July 1, 2024

वर्षों पुरानी सड़कों को बंद कर जनभावनाओं से खिलवाड़ कर रहे है रेलवे अफसर

बिलासपुर/अनिश गंधर्व.  वर्षों पुरानी सड़कों को बंद किए जाने के विरोध में सर्वदलीय मंच के पदाधिकारियों ने रेल अफसरों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि नैतिकता के नाते रेल मंत्री को इस्तीफा दे देनी चाहिए। बिलासपुर वासियों ने रेल सुविधाओं में विस्तार के लिए हर कदम साथ निभाया है किंतु अफसर मनमानी रवैया अपना कर आम जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। रेलवे परिक्षेत्र का गंदा पानी आज भी अरपा नदी में प्रवाहित किया जा रहा है। निस्तारी के लिए उचित व्यवस्था करना तो दूर आम जनता के लिए रास्तों को बंद करके रेल अधिकारी जनभावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। सर्वदलीय मंच के माध्यम से संयोजक रवि बैनर्जी कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता अभय नारायण राय, ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन के शौकत अली, राजेश शर्मा, राकेश शर्मा, पवन शर्मा, जसबीर सिंह चावला ने एक स्वर में रेलवे द्वारा किए कृत्य की घोर निंदा की है।

प्रेस क्लब पहुंचे पदाधिकारियों ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए एसईसीआर बिलासपुर के रेलवे अधिकारियों पर कई गंभीर आरोप लगाए। इतना ही नही लगातार हो रहे रेल हादसों का जिम्मेदार भी सर्वदलीय एवं जनसंगठनों के संयुक्त मंच ने रेल मंत्री को माना और कहा, ऐसे गैरजिम्मेदार रेल मंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए। सर्वोदय मंच ने कहा कि एसईसीआर रेलवे के अधिकारियों ने अड़ियल रवैया अपनाते हुए पहले तो बुधवारी बाजार और चुचुहियापारा जाने वाले वर्षों पुरानी मार्ग पर खंभा गाड़ दिया। उसके बाद फिर भारत माता स्कूल से रेलवे हॉस्पिटल जाने वाले वर्षों पुराने सड़क को अवैध तरीके से हमेशा के लिए बंद कर दिया।फिर धीरे-धीरे केंद्रीय विद्यालय से गुरुनानक चौक जाने वाले मार्ग के आसपास रेलवे सीमा में प्रवेश वाले मार्ग को बन्द किया। साथ ही तारबाहर खुदीराम बोस चौक वाले रास्ते पर भी खूंटा गाड़ दिया। इसका विरोध भी किया गया लेकिन अबतक रेलवे के अधिकारी मौन है।इसी के साथ रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव के कार्यकाल के दौरान अबतक 536 रेल हादसे हुए जिसपर रेल मंत्री ने हमेशा ही रेल कर्मचारियों को ही दोषी माना। इसी तरह वर्तमान में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी के पास हुए ट्रेन हादसे में भी रेलमंत्री ने ड्राइवर को दोषी मानकर उसे सस्पेंड कर दिया ।संगठन के अनुसार सिग्नल 6 घंटे से फेल था एवं सबसे बड़ी लापरवाही की बात यह है कि रेल्वे द्वारा सिग्नल में मेंटेनेंस का कार्य प्राइवेट ठेकेदारों द्वारा करवाया जाता है। रेल्वे के नियमानुसार ड्राईवर को आठ घंटे की ड्यूटी के पश्चात् अनिवार्यतः विश्राम दिया जाना हैं, परंतु दुर्घटनाग्रस्त मालगाड़ी के ड्राइवर को लगातार तीन पालियों में रात्रि की ड्यूटी करने के पश्चात् विश्राम से उठाकर दबावपूर्वक ड्यूटी में भेज दिया गया। रेल मंत्री दुर्घटना की जांच पूर्ण हुए बिना मालगाड़ी के ड्राईवर को इस दुर्घटना का जिम्मेदार बताकर देश की आम जनता के समक्ष गलत तथ्य प्रस्तुत कर रहे हैं।इन दुर्घटनाओं का मूल कारण रेलवे की संरक्षा के डेढ़ लाख पद खाली हैं एवं कुल रिक्तियाँ तीन लाख से अधिक है। सवारी रेलगाड़ी की संख्या लगातार बढ़ रही है। काम का दबाव बढ़ रहा है। यार्ड, पटरी एवं प्लेटफॉर्म की संख्या सीमित है। 1974 में 24 लाख रेल कर्मी सेवा में थे। 2024 में रेलों की संख्या 100 गुना बढ़ चुकी है। कर्मचारियों के स्वीकृत पद 15 लाख हैं परंतु अभी 12 लाख कर्मचारी कार्यरत है एवं 3 लाख पद खली हैं। ठेका करण के कारण सुरक्षा से अनवरत खिलवाड़ हो रहा है। बुलेट ट्रेन, वंदेभारत जैसी नई ट्रेन चलाने की बजाए रेलवे की आधारभूत संरचना का विकास आज की प्राथमिक आवश्यकता है।

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