May 29, 2023
सर्व आदिवासी समाज ने की आदिवासी मुख्यमंत्री बनाने की मांग, कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
बिलासपुर. सर्व आदिवासी समाज छत्तीसगढ़ के कार्यकर्ताओं ने प्रदेश में छत्तीसगढ़िया मुख्यमंत्री की मांग करते हुए कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। कार्यकर्ताओं ने कहा कि पृथक छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण से राज्य के आदिवासी समुदाय में यह उम्मीद जगी थी कि अपने राज्य में समस्याओं की सुनवाई एवं त्वरित निपटान होगा, लेकिन बीस वर्षों से भी अधिक अवधि बीत जाने के बाद भी आदिवासी समाज अपने नैसर्गिक एवं संवैधानिक हक हिस्से से वंचित है।
छतीसगढ़ राज्य में आदिवासी समुदाय जनसंख्या में 32 प्रतिशत एवं क्षेत्रफल मे लगभग 65 प्रतिशत भू-भाग में निवासरत हैं। भारतीय संविधान से उनकी भाषा, भूमि, रिवाज, और आस्था को संरक्षण प्राप्त है। लेकिन यह दुख के साथ लिखना पड़ रहा है कि उपरोक्त सभी बातों पर सुविचारित और सुनियोजित ढंग से हमला हो रहा है। जिससे क्षुब्ध होकर आदिवासी समुदाय विगत तीन वर्षो से से आंदोलनरत है। शासन प्रशासन के रवैये से यह लगता है कि आदिवासी समाज के समस्याओं के प्रति शासन गंभीर एवं संवेदनशील नहीं है।जिले में समाज ने आदिवासी भूमि की गैर आदिवासी को विक्रय अनुमति के इश्तहार के जवाब में अब तक चौदह आपत्ति दर्ज किया है। इन सभी प्रकरणों में आरटीआई के तहत जानकारी मांगी गई है जो एक महीने बीत जाने बाद भी उपलब्ध नहीं हुई है। जानकारी अविलम्ब दी जाए और आदिवासी भूमि का गैर आदिवासीकरण बंद किया जाए। पेंड्रीडीह चौराहा को छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद वीर नारायण सिंह के नाम दिया जाय और वहां आदमकद मूर्ति स्थापित किया जाए। मंगला चौक पर बिरसा मुंडा का आदमकद प्रतिमा स्थापित किया जाए।
रतनपुर के महमाई दाई, चन्द्रपुर के चंद्रसेनी दाई, डोंगरगढ़ के बमलाई दाई के मंदिर में आदिवासी परम्परा के अनुसार सेवा-पूजा दिया जाता था. लेकिन अभी ट्रस्ट बनाकर पारम्परिक आदिवासी सेवा का स्वरुप बदल दिये गया है। ट्रस्ट में आदिवासियों को ही रखा जाए और आदिवासी परंपरा के अनुसार सेवा पूजा दिया जाए। बिलासपुर नगर निगम के व्यवसायिक केन्द्रों व शापिंग सेंटर में दुकान आबंटन में आदिवासियों के लिए जगह आरक्षित किया जाए और इसे प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मिडिया में प्रचारित किया जाए। परमेश्वरी श्याम पति रमेशचंद्र श्याम जाति गोंड़ के मोपका के कृषि भूमि खसरा नं 2309/4 रकबा 0.25 एकड़ को पटवारी, राजस्व निरीक्षक एवं तहसीलदर के मिलीभगत से कूटरचित सीमांकन के आधार पर गैर आदिवासी नरेंद्र मोटवानी ने कब्ज़ा कर बेच दिया है. छ.ग. जनजाति आयोग रायपुर द्वारा अजाक थाना बिलासपुर को मोटवानी विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है। यह प्रकरण वर्ष 2019 से अजाक थाना में लंबित है. इस प्रकरण पर अविलम्ब प्राथमिकी दर्ज किया जाए। समय सिंह गोंड निवासी रीवर व्यू कालोनी, कोनी बिलासपुर ने गैर आदिवासी द्वारा जाति सूचक गाली देने पर अजाक थाना सरकेदडा में शिकायत की गई है, लेकिन,वआज तक प्राथमिकी दर्ज नहीं किया है। प्राथमिकी अविलम्ब दर्ज किया जाए। आदिवासियों के जमीन पर गैर आदिवासियों के कब्जे के प्रकरणों पर शासन संवेदनशील होकर प्रभावी कार्यवाही करे। चार सौ से भी अधिक फर्जी आदिवासी प्रमाण पत्र धारक शासकीय कर्मचारियों पर अविलम्ब कार्यवाही किया जाए। बस्तर में सुकमा जिले के सिलगेर में निर्दोष ग्रामीणों पर अंधाधुंध गोलीबारी में मृतको के परिजनों को पांच पाँच लाख मुआवजा दिया जाए और मृतक परिवार के एक व्यक्ति योग्यता नुसार शासकीय नौकरी दिया जाए। एडसमेटा के फर्जी मुठभेड़, सारकेगुड़ा और ताड़मेटला में आदिवासियों पर हुए अत्याचार के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों पर कानूनी कार्यवाही किया जाए।शासकीय सेवा में पदोन्नति में आरक्षण तत्काल लागू किया जाए। पांचवी अनुसूचित क्षेत्र में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों में आदिवासियों के लिए क्षेत्र केआदिवासी जनसँख्या के प्रतिशत के बराबर आरक्षण के अनुसार उसी जिले के अभ्यार्थियों से ही नियुक्ति दिया जाए।
स्वामी आत्मानन्द विद्यालय के लिए नियुक्ति में भी आरक्षण रोस्टर पद्धति का अनुपालन किया जाए। वर्षों से लंबित बैकलॉग आरक्षित पदों पर तत्काल भर्ती प्रारंभ किया जाए। छात्रवृत्ति योजना में आरक्षित वर्ग के पालकों का निर्धारित वार्षिक आय की सीमा ढाई लाख रुपये को तत्काल समाप्त किया जाए।
छतीसगढ़ राज्य में आदिवासी समुदाय जनसंख्या में 32 प्रतिशत एवं क्षेत्रफल मे लगभग 65 प्रतिशत भू-भाग में निवासरत हैं। भारतीय संविधान से उनकी भाषा, भूमि, रिवाज, और आस्था को संरक्षण प्राप्त है। लेकिन यह दुख के साथ लिखना पड़ रहा है कि उपरोक्त सभी बातों पर सुविचारित और सुनियोजित ढंग से हमला हो रहा है। जिससे क्षुब्ध होकर आदिवासी समुदाय विगत तीन वर्षो से से आंदोलनरत है। शासन प्रशासन के रवैये से यह लगता है कि आदिवासी समाज के समस्याओं के प्रति शासन गंभीर एवं संवेदनशील नहीं है।जिले में समाज ने आदिवासी भूमि की गैर आदिवासी को विक्रय अनुमति के इश्तहार के जवाब में अब तक चौदह आपत्ति दर्ज किया है। इन सभी प्रकरणों में आरटीआई के तहत जानकारी मांगी गई है जो एक महीने बीत जाने बाद भी उपलब्ध नहीं हुई है। जानकारी अविलम्ब दी जाए और आदिवासी भूमि का गैर आदिवासीकरण बंद किया जाए। पेंड्रीडीह चौराहा को छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद वीर नारायण सिंह के नाम दिया जाय और वहां आदमकद मूर्ति स्थापित किया जाए। मंगला चौक पर बिरसा मुंडा का आदमकद प्रतिमा स्थापित किया जाए।
रतनपुर के महमाई दाई, चन्द्रपुर के चंद्रसेनी दाई, डोंगरगढ़ के बमलाई दाई के मंदिर में आदिवासी परम्परा के अनुसार सेवा-पूजा दिया जाता था. लेकिन अभी ट्रस्ट बनाकर पारम्परिक आदिवासी सेवा का स्वरुप बदल दिये गया है। ट्रस्ट में आदिवासियों को ही रखा जाए और आदिवासी परंपरा के अनुसार सेवा पूजा दिया जाए। बिलासपुर नगर निगम के व्यवसायिक केन्द्रों व शापिंग सेंटर में दुकान आबंटन में आदिवासियों के लिए जगह आरक्षित किया जाए और इसे प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मिडिया में प्रचारित किया जाए। परमेश्वरी श्याम पति रमेशचंद्र श्याम जाति गोंड़ के मोपका के कृषि भूमि खसरा नं 2309/4 रकबा 0.25 एकड़ को पटवारी, राजस्व निरीक्षक एवं तहसीलदर के मिलीभगत से कूटरचित सीमांकन के आधार पर गैर आदिवासी नरेंद्र मोटवानी ने कब्ज़ा कर बेच दिया है. छ.ग. जनजाति आयोग रायपुर द्वारा अजाक थाना बिलासपुर को मोटवानी विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है। यह प्रकरण वर्ष 2019 से अजाक थाना में लंबित है. इस प्रकरण पर अविलम्ब प्राथमिकी दर्ज किया जाए। समय सिंह गोंड निवासी रीवर व्यू कालोनी, कोनी बिलासपुर ने गैर आदिवासी द्वारा जाति सूचक गाली देने पर अजाक थाना सरकेदडा में शिकायत की गई है, लेकिन,वआज तक प्राथमिकी दर्ज नहीं किया है। प्राथमिकी अविलम्ब दर्ज किया जाए। आदिवासियों के जमीन पर गैर आदिवासियों के कब्जे के प्रकरणों पर शासन संवेदनशील होकर प्रभावी कार्यवाही करे। चार सौ से भी अधिक फर्जी आदिवासी प्रमाण पत्र धारक शासकीय कर्मचारियों पर अविलम्ब कार्यवाही किया जाए। बस्तर में सुकमा जिले के सिलगेर में निर्दोष ग्रामीणों पर अंधाधुंध गोलीबारी में मृतको के परिजनों को पांच पाँच लाख मुआवजा दिया जाए और मृतक परिवार के एक व्यक्ति योग्यता नुसार शासकीय नौकरी दिया जाए। एडसमेटा के फर्जी मुठभेड़, सारकेगुड़ा और ताड़मेटला में आदिवासियों पर हुए अत्याचार के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों पर कानूनी कार्यवाही किया जाए।शासकीय सेवा में पदोन्नति में आरक्षण तत्काल लागू किया जाए। पांचवी अनुसूचित क्षेत्र में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों में आदिवासियों के लिए क्षेत्र केआदिवासी जनसँख्या के प्रतिशत के बराबर आरक्षण के अनुसार उसी जिले के अभ्यार्थियों से ही नियुक्ति दिया जाए।
स्वामी आत्मानन्द विद्यालय के लिए नियुक्ति में भी आरक्षण रोस्टर पद्धति का अनुपालन किया जाए। वर्षों से लंबित बैकलॉग आरक्षित पदों पर तत्काल भर्ती प्रारंभ किया जाए। छात्रवृत्ति योजना में आरक्षित वर्ग के पालकों का निर्धारित वार्षिक आय की सीमा ढाई लाख रुपये को तत्काल समाप्त किया जाए।