तालापारा जमीन घोटाला : रिकार्ड में दर्ज आदिवासी परिवार की जमीन 18 से 21 एकड़ कैसे हुई


बिलासपुर/अनिश गंधर्व. रसूखदार नेताओं और जमीन दलालों को फायदा पहुंचाने के लिये तालापारा में आदिवासी मद की 18 एकड़ जमीन को बढ़ाकर 21 एकड़ कर दिया गया है। मिशल रिकार्ड में दर्ज किसी भी भूमि का दायरा कैसे बढ़ाया जा सकता है? इसके बाद भी तत्कालीन पटवारी ने यह कारनामा कर दिखाया है। अब राजस्व विभाग के अधिकारी यह नहीं बता पा रहा है कि बढ़ाई जमीन को कहां लेकर फीट किया गया है। अपनी मेहनत की कमाई से जमीन खरीदकर घर बनाने वाले लोगों को तहसील कार्यालय में परेशानी का सामना झेलना पड़ रहा है वहीं मलाई खाने वाले घूसखोर पटवारी व राजस्व अधिकारियों की काली करतूत पर पर्दा डाला जा रहा है। तहसील कार्यालय में बिना जांच पड़ताल के टुकड़ों-टुकड़ों में इसी जमीन का नामांतरण कर दिया गया।

तालापारा खसरा नंबर 254 के मिशल रिकार्ड में 18 एकड़ आदिवासी परिवार की जमीन है। पहले इस जमीन में जमकर हेराफेरी की गई बाद में 18 एकड़ जमीन को बढ़ाकर 21 एकड़ कर दिया गया। इस जमीन घोटाले को अंजाम देने में राजस्व विभाग के एक बड़े अधिकारी का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। भू-राजस्व संहिता के प्रावधान के अनुसार मिशल रिकार्ड में दर्ज भूमि से ज्यादा अगर दर्शाया जाता है और तो उसे शून्य माना जाता है। तालापारा में हुए जमीन घोटाले की सूक्ष्मता से जांच जिला प्रशासन द्वारा आज तक नहीं की गई है। तहसील कार्यालय में बैठे भ्रष्ट अधिकारी रोजाना उल्टा सीधा काम कर रहे हैं। कई गंभीर प्रकरण के फाइलों को भी गायब कर दिया गया है। रीडर भी किसी को सहीं जवाब नहीं दे पा रहे हैं और खुलेआम मनमानी पर उतारू हैं। फाइल गुम हो जाने के मामलों में फरियादी रोजाना तहसील दफ्तर चक्कर काट रहे हैं। वैधानिक रिकार्डों में हेरफेरी के नाम पर तहसील कार्यालय बिलासपुर  पूरे प्रदेश में बदनाम हो चुका है। राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल के दिशा-निर्देशों का अगर पालन नहीं हो रहा है, तो प्रशासनिक व्यवस्था को कैसे नियंत्रित किया जाएगा समझ से परे है।

आरआई ने सौंपी थी रिपोर्ट
दो साल पूर्व तालापारा की तत्कालीन आरआई सुनीता मरावी ने जब जांच पड़ताल की तो उन्हें पता चला कि खसरा नंबर 254 में आदिवासी परिवार के नाम 18 एकड़ जमीन दर्ज थी जिसे पटवारियों ने बढ़ाकर कागजों में 21 एकड़ कर लिया है। इस संबंध में आरआई ने तहसील में ज्ञापन के माध्यम से जानकारी दी और कहा था कि मौका मुआयना करने में दिक्कत हो रही है, इसे सुधारा जाये इसके बाद भी हालात जस के तस हैं।

बढ़ाई गई जमीन से लोन भी लिया गया
तालापारा में जिन लोगों को आदिवासी मद की जमीन का दायरा बढ़ाकर बेचा गया, उन लोगों ने घर बनाने के लिये बैंक से लोन भी लिया। बैंक में जमा किए गए जमीन के दस्तावेज भी कूटरचित बताये जा रहे हैं। वहीं बैंक के अधिकारियों ने भी आंख मूंद कर लोगों को लोन दे दिया।

धारा 170 ख के तहत जांच होनी चाहिए
पूर्व मंत्री के परिजनों ने भी तालापारा में दो एकड़ जमीन पर ऑटो मोबाइल खोल रखा है। वर्तमान में भी जमीन का दायरा बढ़ाने का खेल चल रहा है। भू-राजस्व संहिता के प्रावधानों के अनुसार अगर धारा 170ख के तहत तालापारा में हुए जमीन घोटालों की जांच होगी तो कईयों के चेहरे बेनकाब हो जाएंगे।

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