KPop फैंस और TikTok यूजर्स ने कर दिया ‘खेल’, फेल हो गई ट्रंप की पहली रैली


वॉशिंगटन. कोरोना संकट (Corona Virus) के बीच चुनावी अभियान पर जोर देने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब उनकी पहली रैली में उम्मीदों के अनुरूप लोग नहीं जुटे. ट्रंप की इस रैली को विफल करवाने में युवाओं का बहुत बड़ा हाथ रहा. उन्होंने बड़ी ही चालाकी से ट्रंप को रैली के सफल होने का सपना दिखाया और फिर एक ही झटके में उसे तोड़ दिया. हालांकि, यह बात अलग है कि राष्ट्रपति और उनके चुनावी अभियान में शामिल लोग इस सच्चाई स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं.

दरअसल, ओकलाहोमा के टुल्सा (Tulsa Rally) में आयोजित इस रैली में शामिल होने के लिए इंटरनेट पर मुफ्त टिकट बांटे जा रहे थे. TikTok यूजर्स और कोरियन पॉप म्यूजिक ग्रुप Kpop के फैंस ने हजारों टिकट बुक कर डाले, जिससे ट्रंप का चुनावी कैंपेन संभालने वालों को विश्वास हो गया कि रैली में भारी भीड़ उमड़ेगी, लेकिन वह रैली में भाग लेने पहुंचे नहीं. बाद में यह बात सामने आई कि युवाओं के जानबूझकर ऐसा किया ताकि ट्रंप की रैली फ्लॉप हो जाए.

युवाओं के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ किए गए इस प्रैंक के चलते 19,200 क्षमता वाले BOK सेंटर ऑडिटोरियम की अधिकांश सीटें खाली पड़ी रहीं. दावा किया जा रहा था कि रैली में लाखों लोग शामिल होंगे, लेकिन किसी तरह महज 6,200 लोग ही जुटाए जा सके. महीने की शुरुआत में ट्रंप के अभियान की तरफ से यह जानकारी दी गई थी कि रैली के टिकट फ्री में ऑनलाइन बुक कराए जा सकते हैं. इसके बाद सोशल मीडिया पर कई वीडियो पोस्ट किए गए जिसमें टिकट बुक करने के बाद नहीं जाने की बात कही गई.

TikTok यूजर्स और Kpop फैंस ने अपने फॉलोअर्स से कहा कि वह रैली के दो टिकट बुक करें और फिर किसी भी अलर्ट या स्पैम से बचने के लिए ‘STOP’ संदेश भेजें. ताकि ट्रंप की रैली को विफल बनाया जा सके. हजारों की संख्या में लोग इस अभियान से जुड़े और इस तरह राष्ट्रपति की रैली युवाओं के प्रैंक का शिकार हो गई. हालांकि, अधिकारी इस दावे को खारिज कर रहे हैं. उनका कहना है कि रैली में कम भीड़ जुटने की वजह बड़े पैमाने पर फैलाई गईं फर्जी खबरें हैं. जिनके माध्यम से लोगों में यह खौफ पैदा किया गया कि उन्हें कोरोना वायरस हो सकता है.

ट्रंप के चुनावी अभियान प्रबंधक ने स्थानीय मीडिया को बताया कि टिकट बुक करने वाले फर्जी नंबरों की पहले ही पहचान करके उन्हें हटा दिया गया था. वामपंथी समर्थकों और कुछ मीडिया घरानों ने यह खबर फैलाई थी कि रैली में शामिल होने वालों पर कोरोना का खतरा रहेगा, इस वजह से भीड़ कम जुटी.

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