लघु उद्योगों को बढ़ावा मिलने से बढ़ रहे रोजगार के अवसर : अवस्थी
बिलासपुर. भूपेश बघेल मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन का मानना है कि छत्तीसगढ़ राज्य की लोक कला,विधा एवं परंपरा का संवर्धन ही विकास का मूल आधार है, जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य की लोक स्वास्थ्य परंपरा समस्त प्राणियों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। परंपरागत ज्ञान आधारित है और यह ज्ञान औषधीय पौधों पर निर्भर है सदियों से यह पारंपरिक ज्ञान आधारित चिकित्सा पद्धति हमारे जीवन का आधार रहा है। हमारे नई पीढ़ियों के सुरक्षित जीवन हेतु हमें संकल्प लेना चाहिए कि वनस्पति जैव-विविधता का प्रबंधन और संरक्षण संवर्धन करें हर मानव की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका सुनिश्चित होनी चाहिए है।
लोक स्वास्थ्य परंपरा संवर्धन अभियान के राष्ट्रीय समन्वयक वैद्य निर्मल कुमार अवस्थी ने विश्व वानिकी दिवस पर आयोजित आजीविका संवाद 2021 के समापन समारोह के दौरान यह बात कही। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने वनौषधियों के उचित मूल्य के साथ साथ मूल्य संवर्धन हेतु लघु उद्योगों को बढ़ावा देने हेतु दृढ़ संकल्पित है, ताकि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकें एवं छत्तीसगढ़ राज्य की लोक स्वास्थ्य परंपरा का संरक्षण संवर्धन के अलावा छत्तीसगढ़ की पारंपरिक हर्बल औषधी की उपलब्धता सरल सहज रूप में आम जनमानस को तक पहुंच सके यह सभी औषधियां आयुष विभाग के नियमों के तहत वैज्ञानिक आधार पर निर्मित की की जाएगी ।छत्तीसगढ़ शासन के वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री मोहम्मद अकबर के कुशल मार्गदर्शन में आदिमजाति समुदाय व अन्य समुदायों की स्वतंत्र नैसर्गिक पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के संरक्षण संवर्धन व इसे वैज्ञानिक आधार दिलाने हेतु अनुसंधान की ओर हमारी सरकार अग्रसर है। इसलिए छत्तीसगढ़ आदिवासी स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड का पुनर्गठन किया है मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन के मंशानुरूप किया गया है। विलुप्त हो रहे पारंपरिक ज्ञान के साथ साथ दुर्लभ वनौषधियों के संरक्षण संवर्धन हेतु वृहद स्तर पर कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। राजधानी रायपुर में छत्तीसगढ़ पारंपरिक लोक स्वास्थ्य विद्या केन्द्र की स्थापना हेतु सार्थक पहल की गई है अतिशीघ्र इसकी शुरुआत की जानी है।
मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन भूपेश बघेल के मंशानुरूप व वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री मोहम्मद अकबर के कुशल मार्गदर्शन में नवाचार की परिकल्पना औषधीय पौधे व परंपरागत ज्ञान आधारित सतत आजीविका विकास हेतु परिचर्चा एवं क्षमता विकास कार्यक्रम का आयोजन आजीविका संवाद 2021 सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम के संयोजक वैद्य निर्मल कुमार अवस्थी ने बताया कि वनमंडलाधिकारी वन मंडल कवर्धा एवं परंपरागत वनौषधि प्रशिक्षित वैद्य संघ छत्तीसगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में चार दिवस यह आयोजन चिल्फी वनपरिक्षेत्र 16से 19, मार्च 2021 तक आयोजित किया गया जिसमें कबीरधाम जिले के आदिवासी जनजाति व अन्य समुदायों के पारंपरिक वैद्यों, वनौषधियों के संग्राहकों वन वासियों के अलावा संयुक्त वन प्रबंधन समिति व जैव-विविधता प्रबंधन समिति के सदस्य तथा स्थानीय स्वसहायता समूहों एवं वनमंडल कवर्धा के सभी वन वनपरिक्षेत्र के अधिकारियों एवं कर्मचारियों सहित 257 प्रतिभागियों ने दो चरण में भाग लिया। इस कार्यक्रम में मैकल पर्वत श्रेणी के स्थानीय प्राकृतिक संपदा के आकलन वन में शैक्षणिक भ्रमण कर एवं परंपरागत ज्ञान आधारित आजीविका के लिए विस्तृत कार्ययोजना इस संवाद के माध्यम से बनाई गई है।
जिसके अंतर्गत वैद्य सुमरन सिंह धुर्वे के मार्गदर्शन में मैकल आजीविका संवर्धन समिति बनाई जावेगी, साथ ही मैकल पर्वत श्रेणी में निवासरत आदिम जनजाति एवं स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा के संवाहक परंपरागत वैद्यों का सूचीकरण व इनके बौध्दिक ज्ञान का दस्तावेजीकरण कर बेब साइड तैयार की जाएगी, साथ ही छत्तीसगढ़ राज्य की लोक स्वास्थ्य परंपरा के संरक्षण संवर्द्धन के लिए जागरुकता एवं वातावरण निर्माण हेतु घर अंगना जरी बूटी बगिया योजना का संचालन किया जाएगा ग्राम तुरैया बहरा में समाधान केन्द्र की स्थापना नव गठित छत्तीसगढ़ स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड रायपुर के माध्यम से किया जाना प्रस्तावित है। इसके साथ ही ग्राम स्वास्थ्य समिति में स्थानीय परंपरागत वैद्यों को शामिल करने हेतु छत्तीसगढ़ राज्य शासन से मांग की गई है। कार्यक्रम का संचालन सहयोगी मित्र मंडल के निर्देशक महेंद्र सिन्हा ने किया।