सौतेली बेटी की हत्या करने वाले आरोपी को आजीवन कारावास

सागर । सौतेली बेटी की हत्या करने वाले आरोपी मोनू उर्फ भूपेंद्र राजपूत को भा.द.वि की धारा- 302 के तहत आजीवन कारावास एवं दो हजार रूपये अर्थदण्ड एवं धारा- 201 के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं दो हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से श्रीमान प्रथम अपर-सत्र न्यायाधीश देवरी जिला-सागर की अदालत नेे दंडित किया।  मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) श्री धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में विशेष लोक अभियोजक श्रीमती वृंदा चौहान ने की ।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि षिकायतकर्ता/मृतिका की मॉ दुर्गा यादव ने दिनॉक- 09.07.2021 को थाना केसली में इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई वह मजदूरी करती है  करीब चार-पॉच माह से अपने पति  से अलग रहकर अपनी छोटी  लड़की मृतिका (उम्र- 07 वर्ष)के साथ अपने दास्ता पति मोनू राजपूत के साथ रह रही थी। कुछ  दिन पहले वह अपनी लड़की के साथ अपने मायके गई थी  दिनॉक 02.07.2021 को वापस घर  आ गई थी उसके दूसरे दिन सुबह करीब 5ः30 बजे जब वह उठी तो उसकी लड़की/मृतिका अपने बिस्तर पर नहीं थी तब उसने अपने दास्ता पति मोनू राजपूत को जगाया और उसकी तलाश की किंतु उसका कोई पता नहीं चला। अनुसंधान के दौरान मृतिका की मॉ दुर्गा यादव एवं उसके दास्ता पति मोनू उर्फ भूपेंद्र राजपूत से पूछताछ की तो पूछताछ के दौरान आरोपी मोनू उर्फ भूपेंद्र ने बताया कि 12-13 दिन पहले दुर्गा यादव अपनी बच्ची को लेकर उसे बिना बताये अपने मायके चली गई थी दिनॉक 02.07.2021 केा वापस बच्ची के साथ आ गई थी इसके पूर्व भी वह बिना बताये कहीं भी चली जाती थी जिससे उसकी जग हंसाई होती थी जिसके कारण वह बहुत गुस्से में रहता था।  दिनॉक 02.07.2021 को इसी वजह से दुर्गा यादव और मृतिका/बच्ची के साथ लाठी से मारपीट की थी जिससे मृतिका/बच्ची बेहोश हो गई थी जब वह रात में जागा तो देखा बच्ची बेहोश पड़ी है तब यह सोचकर कि सुबह दुर्गा को जब जता चलेगा तो वह सबको बता देगी कि मेरे मारने से वह मृत हो गई तो रात में मृतिका/बच्ची को पास के कुएॅ में डाल दिया , दो दिन बाद मृतिका की लाश ऊपर आ जाने से कुएं से निकालकर खेत में गाढ़ दिया। उक्त रिपोर्ट के आधार पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना- केसली द्वारा धारा 302, 201, 363 भा.दं.सं. का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया।अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। जहॉ विचारण उपरांत श्रीमान प्रथम अपर-सत्र न्यायाधीश, देवरी जिला-सागर की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपर्युक्त सजा से दंडित किया।

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