November 25, 2024

राजीव गांधी किसान न्याय योजना किसानों की समृद्धि का आधार : कांग्रेस

रायपुर. राजीव गांधी किसान न्याय योजना राज्य के आर्थिक विकास का मजबूत आधार साबित होगी। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि राजीव गांधी किसान न्याय योजना की चौथी किश्त के भुगतान के साथ स्पष्ट हो गया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार और कांग्रेस पार्टी जो कहती है वह करती है। एक तरफ जब देश भर के किसान समर्थन मूल्य के लिये महिनों से आंदोलित है, सड़कों पर है उस समय छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने अपने राज्य के 21.5 लाख किसानों से लगभग 91.5 लाख मीट्रिक टन धान घोषित समर्थन मूल्य में खरीद कर एक रिकार्ड बनाया है। धान खरीदी के बाद राज्य के किसानों को प्रोत्साहित करने के लिये कांग्रेस सरकार ने किसानों को न्याय योजना के माध्यम से 10 हजार रू. प्रति एकड़ की सहायता दे रही है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना में धान, गन्ना, मक्का उत्पादक किसानों को पहले वर्ष की चौथी किश्त के 1104.27 करोड़ रू. मिलेंगे। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के दूसरे चरण में धान, गन्ना, मक्का के अलावा दलहन, तिलहन, गौण अन्न रागी, कोदो, कुटकी उत्पादक किसानों को भी शामिल किया जायेगा। इस योजना में भूमिहीन और सीमांत किसानों को शामिल कर मुख्यमंत्री ने राज्य की एक बड़ी आबादी की आर्थिक उन्नति के द्वारा खोल दिये है। 
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र सरकार की वक्रदृष्टि किसानों के हित में चलाई जा रही  राजीव गांधी किसान न्याय योजना पर भी पड़ चुकी है। पूर्व में केन्द्र सरकार ने इस योजना को धान पर बोनस तो नहीं का सवाल राज्य से किया था। भाजपा के रमन सिंह जैसे नेताओं ने बार-बार न्याय योजना को धान का बोनस बताने का प्रयास कर राज्य के खिलाफ केन्द्र सरकार को दिग्भ्रमित भी किया है। इसी का परिणाम है कि मोदी सरकार ने राज्य से सेन्ट्रल पुल में 60 लाख मीट्रिक टन चावल लेने की सहमति के बाद उसमें कटौती कर 24 लाख मीट्रिक टन कर दिया। भाजपा के रमन सिंह जैसे नेताओं के राज्य विरोधी अभियान का दुष्परिणाम है कि राज्य सरकार 1865 रू. के समर्थन मूल्य में किसानों से धान की खरीदी कर खुले बाजार में लगभग 1400 रू. में नीलामी करने को मजबूर है। भाजपा और केन्द्र की मोदी सरकार छत्तीसगढ़ के किसानों के धान के इतने ज्यादा विरोध में उतर आये हैं कि राज्य के किसानों का धान न तो खुद ले रहे है और न ही उससे एथेनॉल बनाने की अनुमति देना चाहते है।

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