November 22, 2024

नो स्मोकिंग डे आज : जिले में जागरूकता अभियान चलाकर स्वास्थ्य केंद्रों में तम्बाकू सेवन न करने की दिलायी जाएगी शपथ

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बिलासपुर. कई बार लोग खुद धूम्रपान नहीं करते हैं मगर धूम्रपान करने वाले दोस्तों, रिश्तेदारों और परिवारजनों के बीच रहकर सेकंड हैंड स्मोकिंग यानि दूसरों के धूम्रपान के धुंए का सेवन करते हैं। ऐसे लोगों को भ्रम हो सकता है कि उन्हें कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा इसलिए नहीं है क्योंकि वह  तो सिगरेट पीते ही नहीं। मगर सेकंड हैंड स्मोकिंग भी उतनी ही खतरनाक है जितनी कि खुद सिगरेट पीने वाले को । यह कहना है सीएमएचओ डॉ. प्रमोद महाजन का। यह बातें उन्होंने मार्च माह के दूसरे बुधवार को मनाये जाने वाले “नो स्मोकिंग डे” की पूर्व संध्या पर कहीं।  उन्होंने कहा, “नो स्मोकिंग डे  पर पूरे जिले भर में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। साथ ही सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर मरीजों का इलाज के साथ ही उन्हें “धूम्रपान न करना है-न करने देना है” के लिए शपथ  दिलाई जाएगी। डॉ. महाजन ने बताया “सेकंड हैंड स्मोकिंग से सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को होता है, क्योंकि उनके फेफड़े और अंग नाजुक होते हैं इसलिये वह प्रदूषण, धुंए या धूम्रपान के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं। इसका खामियाजा सबसे ज्यादा उन बच्चों को भुगतना पड़ता है जिनके मां-बाप या इनमें से कोई एक स्वयं धूम्रपान करता है। धूम्रपान के संपर्क में रहने से बच्चों को दांतों संबंधी कई समस्याएं हो सकती हैं। इसके बच्चों में कैंसर, शुगर, सांस संबंधी कई बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है”।

जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन और ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ. प्रमोद महाजन ने कहा “गर्भवती महिला और उसके होने वाले बच्चे दोनों के लिए सेकंड हैंड स्मोकिंग खतरनाक हो सकती है। स्मोकिंग के धुंए के प्रभाव से बच्चे का विकास रुक सकता है और गर्भपात भी हो सकता है। धूम्रपान के धुंए की वजह से SIDS (सडेन इंफैंट डेथ सिन्ड्रोम) का खतरा बढ़ जाता है। इस रोग में पैदा हुए बच्चों की एक साल के अंदर बिना किसी कारण के मौत हो सकती है। कई बार बच्चा समय से पहले पैदा हो सकता है यानि प्री-मेच्योर डिलिवरी हो सकती है, बच्चे का वजन सामान्य से कम हो सकता है, बच्चे की मानसिक क्षमता सामान्य से कम हो सकती है, उसके सीखने और समझने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। अगर मां खुद धूम्रपान करती है तो यह सारे खतरे कई गुना तक बढ़ जाते हैं। जिला अस्पताल के आरएमओ डॉ. सीबी मिश्रा ने कहा “धूम्रपान से तात्पर्य सिर्फ सिगरेट पीने से नहीं है बल्कि इसके अंतर्गत बीड़ी, तम्बाकू युक्त पदार्थ, सिगार और पाइप भी शामिल हैं। तम्बाकू में लगभग 4,000 केमिकल कंपाउंड होते हैं, जिनमें से लगभग 250 केमिकल्स जानलेवा हो सकते हैं”।

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