स्‍त्री सशक्‍तीकरण की अग्रदूत हैं लक्ष्‍मीबाई केलकर : प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल

वर्धा. महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय, वर्धा के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल ने कहा है कि वर्धा की ऐतिहासिक धरती ने कई रत्‍न दिए हैं, ऐसी ही रत्‍न हैं लक्ष्‍मीबाई केलकर (मौसीजी) । कुलपति प्रो. शुक्‍ल लक्ष्‍मीबाई केलकर के जन्‍म दिवस पर उनके केलकरवाडी स्थित आवास में आयोजित आत्‍मीय बैठक को संबोधित कर रहे थे । इस दौरान कुलपति ने मौसीजी की पुत्रवधु सरयू कमलाकर केलकर का शॉल, श्रीफल और सूतमाला से सत्‍कार किया। प्रो. शुक्‍ल ने कहा कि श्रीमती केलकर ने राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के विचार के अनुरूप 25 अक्‍टूबर 1936 को विजयादशमी के दिन राष्‍ट्र सेविका समिति की स्‍थापना की। इस संगठन की आज पांच हजार शाखाएं हैं जो स्‍त्री सशक्‍तीकरण और स्‍वदेशी के अभियान में संलग्‍न है।

कुलपति ने कहा कि  श्रीमती केलकर ने ब्राम्‍हण स्‍त्री होते हुए भी अपने घर में अछूत को रखा और जातीय भेदभाव मिटाने की पहल की। लक्ष्‍मीबाई केलकर ने आजीवन  स्‍वदेशी का व्रत अपनाया और स्‍त्री सशक्‍तीकरण की अग्रदूत बन गयीं। जन्‍म दिवस कार्यक्रम के अवसर पर लक्ष्‍मीबाई केलकर के पौत्र श्री माधव केलकर, प्रपौत्र अश्विन माधव केलकर, विश्‍वविद्यालय के मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. कृपाशंकर चौबे, स्‍त्री अध्‍ययन की प्रभारी विभागाध्‍यक्ष डॉ. सुप्रिया पाठक,  महात्‍मा गांधी फ्यूजी गुरुजी सामाजिक कार्य अध्‍ययन केंद्र के सहायक प्रोफेसर डॉ. मिथिलेश कुमार, शिक्षा विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. अनिकेत आंबेकर, सहायक संपादक डॉ. अमित कुमार विश्‍वास आदि उपस्थित थे।

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