स्वामी सहजानंद सरस्वती किसान नेता स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राष्ट्रवादी एवं दण्डीस्वामी के रूप में आजादी के आंदोलन के कार्यकाल में देश का नेतृत्व किया- प्रताप पाण्डेय

  1. भूमिहार ब्राम्हण समाज में स्वामी सहजानंद सरस्वती की जन्म जंयती मनाई

 

 

बिलासपुर:  स्वामी सहजानंद सरस्वती भूमिहार ब्राम्हण समाज में ग्राम महमंद स्थित सामाजिक भवन में स्वामी सहजानंद जी की जयंती मनाई। जयंती समारोह के मुख्य अतिथि एवं प्रमुख वक्ता प्रोफेसर प्रताप पाण्डेय प्रचार्य डीएलएस कॉलेज बिलासपुर संरक्षक गायत्री समाज चांटीडीह एवं कार्यक्रम के अध्यक्षता डॉ. के.एन चौधरी सेवानिवृत्ति चिकित्सक सिम्स बिलासपुर विशिष्ट अतिथि सुधीर झॉ सचीव पाटलीपुत्र सांस्कृतिक विकास मंच आरपी सिंग पूर्व अध्यक्ष भुमिहार ब्राम्हण समाज उपस्थित रहे। समाज के अध्यक्ष नवीन सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया एवं स्वामी सहजानंद भगवान परशुराम के तैल चित्र की पूजा अर्चना कर दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। समाज के सचिव राजीव कुमार ने साल श्रीफल से अतिथियों का स्वागत किया।
कार्यक्रम के अध्यक्षता कर रहे डॉ. के.एन चौधरी ने स्वामी जी के जीवन परिचय पर प्रकाश डाला उनके लिखि किताबो की जानकारी दी। स्वामी जी द्वारा किसानों के हित में किये गये आंदोलनो एवं सुझाओ की विस्तृत जानकारी प्रदान की।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रताप पाण्डेय ने स्वामी सहजानंद सरस्वती के बारे में बताते हुए कहा कि स्वामी सहजानंद सरस्वती भारत के राष्ट्रवादी नेता एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे वे भारत के किसान आंदोलन के जनक थे। स्वामी सहजानंद आदि शंकराचार्य परंम्परागत दण्डी सन्यासी थे। स्वामी जी का जन्म महाशिवरात्री को हुआ था। पाण्डेय ने प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वामी जी के जीवन को हम समझने के लिए तीन भागो में बांट सकते है 1889 से 1920 प्रारंम्भिक जीवनकाल अप्ल वैवाहिक जीवन दीक्षा प्राप्त कर अध्यात्मिक जीवन का असर दिखा। 1920 से 1936 का कालखण्ड महात्मागांधी एवं कांग्रेस के स्वतंत्रता आंदोलन के खण्डकाल का रहा। महात्मागांधी से मुलाकात के पश्चात वे स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेने लगे और किसानों को संगठित करने का काम उन्होने किया, इस दरमियान उनको जेल यात्राये भी करनी पड़ी। 1936 से 1950 तक के कार्यकाल में वे किसान नेता के रूप मे पूरे देश में स्थापित हो गये थे। बिहार में किसान आंदोलन को खडा करने के पश्चात उन्होंने अखिल भारतीय किसान सभा बनाकर उसका नेतृत्व किया। इसी कालखण्ड में 1948 में साम्यवादी सहयोग से किसानसभा का संचालन किया। मुख्य अतिथि पाण्डेय ने उनकी योगदान को लेकर महात्मा गांधी सुभाष चन्द्र बोस स्वामी विवेका नंद वामपंथ के विचारको के प्रभाव में भी रहने का जिक्र किया।
कार्यक्रम का संचालन समाज के उपाध्यक्ष अभयनारायण राय ने किया अतितिथियों का स्वागत राजीव कुमार द्वारा किया गया, आभार प्रदर्शन राकेश दिक्षित ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से अमित सिंह पंकज कुमार सिंह प्रकाश जोशी प्रशांत सिंह विवेक कुमार रजनीकांत डीके सिंह उमेश प्रसाद शर्मा आचार्य मुकेश शशिकांत शर्मा राजेश कुमार समीर सिंह श्रीमती शांता सिंह संतोष कुमार राय सागर साहू कृष्णा साहू समीर रजक सचिन साहू लव निर्मलकर सहित समाज के पदाधिकारी एवं ग्रामीण उपस्थित थे।
जीवन परिचय- स्वामी सहजानंद सरस्वती का जन्म 22 फरवरी 1889 गांजीपुर उत्तर प्रदेश में हुआ 2़6 जून 1950 में उन्होंने अंतिम सांसे ली। स्वामी जी ने अखिल भारतीय किसान सभा का गठन किया था उनके द्वारा अनेक किताबे लिखि गई उनका बचपन का नाम नवरंग राय था। स्वामी जी को भारत के किसान आंदोलन के जनक कहा जाता है, ओंकार नामक हिंदी पत्रिका का प्रकाशन भी स्वामी सहजानंद सरस्वती ने किया था। स्वामी जी के जीवन में धर्म और कर्म का अद्भूत संयोग देखने का मिलता है।

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