नाबालिग से दुष्कर्म करने वाले आरोपी को आजीवन सश्रम कारावास

सागर. नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी षिवम तिवारी थाना-षाहगढ़ को तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये धारा-366 भा.द.वि. के तहत 05 वर्ष का सश्रम कारावास एवं पाॅच सौ रूपये अर्थदण्ड एवं धारा- 6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 के तहत 20 वर्ष का सश्रम कारावास एवं पाॅच हजार रूपये अर्थदण्ड एवं धारा- 3(1)(डब्ल्यू)(आई) एस.सी./एस.टी एक्ट 1989 के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं पाॅच सौ रूपये अर्थदण्ड एवं धारा-3(2)(व्ही) एस.सी./एस.टी एक्ट 1989 के तहत आजीवन सश्रम कारावास एवं पाॅच हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है एवं पीड़िता को न्यायालय द्वारा दो लाख रूपये प्रतिकर दिलाये जाने का आदेष पारित किया गया। मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की। घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि षिकायतकर्ता/बालिका के पिता द्वारा दिनाॅक- 21.09.2021 को थाना शाहगढ़ में रिपोर्ट लेख कराई कि उनकी बालिका आयु करीब 16 वर्ष दिनाॅक 20.09.2021 को घर से 11ः00 बजे दिन को उसकी साईकिल से रोजाना की तरह पढ़ने का कहकर विद्यालय गई थी  जो शाम 4ः30 बजे तक घर नहीं पहुॅंची जिसकी तलाष करने पर वह नहीं मिली कोई अज्ञात व्यक्ति द्वारा उसकी पुत्री /बालिका को बहला फुसलाकर भगा ले जाने की शंका है । करीब सवा महीने बाद बालिका को गुड़गाॅव से दस्तयाव  होने पर बालिका द्वारा बताया गया कि जब वह घर से स्कूल जा रही थी तभी रास्ते में अभियुक्त ने उसकी साईकिल छान ली और उसे बस से गुड़गाॅव ले गया और उसे कमरे में रखकर उसके साथ गलत काम किये तथा अभियुक्त बालिका को छोड़कर शाहगढ़ आ गया तब पुलिस ने मोबाईल ट्रेस कर अभियुक्त को हिरासत में लिया गया। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-षाहगढ़ द्वारा धारा- 366, 376, 376(2)(एन) भा.द.वि.  एवं 5/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 एवं धारा- 3(1)(डब्ल्यू)(आई) ,3(2)(व्ही) एस.सी./एस.टी एक्ट 1989 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की न्यायालय ने  आरोपी को दोषी करार देते हुये उपरोक्त सजा  से दंडित किया है।

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