देव उठनी एकादशी से शुरु हुआ अंचल में रावत नाच महोत्सव

 गढ़वा बाजा की बुकिंग करने गोंडपारा पहुंचे यादव समाज के लोग

 

बिलासपुर/अनिश गंधर्व. देव उठनी एकादशी पर्व को छोटी दीवाली के रूप में मनाया जाता है। गांवों में इस पर्व को पारंपारिक तरीके से मनाते हैं। गाय की पूजा कर घर-घर में राउत आर्शिवाद देने जाते हैं, इसके एवज में उन्हें उपहार देने की परंपरा है। ग्रामीण इलाके में यादव जाति के लोग नाच गाकर 10-15 दिनों उत्सव मनाते हैं, इसके लिए गढ़वा बाजा जरूरी होता हैं। आज गोंडपारा में आस पास के गांवों के यादव बंधु गढ़वा बाजा बुक कर अपने अपने गांव लौट गए देवउठनी एकादशी पर्व पूरे अंचल में धूमधाम से मनाया जाएगा। तुलसी विवाह को देवी-देवताओं के जागने के पर्व के रुप में मनाया जाता है। शहर व आस पास के क्षेत्रों में राउत नाच महोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। पुराने समय से जिले में इस उत्सव मनाने की परंपरा चली आ रही है। हालांकि बदलते जमानों में कुछ कमियां आई है लेकिन लोग आज भी परंपरा को नहीं भुले हैं। बिलासपुर शनिचरी बाजार में राज्य का सबसे बड़ा राउत नाच महोत्सव का आयोजन किया गया है। इसी के साथ तखतपुर, कोटा, सकरी, गनियारी, महमंद में महोत्सव का आयोजन जाएगा। इसकी तैयारी के यादव बंधु आज गोड़पारा में गढ़वा बाजा बुकिंग करने आये थे। यहां 10 से 15 दिनों के लिए गढ़वा बाजा डेढ़ से दो लाख रुपए तक भाव लगता रहा। आस पास के गांवों के यादव समाज के लोग भारी संख्या में गोड़पारा पहुंचे यहां मेला जैसा माहौल रहा। दोनों हाथ में लाठी लेकर पहुंचे यादव बंधु दोहा बोलकर गढ़वा बाजा की धुन में थिरकते रहे। इस पारंपारिक महोत्सव को मनाने छ.ग.और उड़ीसा से गढ़वा बाजा बजाने वाले लोग भी सजधज मेले का हिस्सा बने।

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