नगरीय निकायों को पशुओं के मृत शरीर के वैज्ञानिक एवं सुरक्षित निपटान के लिए उपयुक्त स्थल निर्धारित करने के निर्देश

पर्यावरणीय मानकों एवं जैव-सुरक्षा नियमों के अनुरूप 48 घंटे के भीतर करना होगा निपटान

नगरीय प्रशासन विभाग ने सभी निकायों को जारी किया परिपत्र

बिलासपुर. राजधानी रायपुर में पिछले महीने हुए कलेक्टर-एसपी कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय द्वारा दिए गए निर्देश पर अमल करते हुए नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने शहरों में गौवंशीय एवं अन्य पशुओं के मृत शरीर के वैज्ञानिक एवं सुरक्षित निपटान के लिए उपयुक्त स्थल निर्धारित करने के निर्देश दिए हैं। विभाग ने सभी नगरीय निकायों को परिपत्र जारी कर पर्यावरणीय मानकों और जैव-सुरक्षा नियमों के अनुरूप 48 घंटे के भीतर पशुओं के मृत शरीर के निपटान के लिए निर्देशित किया है।

नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा मंत्रालय से सभी नगर निगमों के आयुक्तों तथा नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों के मुख्य नगर पालिका अधिकारियों को जारी परिपत्र में कहा गया है कि सभी निकायों में गौवंशीय तथा अन्य पशुओं के मृत शरीर के वैज्ञानिक एवं सुरक्षित निपटान के लिए उपयुक्त स्थल का चयन करते हुए तत्काल इसका निर्धारण करें। विभाग ने निपटान का स्थल आबादी से उचित दूरी पर तथा पर्यावरणीय मानकों एवं जैव-सुरक्षा नियमों के अनुरूप सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

नगरीय प्रशासन विभाग ने निकायों को मृत पशु के निपटान के लिए विशेष स्थान निर्धारित कर विधिवत निपटान के मानकों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने को कहा है। विभाग ने परिपत्र में बताया है कि मृत पशुओं के निपटान की प्रक्रिया छत्तीसगढ़ नगरपालिक निगम अधिनियम, 1956 की धारा 258, “मृत पशुओं का निराकरण एवं नगर पालिक निगम हेतु कूड़ा-करकट, गंदा, मल, मृत पशुओं तथा घृणोत्पादक पदार्थों का निपटान आदर्श उपविधियों, 2002 तथा छत्तीसगढ़ नगरपालिका अधिनियम, 1961 की धारा 289, जीव जन्तुओं के मृत शरीर के व्ययन के संबंध में विशेष उपबंध” अधिनियम में उल्लेखित हैं। लोक सेवा गारंटी अधिनियम, 2011 के तहत मृत पशुओं के निपटान की सेवा 48 घंटे की समय-सीमा में प्रदान किया जाना अनिवार्य है।

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