May 5, 2024

खाद्य पदार्थ के उत्पादन एवं संरक्षण की रासायनिक विधि कैंसर, ट्यूमर और दूसरे घातक रोगों का प्रमुख कारण : योग गुरु महेश अग्रवाल

भोपाल. आदर्श योग आध्यात्मिक केंद्र  स्वर्ण जयंती पार्क कोलार रोड़ भोपाल के संचालक योग गुरु महेश अग्रवाल कई वर्षो से निःशुल्क योग प्रशिक्षण के द्वारा लोगों को स्वस्थ जीवन जीने की कला सीखा रहें है वर्तमान में भी ऑनलाइन माध्यम से यह क्रम अनवरत चल रहा है | योग प्रशिक्षण के दौरान केंद्र पर योग साधकों को विशेष कोई बीमारी का कारण उपचार लक्षण एवं योग प्राकृतिक चिकित्सा से कैसे स्वस्थ हो सकते है बताया जाता है,योग गुरु अग्रवाल ने बताया कि  8 जून को पूरा विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस मनाता है। ब्रेन ट्यूमर जैसी समस्या दिन-ब-दिन विश्व में बढ़ती ही जा रही है। ऐसे लोग जो रेडिएशन के संपर्क में अधिक रहते हैं और धूमपान अधिक करते हैं, ऐसे लोगों को ब्रेन ट्यूमर का बहुत ज्यादा खतरा होता है, इन्हीं लोगों को सचेत करने के लिए इस दिन का आयोजन किया जाता है। , जो लोग इस बीमारी से जूझ रहे होते हैं और इलाज कराने में असक्षम होते हैं उनकी सहायता की जाती है। ब्रेन ट्यूमर अनुवांशिक भी हो सकता है इसलिए इसके प्रति समय रहते सावधान हो जाना बहुत जरूरी है, ब्रेन ट्यूमर खतरनाक बीमारी है परंतु इसका योग में अच्छा इलाज भी है।दरअसल यह सिर्फ मस्तिष्क को ही नहीं, बल्कि पूरे शरीर को प्रभावित करती है क्योंकि मस्तिष्क ही पूरे शरीर को संचालित करता है। ब्रेन ट्यूमर की समस्या होने पर मस्तिष्क में कोशिकाओं का जमाव हो जाता है। कोशिकाओं के अनियंत्रित रूप से बढ़ने और जमने के कारण ट्यूमर जानलेवा हो जाता है।
कुछ ऐसे योगासन जिसके अभ्यास से ब्रेन ट्यूमर के खतरे को कम किया जा सकता है।
अनुलोम- विलोम और कपलभाती प्राणायाम
ब्रेन ट्यूमर के मरीज अगर सुबह-शाम एक-एक घंटा अनुलोम-विलोम और कपालभाती करेें तो निश्चित तौर पर छह माह में बीमारी ठीक हो सकती है। लेकिन यह लगातार करना होगा। अनुलोम-विलोम से मस्तिष्क को फ्रेश ऑक्सीजन मिलती है। वहीं, कपालभाती की गर्मी गांठों को तोड़ देती है। इससे नौ माह में तो पूरे शरीर का रूपांतरण हो जाता है।
वज्रासन – यह आसन हृदयगति को नियंत्रित रखता है और स्ट्रेस हार्मोन ‘कॉर्टिसोल’ को घटाकर तनाव कम करता है। इसके अभ्यास से जांघों और पिंडलियों की नसें-मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है, पीठ और पैर दर्द में आराम मिलता है।
ताड़ासन – ताड़ासन हमारे शरीर की मांसपेशियों को लचीला बनाता है। इस आसन के दौरान गहरी सांस लेने के कारण फेफड़ा फैलता है और इसकी सफाई हो जाती है। ताड़ासन करने से एक्रागता बनी रहती है। यही नहीं, इस आसन को करने से श्वास सतुंलित रहती है।
प्राकृतिक चिकित्सा – उपवास, एनिमा, धूपस्नान, कटि- स्नान, पेट पर मिट्टी-पट्टी,  सूती-ऊनी लपेट, शवासन व शुभ चिंतन,  मुख्य औषधीय उपचार -लहसुन, गेहूँ के जवारे का रस, गाजर- बीट रस, आँवला, बंदगोभी, फायबर खाद्य, अदरक, प्याज, अंगूर, विटामिन ‘ए’ एवं ‘सी’ युक्त आहार, मुख्य परहेज – बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू, गुटखा, शराब, मांस-मछली, अंगूर, अण्डे व अशुभ चिंतन।
ब्रेन ट्यूमर-हमारे मस्तिष्क में अचानक ही असामान्य कोशिकाओं का बढ़ना ब्रेन ट्यूमर कहलाता  है। ब्रेन ट्यूमर कई प्रकार के होते हैं। कुछ ब्रेन ट्यूमर कैंसर के साथ होते हैं, जो कि बहुत खतरनाक होते हैं और कुछ साधारण होते हैं। ब्रेन ट्यूमर की शुरुआत मस्तिष्क से शुरू होता है, वहीं कैंसर शरीर के अन्य भागों से शुरू होते हुए हमारे दिमाग तक फैल सकता है। सही समय पर इसकी जानकारी होना बहुत आवश्यक है।
विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस का उद्देश्य – इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों में ब्रेन ट्यूमर के प्रति जागरूकता फैलाना है। ब्रेन ट्यूमर की  घातक स्थिति की जानकारी लोगों तक पहुंचाना है जो कि आगे चलकर अक्सर मस्तिष्क कैंसर का कारण बनती है। यह महत्वपूर्ण है कि अधिक से अधिक लोग बीमारी के लक्षणों, उपचार और तथ्यों के बारे में जानें तभी वे इस रोग से बच सकते हैं नहीं तो दिन-ब-दिन यह रोग और भी गंभीर होता जाता है और मनुष्य की जान तक बचाना तक मुश्किल हो जाता है।
ब्रेन ट्यूमर के लक्षण – ब्रेन ट्यूमर होने पर आम लक्षण जो शरीर में दिखाई देते हैं उनमें धीरे- धीरे सिरदर्द का बढ़ना, घबराहट या उल्टी, धुंधली दृष्टि, दोहरी दृष्टि या दृष्टि की हानि, रोजमर्रा के मामलों में उलझन, व्यवहार में बदलाव, बोलने और सुनने में कठिनाई आदि लक्षण आम हैं।
आधुनिक दवाओं के अतिरिक्त एक और भयंकर स्वास्थ्य संकट पैदा हो गया है। इस सदी में कैंसर रोग को गति देने में दवाओं के साथ समानान्तर काम कर रहा है आज का रासायनिक विधि से उत्पन्न भोजन।*  कितने प्रकार की रासायनिक चीजें – नाइट्रोसल्फेट, नाइट्रोफास्फेट वगैरह उपयोग में लाते हैं। कौन जाने, हमारे शरीर पर उनका क्या असर हो रहा है। अधिक खाद्य सामग्री बेचने और लाभ कमाने की दृष्टि से ये रासायनिक उत्पादनकर्ता बेतहाशा इन रासायनिक उर्वरकों का उत्पादन किये जा रहे हैं। शायद हर कोई दवाइयाँ न खाता हो, मगर भोजन तो वह खाता ही है। हम सब लोग अबोध रूप में इसके शिकार हो रहे हैं। खाद्य पदार्थ संरक्षण की रासायनिक विधि एक दूसरा घातक तथ्य है। ये परिरक्षित चीजें जानवरों पर किये खोज कार्यों के आधार पर कैंसर, ट्यूमर और दूसरे घातक रोगों की कारण सिद्ध हुई हैं। उनके सेवन से देह का तापमान गिर जाता है और कैंसर और ट्यूमर हो सकते हैं। कैंसर और ट्यूमर शीत रोग के अन्तर्गत आते हैं, जो तभी आक्रमण करते हैं और बढ़ते हैं, जबकि शरीर का तापमान एक खास सीमा तक नीचे गिर जाता है।कैंसर के लिये और दूसरी चीजें भी कारण हैं जैसे आधुनिक मुर्गी पालन केन्द्र में अधिक अण्डे देने के लिये मुर्गियों को इन्जेक्शन लगाते हैं, जिनमें कई कृत्रिम हार्मोन होते हैं। कैंसर विशेषज्ञों के अनुसार कैंसर की आरंभिक वृद्धि बहुत अचानक और अज्ञात रूप से होती हैं। यह इतनी अदृश्य और अज्ञात प्रक्रिया है कि अच्छी मशीनें भी उन्हें नहीं जान पाती हैं। वैज्ञानिकों ने डी.एन.ए. अणुओं का पता लगा लिया, लेकिन कैंसर को नहीं जाना है। कैंसर के विकास की प्रक्रिया जब सुव्यवस्थित और पूर्ण संगठित हो जाती है, शरीर जब पूरा शिकार बन चुकता है, तब वैज्ञानिक लोग घोषित कर पाते हैं कि कैंसर हो गया।

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