दिव्यांग बच्चों के लिए संचालित जस्टिस तन्खा मेमोरियल रोटरी स्कूल का आकस्मिक बंद होना बना पालकों की चिंता का विषय

 

 

बिलासपुर/ अनिश गंधर्व। शहर में दिव्यांग बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण शिक्षा केंद्र रहे जस्टिस तन्खा मेमोरियल रोटरी स्कूल को अचानक बंद कर दिए जाने से अभिभावकों और कर्मचारियों में गहरी निराशा और चिंता की लहर दौड़ गई है। यह स्कूल वर्षों से मंदबुद्धि, मूकबधिर और अन्य प्रकार की विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों के लिए एकमात्र ऐसा स्थान था जहाँ उन्हें विशेष प्रशिक्षण और अनुकूल शैक्षणिक वातावरण उपलब्ध कराया जाता था। स्कूल में वर्तमान में लगभग 150 छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे थे।

बिना किसी पूर्व सूचना या वैकल्पिक व्यवस्था के इस स्कूल को बंद कर दिए जाने से न सिर्फ छात्रों की शिक्षा बाधित हुई है, बल्कि शिक्षकों, सहायकों और अन्य कर्मचारियों के समक्ष भी रोज़गार का संकट उत्पन्न हो गया है। कई वर्षों से इस विद्यालय से जुड़े रहे पालकों ने इस निर्णय पर आपत्ति जताते हुए जिला प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग की है।

अभिभावकों का कहना है कि दिव्यांग बच्चों की विशेष आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षा प्रदान करना सामान्य स्कूलों के बस की बात नहीं है। ऐसे में इन बच्चों को अन्य विद्यालयों में प्रवेश दिलाना न केवल कठिन है, बल्कि यह उनके मानसिक और शारीरिक विकास पर भी विपरीत प्रभाव डाल सकता है। इस अचानक निर्णय से अभिभावकों को यह चिंता सता रही है कि अब उनके बच्चों की पढ़ाई का भविष्य अधर में लटक गया है।

इस मुद्दे को लेकर एक प्रतिनिधिमंडल ने जिला कलेक्टर से भेंट कर ज्ञापन सौंपा और स्कूल को पुनः प्रारंभ करने या किसी वैकल्पिक स्थान पर विशेष बच्चों के लिए शिक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग की। ज्ञापन सौंपने वालों में दीपक राज तिवारी, शाहजहां, रश्मि वर्मा, श्वेता अग्रवाल, संगीता सिन्हा, प्रभा बघेल, दीप्ति राजन समेत कई अन्य पालक व सामाजिक कार्यकर्ता शामिल थे।

अब पालकों को उम्मीद है कि प्रशासन इस संवेदनशील विषय पर गंभीरता से विचार करते हुए शीघ्र कोई ठोस कदम उठाएगा जिससे विशेष जरूरतों वाले बच्चों की शिक्षा और उनका भविष्य सुरक्षित रह सके।

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