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आवास निर्माण की मिल रही तकनीकी जानकारी : जिले के विकासखण्ड कोटा के ग्राम पंचायत छेरकाबांधा में रहने वाले श्री राजू साहू को प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण अंतर्गत वर्ष 2019-20 में पक्का आवास स्वीकृत हुआ। योजना का लाभ मिलने से पहले श्री साहू कच्चे मकान में जैसे तैसे गुजर-बसर कर रहे थे। उन्होंने बताया कि मकान कच्चा होने से बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता था। बारिश में उनका मकान क्षतिग्रस्त तो होता ही था और साथ में घर की दीवारों में पानी का रिसाव होने से पूरे घर में नमी बनी रहती थी। योजना का लाभ मिलने से श्री साहू बहुत ही खुश है। एक मजबूत और पक्का आवास बन जाने से अब मौसम की चिंता भी नहीं रहती। अब वे निंश्चित होकर अपने पक्के मकान में रहते है और योजना का लाभ पाकर शासन का धन्यवाद करते है। उल्लेखनीय है कि ग्राम छेरकाबांधा में प्रधानमंत्री आवास योजना के सफल क्रियान्वयन हेतु समय-समय पर योजना से संबंधित समस्त जानकारी ग्रामीणों को दी जाती है। हितग्राहियों से मिली जानकारी अनुसार उनकी समस्याओं का निदान जैसे- हितग्राहियों को आवास निर्माण की सामग्री सही कीमत पर दिलाना, सेट्रिंग प्लेट आदि की व्यवस्था आदि किया जाता है। छेरकाबांधा में जनपद पंचायत की आवास टीम एवं ग्राम पंचायत के सहयोग से हितग्राहियों को आवास निर्माण संबंधी तकनीकी मार्गदर्शन एवं कार्यशाला का आयोजन किया जाता है। जिसके फलस्वरूप आवास निर्माण कार्याें में निरंतर प्रगति देखने का मिल रहा है। जनपद पंचायत कोटा में अब तक कुल 10 हजार 661 हितग्राहियों को आवास स्वीकृत हुए, जिनमें से 10 हजार 660 हितग्राहियों को पहले किश्त की राशि, 10 हजार 378 हितग्राहियों को दूसरी किश्त की राशि, 9 हजार 684 हितग्राहियों को तीसरे किश्त की राशि एवं 2 हजार 987 हितग्राहियों को चौथे किश्त की राशि जारी की चुकी है। अब तक 9 हजार 172 हितग्राहियों के आवास पूरे हो चुके है।
साहित्यकार, इतिहासकार और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी संजय अलंग को वर्ष 2023 का सरस्वती साहित्य सम्मान : इस वर्ष का प्रतिष्ठित सरस्वती साहित्य सम्मान साहित्यकार और इतिहासकार डॉ. संजय अलंग को दिए जाने की घोषणा की गई है। यह पुरस्कार उनके द्वारा छत्तीसगढ़ की इतिहास और संस्कृति पर किए विशिष्ट शोधों और शोधात्मक इतिहास लेखन को रेखांकित करते हुए दिया जा रहा है। चयन समिति ने एक मत से संजय अलंग का पुरस्कार हेतु चयन किया। पुरस्कार घोषणा के साथ यह कहा गया है कि, डॉ. अलंग के शोधों ने छत्तीसगढ़ से संबंधित कई भ्रांतियों का खंडन कर नए तथ्यों को संदर्भ और प्रमाण के साथ सामने लाने का महत्वपूर्ण कार्य किया और शोध के लिए नए आयाम खोले। इतिहास को लिखने और देखने की शोध दृष्टि विकसित कर नए शोधार्थियों को प्रेरित भी किया। उनके द्वारा छत्तीसगढ़ पर किया गया काम अत्यधिक महत्वपूर्ण और विशिष्ट है। इस हेतु उन्हें केन्द्र के मानव संसाधन और शिक्षा मंत्रालय से सर्वश्रेष्ठ शोध शिक्षा लेखन का सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है। डॉ. संजय अलंग की छत्तीसगढ़ पर 10 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हैं। डॉ. संजय अलंग की इन पुस्तकों में – छत्तीसगढ़: इतिहास और संस्कृति, छत्तीसगढ़ की रियासतें और ज़मींदारियां, छत्तीसगढ़ की जनजातियाँ और जातियाँ, छत्तीसगढ़ के हस्तशिल्प, छत्तीसगढ़ का भूगोल, छत्तीसगढ़ की संस्कृति, छत्तीसगढ़ के त्योहार और उत्सव आदि सम्मिलित हैं । संजय अलंग के 3 कविता संग्रह भी प्रकाशित हैं । यह हैं – शव, पगडंडी छिप गई थी और नदी उसी तरह सुन्दर थी जैसे कोई बाघ। डॉ. संजय अलंग को यह सम्मान पं. बबन प्रसाद मिश्र स्मृति समारोह के दौरान प्रदान किया जाएगा और इस अवसर पर उनका एक शोध आधारित व्याख्यान होगा, जिसका विषय है – छत्तीसगढ़ में छत्तीस और गढ़ क्या और कैसे? ज्ञातव्य हो को कि, हाल ही में संजय अलंग को उनके नवीन कविता संग्रह – नदी उसी तरह सुन्दर थी जैसे कोई बाघ- पर प्रतिष्ठित सूत्र सम्मान दिए जाने की भी घोषणा हुई थी।