पीने का बहाना चाहिए
हमारे मित्र रामलाल यूं तो ठलुहे हैं पर कभी बेकार में पीते नहीं,वे तब पीते हैं जब पीने का कोई कारण होता है।मसलन आज बहुत गर्मी है इसलिए पी लिया।ठंड बहुत लग रही थी इसलिए पी लिया।याने दारू दारू न हुई एयर कंडीशन हो गई जो अवसर पर पीने के बाद ठंडा- गरम करती है।
रामलाल बहुत भले आदमी हैं,कभी पूर्वाग्रह से ग्रस्त नहीं रहते अतः उनका कोई खास ब्रांड भी नहीं है और हर ब्रांड उनका खास है।एक दिन वे बताए कि बहुत दुखी हैं इसीलिए गम गलत करने को एक बोतल बिना बर्फ,पानी के गटक गए।उनका दुख कम हो गया है।दुखी मनुष्य यदि चाहें तो उनसे सबक लेकर सुखी हो सकते हैं।मजे की बात यह है कि एक दिन वे बहुत खुश थे इस वज़ह से पी लिए।
उनकी यह बात स्पष्ट करती है कि वे हर स्थिति में सम रहना जानते हैं।बहुत आस्थावान आदमी हैं रामलाल, रोज एक घण्टे पूजा-अर्चना किया करते हैं और इसके बदले भगवान से एक अदद पिलाने वाले की मांग करते हैं।वे कहा करते हैं कि जब मैं मरूं तो लिकर की मौत ही मरूं।वे यह भी कहा करते हैं कि उनके मरने के बाद उन्हें जलाया न जाए बल्कि दफ़नाया जाए ताकि वे मरकर भी पी सकें।
उन्होंने अपने मित्रों,नाते- रिश्तेदारों से कह रखा है कि मरणोपरांत भोज आयोजित न किया जाए वरन तेरह पियक्कड़ों को भर पेट सोमरस छका दिया जाए।इससे उनकी आत्मा को तृप्ति-मुक्ति मिल जाएगी।गंगा-गया करने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।मरते समय गाय की पूंछ की बजाय बोतल पकड़ा देने पर वे बैतरणी पर कर लेंगे।मरकर न तो वे स्वर्ग जाना चाहते और न नर्क।वे ऐसी जगह जाना चाहते हैं जहां भट्ठी हो,शराब की दुकानें हों, अहाते चौबीस घण्टे खुले रहते हों।
उनका अपना दर्शन है।वे मानते हैं- इस संसार में जो भी आदमी आया है वह एक न एक दिन जाएगा।यह संसार नश्वर है।इस चराचर जगत में एक ही चीज है जो नष्ट नहीं होने वाली है क्योंकि वह खाई नहीं जाती पी जाती है।जो पी लिया,सो जी लिया और तर गया।वे लोग बेवक़ूफ़ होते हैं जो हानि-लाभ जन्म-मरण,यश-अपयश विधि हाथ मानते हैं।दरअसल यह सब बोतलों के सेवन से मुफ्त मिल जाते हैं।जो लोग बंधन से मुक्त होना चाहते हैं वे गंगा जल पीकर मरते हैं।हम तो दारू पीकर मरेंगे और बार-बार जन्म लेकर दारू पियेंगे।
रामलाल कहते हैं-शराब वो चीज है जो कटु सत्य का अनुभव कराती है,माया-मोह से दूर ले जाती है।भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि तू कर्म कर, फल की चिंता मत कर।दारू पी और डट कर पी,फल तुझे परमात्मा देंगे।परमात्मा ने तेरे लिए ही महुआ पैदा किया,अंगूर फलाया।अब तेरी मर्जी है कि फलाहार कर या रस पी।लोग तुझे लाख डराएं कि किडनी खराब हो जाएगी,लिवर डेमेज हो जाएगा पर तू मत डर।जो डर गया सो बिना दारू पिये भी मर गया।
दारू की महिमा यदि जानना हो तो रामलाल से मिल लो,सत्तर की उमर में भी जवान लगते हैं।सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि सारे पियक्कड़ों की फिलॉसफी रामलाल की ही फिलॉसफी से मेल खाती है।बुद्धि की अदभुत समानता शराबियों में मिलती है।यदि हमारी बात पर यकीन न हो तो शोध कर लें।हमारी बात आप अक्षरशः सही पाएंगे।