November 22, 2020
जिन हाथों से होती थी कचरे की बिनाई, अब उसी से होने लगी है कपड़ों की सिलाई

रायपुर.एक बच्चे की माँ गौरी सोनी की सुबह हमेशा कूड़े-कचरे के बीच होती थी। जब शाम का सूरज ढलने लगता था, तब वह कूड़े-कचरे की ढेर से निकलकर घर को लौटती थी। कमोवेश सुजाता साहू की जिंदगी भी गौरी जैसी ही थी। सूरज निकलने से पहले और अस्त होने के पहले पूरा दिन कचरों के