं।

मिशल नक्शा गायब
सरकारी जमीन में हेराफेरी करने के लिए हल्का नंबर 7 के पटवारी ने मिशल नक्शा ही गायब कर दिया है। शीट नंबर-1 में कूटरचना करते हुए शासन को गुमराह किया गया है। पटवारी द्वारा वन भूमि में हुए कब्जा की जानकारी शासन को नहीं दी गई। वर्ष 2008 के दौरान 60 से 70 एकड़ जमीनों को बेच दिया गया है। पटवारी ने खसरा नंबर 371 में 50 से ज्यादा रजिस्ट्री करवा दी और जिला प्रशासन को इसकी जानकारी भी नही दी।

इन जमीनों में खेला गया खेल
ग्राम पंचायत सोठी में वन भूमि और सरकारी जमीनों को जिस तरीके से बेचा गया है इससे ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों की भूमिका संदेहास्पद है। खसरा नंबर 280/2क, 336/1, 336/2, 74, 91, 202, 291/1, 672, 1004/1, 995 की लगभग 140 से 150 एकड़ सरकारी जमीन में घोटाला किया गया।

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