एसईसीएल ने अपात्रों को दी भू अर्जन के बदले नौकरी

 

 

 

 

 

बिलासपुर। एसईसीएल में भू अर्जन के बदले नौकरी से वंचित पीड़ित परिवारों ने शुक्रवार को कोरबा से आकर बिलासपुर प्रेस क्लब में पत्रकारों के सामने अपनी पीड़ा बताई। कोरबा से आए दोनों पीड़ित ईश्वर दत्त और मुकरदम ने सिलसिले वार उनके साथ हुई धोखाधड़ी की जानकारी दी गई। मुकरदम ने बताया कि एसईसीएल गेवरा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम जुनाडीह में मेरे नाम पर भूमि स्वामी हक की भूमि खसरा नंबर 440 /4 और 441/ 1 कुल रकबा 5 डिसमिल जमीन है जिसके एवज में नौकरी की पात्रता है। इसके बदले मेरे पुत्रों को नौकरी देना चाहता हूं। इस वास्ते गेवरा प्रोजेक्ट में कार्यरत प्रमोद कुमार शर्मा एवं अरुण पांडे को पुत्र की नौकरी के खर्च के रूप में ₹20000 दिया। कुछ दिन बाद प्रमोद कुमार शर्मा द्वारा मेरे घर पर गेवरा से मूल ऋण पुस्तिका यह कह कर ले गया की नौकरी के लिए जरूरी है। बार-बार पूछने पर नौकरी में कुछ देरी है कह कर सांत्वना देता रहा। जब हद पार हो गई तो 2006 में एसईसीएल के ऑफिस गया वहां बताया गया कि मुकरदम यानि मेरी मेरी मृत्यु हो जाने के कारण फौती नामांतरण कर प्रदीप कुमार पिता कांशी प्रसाद शर्मा को नौकरी दे दी गई है। वास्तविकता यह है कि मैं अभी भी जीवित हूं और प्रभु की कृपा से पेंशन पा रहा हूं। ध्यान देने वाली बात यह है कि प्रदीप कुमार शर्मा और काशी प्रसाद शर्मा से उनका दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं है। वह ब्राह्मण जाति के है और मैं मुसलमान। इतना ही नहीं मेरे जीते जी मृत्यु प्रमाण पत्र कैसे बना, फौती कैसे उठी, नौकरी कैसे लगी। मेरी ऋण पुस्तिका को पाकर प्रमोद शर्मा ने जो पहले से गेवरा में नौकरी करता था अपने भाई प्रदीप शर्मा को नौकरी लगा दिया और घुमाते रहे। बाद में जब हमें पता चल गया तो जान से मारने की धमकी दी गई। जिसकी रिपोर्ट मेरे द्वारा पुलिस अधिकारी एवं डीपी सीएमडी एसईसीएल बिलासपुर से की गई। किस कारण कार्यवाही नहीं हुई अभी भी मेरे द्वारा आरटीआई के तहत पूरे कागजात एसईसीएल से मांगा गया तो नहीं दिया गया है। जबकि सारे दस्तावेज कार्यालय में ही है। जिसकी पुष्टि महाप्रबंधक के पत्र क्रमांक 3326 दिनांक 20.12.2024 के द्वारा होती है। इसी तरह ईश्वर दत्त कश्यप नेहरू नगर बालकों निवासी ने भी पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि एसईसीएल द्वारा छत्तीसगढ़ के कई ग्रामों को कोयला खदान के लिए आंशिक या पूर्ण रूप से अधिकृत किया गया है। भू अर्जन के एवज में वास्तविक भूविस्थापितों को कंपनी में नौकरी देने का नियम पात्रता अनुसार है किंतु इस नियम का दुरुपयोग कर अधिकारियों द्वारा कूटरचना और भयंकर षड्यंत्र कर आपात्रों को नौकरी बेची गई। उन्होंने बताया कि उनकी सगी बहन सरोज बाई के नाम पर ग्राम मनगांव तहसील दीपिका जिला कोरबा में भूस्वामी हक की भूमि खसरा नंबर 378/12 रकबा 81 डिसमिल जमीन थी इस भूमि के एवज में सरोज बाई के पति रामचरण को गेवरा प्रोजेक्ट में नौकरी दी जा चुकी है किंतु भ्रष्ट अधिकारियों ने षडयंत्र पूर्वक सरोज भाई पिता स्वर्गीय सुमन प्रसाद ग्राम मनगांव की जमीन खसरा नंबर 378/12 लगभग 81 डिसमिल अर्थात सेम भूमि के बदले विजय कुमार पिता जगदीश प्रसाद को सरोज बाई का पुत्र बताते हुए नौकरी के लिए कूट रचना करके फॉर्म भरवाया गया। तथा नियुक्ति पत्र में खसरा नंबर गलत लिखकर 387/12 अंकित कर फर्जी नियुक्ति पत्र जारी कर दिया गया जबकि वास्तविकता यह है की खसरा नंबर 387/12 कंपनी द्वारा अर्जित ही नहीं की गई है। इस संबंध में विशेष बात यह है की मां सरोज बाई की उम्र पुत्र विजय कुमार से कम है। साथ ही विजय कुमार का सगा भाई कोरबा सरिया के मुख्य चिकित्सालय में कार्यरत है जिसमें सेवा पुस्तिका में उसकी मां का नाम दर्ज है इसके अतिरिक्त विजय कुमार के पिता सेवानिवृत्ति शासकीय शिक्षक हैं जिनके सेवा पुस्तिका में पत्नी का नाम सावित्री कौशिक दर्ज है। सारे सबूत होने के बावजूद मिली भगत और सैकड़ो बार शिकायत करने पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई। प्रधानमंत्री और पुलिस विभाग के अलावा विभागीय अधिकारियों से भी शिकायत की गई है पर शासन को भ्रमित करने वाले जवाब देते हुए अब तक वे बचे हुए हैं।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!