November 23, 2024

भारत के इतिहास के पुनर्लेखन में भारतीय भाषाएँ महत्वपूर्ण स्रोत : प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल

वर्धा. भारत के इतिहास को पुनर्जीवित करने, कीर्ति और यश का इतिहास लिखने तथा वैश्विक सभ्यता के रूप में भारत के इतिहास का पुनर्लेखन करने के लिए भारतीय भाषाओं का अगाध स्रोत महत्वपूर्ण उपकरण सिद्ध होगा। यह विचार महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने व्यक्त किये। वे भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद की ओर से विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय (4-5 नवंबर) कार्यशाला के समापन सत्र की अध्यक्षता कर रहे थे। कार्यक्रम में मणिपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एन. लोकेंद्र सिंह, नव नालंदा महाविहार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वैद्यनाथ लाभ, भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के सदस्य सचिव प्रो. उमेश अशोक कदम, राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण की पूर्व अध्यक्ष प्रो. सुष्मिता पाण्डेय, भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के निदेशक (स्था. एवं प्रशा.) डॉ. ओम जी उपाध्याय मंचासीन थे।

प्रो. शुक्ल ने कहा कि भारत का इतिहास ठीक से नहीं लिखा गया। भारत के समग्र इतिहास में लोकभाषा, लोकगान, लोकवाक और मौखिक परंपरा एक बड़ा स्रोत हो सकता है. भारतीय भाषाओं के माध्यम से भारतीयों को समझने की कोशिश की जानी चाहिए और इसमें सभी विद्यास्थानों के शिक्षकों को अपना योगदान देना चाहिए।

प्रो. उमेश कदम ने कहा कि भारत का अभी तक का इतिहास उपनिवेशिक है। इसे ठीक करने के लिए भाषाएँ प्रमुख सामग्री हो सकती हैं. हमारे प्राचीन मंदिर अनेक विषयों और ज्ञान के केंद्र थे। भारत के गौरव को फिर से प्रस्तुत करने के लिए भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद डिजिटल रूप में व्याख्यान और वीडियो वेबसाइट पर डालेगी। प्रो. वैद्यनाथ लाभ ने कहा कि प्राचीन भारतीय भाषाओं में उपलब्ध ज्ञान के स्रोत, लोक परंपरा समग्र भारत के इतिहास की ओर ले जाने वाले हैं। प्रो. एन. लोकेंद्र सिंह ने अपने वक्तव्य में मौखिक परंपरा, आधुनिक और मध्ययुगीन ज्ञान के पुनर्लेखन करने पर बल दिया। प्रो. सुष्मिता पाण्डेय ने वैदिक काल व भक्ति आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि विज्ञान और प्रद्योगिकी की मदद से इतिहास के पुनर्लेखन का काम किया जाना चाहिए व मंदिरों और स्मारकों के निर्माण में गणितीय सिद्धांत का अध्ययन करना चाहिए।

स्‍वागत वक्‍तव्‍य प्रतिकुलपति प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल ने दिया। शुरुआत दीप दीपन तथा कुलगीत से की गयी। डॉ. वागीश राज शुक्ल ने भारत वंदना प्रस्‍तुत की। कार्यक्रम का संचालन प्रो. ओम जी उपाध्याय ने किया तथा आभार कार्यशाला के संयोजक डॉ. के. बालराजु ने माना। राष्ट्रगान से कार्यक्रम का समापन किया गया। इस अवसर पर अतिथि विद्वान, अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्ष, अध्यापकों सहित विद्यार्थी एवं शोधार्थी उपस्थित थे। आभासी माध्‍यम से बड़ी संख्‍या में अध्‍यापक एवं विद्यार्थी सहभागी हुए।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Previous post अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव एवं प्रदेश प्रभारी सप्तगिरी शंकर उल्का का दौरा कार्यक्रम
Next post ज्येष्ठ नागरिक हमारे समाज के प्रेरणा स्त्रोत अनुभव के विश्वविद्यालय हैं : अटल श्रीवास्तव
error: Content is protected !!