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भगवतीचरण वोहरा : क्रांतिकारी जिसे भुला दिया गया-कल्पना पांडे

भगत सिंह के महत्वपूर्ण साथी भगवतीचरण वोहरा का जन्म 4 नवंबर, 1903 को लाहौर में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। वे एक गुजराती ब्राह्मण थे। उनके पिता पंडित शिवचरण वोहरा रेलवे में एक उच्च पदस्थ अधिकारी थे। उन्हें अंग्रेजों द्वारा ‘रायसाहब’ की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था। चूंकि उस समय टाइपराइटर नहीं था, इसलिए भगवती चरण

शहीद दिवस पर भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव को दी श्रद्धांजलि

वर्धा. महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय के भगत सिंह छात्रावास में शहीद दिवस के अवसर पर 23 मार्च को शहीद भगत सिंह, राजगुरू एवं सुखदेव को श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। इस अवसर पर विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल ने शहीदों के छायाचित्रों में माल्‍यार्पण कर भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान प्रति कुलपति प्रो. हनुमानप्रसाद

VIDEO : आम आदमी पार्टी ने मनाया शहीद-ए-आजम भगत सिंह का शहादत दिवस

रायपुर. राजधानी में आज आदमी पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं ने शहीद-ए-आजम भगत सिंह की शहादत को शहीद दिवस के रूप में मनाया गया। प्रियंका मिश्रा,अनु सिंह के नेतृत्व में कार्यक्रम किया गया। जिसमें एक बच्चे ने शहीद भगत सिंह के रूप में शहीद आजम भगत सिंह का संदेश देते हुए कहा कि इंसान मरता है

देश की आजादी के लिए दिया जिन्होंने अपना बलिदान ,उनकी स्मृति में आज युवाओं ने किया रक्तदान

चांपा/ पामगढ़. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पामगढ़ व नेशनल इंटिग्रेटेड फोरम आर्टिस्ट व एक्टिविस्ट के द्वारा भारत माँ के वीर सपूत शहीद – भगत सिंह ,शिवराम हरि राजगुरु एवं सुखदेव थापर के 90 वे पुण्यतिथि के अवसर  पर पूरे भारत मे 23 मार्च  को 1500 स्थानों पर रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया था। जिसमे

सेवन एक्स वेलफ़ेयर टीम, ग्लोबल फ़ाउंडेशन तथा रोटरी ब्लड बैंक के सहयोग से हुआ रक्तदान शिविर का आयोजन

नोएडा. 90 वर्ष पहले एक इतिहास लिखा गया था जब देश की आज़ादी के लिए भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव को फाँसी के फंदे पर लटका कर शहीद किया गया था। अंग्रेज़ी हकूमत की ग़ुलामी को ख़त्म करने के लिए अपने प्राणो को न्योछावर करने वाले इन महान शहीदों की याद में 23 मार्च 2021

क्रांतिकारी सुखदेव के बारे में कितना जानते हैं आप? पढ़ें उनके जीवन से जुड़ी ये रोचक बातें

आज की पीढ़ी जब भगत सिंह की मूर्ति को दो लोगों की मूर्तियों से घिरा पाती है, तो बहुत कम लोग हैं, जो ये सवाल पूछते हैं कि ये बाकी दोनों कौन हैं. यानी सुखदेव और शिवराम राजगुरू. जब वो पढ़ते हैं तो उन्हें पता चलता है कि सेंट्रल असेम्बली में बम फेंकने तो भगत सिंह और

भगत सिंह और आज की चुनौतियां

आलेख :-संजय पराते भगत सिंह को 23 मार्च 1931 को फांसी की सजा दी गई थी और अपनी शहादत के बाद वे हमारे देश के उन बेहतरीन स्वाधीनता संग्राम सेनानियों में शामिल हो गये, जिन्होने देश और अवाम को निःस्वार्थ भाव से अपनी सेवाएं दी। उन्होंने अंगेजी साम्राज्यवाद को ललकारा। मात्र 23 साल की उम्र
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