नई दिल्‍ली. केवल सफलता (Success) पाने से बात नहीं बन जाती है, बल्कि उस सफलता को बनाए रखना भी जरूरी होता है. इसके लिए जरूरी है कि अपने दुश्‍मनों (Enemies) की चाल को नाकाम करते रहें क्‍योंकि का सफलता मिलते ही कई दुश्‍मन भी बन जाते हैं. दुश्‍मनों से निपटने को लेकर आचार्य चाणक्‍य (Acharya