डॉ. बाबासाहब अम्बेडकर की अस्थि यात्रा का अभिवादन करते हुए आंखों से निकले आंसू
बिलासपुर। नगर में परम पूज्य डॉ. बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी की अस्थि का दर्शन करने उन्हें अभिवादन करने हजारों की संख्या में अंबेडकर अनुयाई पहुंचे। पुरे नगर के लिए एक अत्यंत गौरवशाली क्षण रहा।
आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बौद्धाचार्य अमूर्त सिध्दि जी ने कहा सभी को साधुवाद देते हुए उन्होंने कहा कि बौद्ध धम्म में अस्थि को विशेष महत्व दिया जाता है।
भारतरत्न बोधिसत्व डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर जी की अस्थियां, मुंबई के चैत्य भूमि, नागपुर की दीक्षा भूमि, औरंगाबाद के सिद्धार्थ कालेज एवं पुणे के धम्मचक्र प्रवर्तन महाविहार दापोडी में रखी गई है।
बाबा साहेब के प्रति और अधिक जागृति लाने के उद्देश्य से त्रिरत्न बौद्ध महासंघ छत्तीसगढ़ के प्रयासों से अस्थि का आगमन छत्तीसगढ़ के 17 जिलों में कराया जा रहा है। जिसे पुणे के दापोडी में स्थित महाविहार से लाया गया है। हमारे लिए बाबासाहेब ने अपने चारों बच्चों को कुर्बान कर दिया, अपनी तबय्त को ना देखते हुए संविधान लिखा, इस अवसर पर 1936 में मुक्त कौन पथे इस पुस्तक में जो बातें बाबासाहेब रखते हैं उसमें जितने भी संत हैं उनके बारे में बाते हैं , संत रामदास का उदाहरण देते हुए कहा कि मनुष्य के मन में अगर उत्साह नहीं है तो उत्साहित होना जरूरी है, उन्होंने कहा कि बाबासाहेब कहते हैं धम्म मनुष्य में जरूरी है अगर धम्म नहीं है तो वह बैल गाड़ी जैसे चलता है। क्वतमंक रूप से धम्म बताना जिस युवा के रूप में धम्म नहीं है, उसकी जिंदगी सांड के बराबर है, दुसरे बात यह कहा कि जिस बुजुर्ग के अंगों में धम्म नहीं है, उसकी जिंदगी झंडे हुए पत्ते कि तरह है। धम्म याने नित, नित याने धम्म , बुद्ध और धम्म में बाबासाहेब लिखते हैं में हिंसा नहीं करूंगा। अमूर्त सिध्दि ने कहा आज भी आप संकल्प लेते हैं तो समाज को जगायेंगे तभी बाबासाहेब अमर होंगे।
उन्होंने कहा कि आओ हम सब मिलकर बाबासाहेब के अस्थि अभिवादन कर उनके बताये मार्ग को अपनाकर उसे अपने आचरण में उतारने का संकल्प ले।
इसी परिप्रेक्ष्य में 28 फरवरी दिन बुधवार को दोपहर 4:00 बजे से देवरी खुर्द में काफी संख्या में अंबेडकर अनुयाई ने अस्थि यात्रा का स्वागत किया तत्पश्चात अस्थि यात्रा का भ्रमण पूरे शहर में किया गया यात्रा के दौरान नगर में जगह-जगह अंबेडकर अनुयायियों ने अस्थि यात्रा का अभिवादन किया ।अस्थि यात्रा को देवरी खुर्द चौक से पावर हाउस चौक से बंधवा तालाब होते हुए हेमु नगर बाबा साहब प्रतिमा स्थल से बुधवारी बाजार से तितली चौक से डीआरएम ऑफिस होते हुए हुए जगमाल चौक से दयालबंद से गांधी चौक से पुराना हाईकोर्ट होते हुए पंचशील बुद्ध विहार से पुराना बस स्टैंड होते हुए अग्रसेन चौक से डॉक्टर अंबेडकर नगर होते हुए बाबा साहब प्रतिमा स्थल जीडीसी कॉलेज के सामने बिलासपुर तक लाया गया । तत्पश्चात जन समुदाय के अभिवादन के लिए बाबा की अस्थि को विशेष स्थान में रखा गया। हजारों की संख्या में लोगों ने बाबासाहेब अंबेडकर की अस्थि के दर्शन किए और उनका अभिवादन किया। अभिवादन के दौरान अधिकतर लोग भावुक हो गये। उनकी आंखों से आंसू बहनें लगें।
बाबा साहब की अस्थि यात्रा का बिलासपुर नगर में जगह-जगह अभिवादन कर पुष्प अर्पित किए गए एवं उन्हें याद किया गया, अभिवादन के लिए बड़ी संख्या में समाज के एवं अन्य लोग आतूर दिखाई दिए। उनके लिए ऐसा पहला ऐश अवसर था जब बाबासाहेब उनके करीब थे ।
बाबा साहेब की अस्थियों के अभिवादन करने हेतु बिलासपुर सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्र से भी भारी संख्या में जन समुदाय पहुंचा इस अस्थि यात्रा के दौरान खास बात यह रही की यात्रा के दौरान पुष्प की वर्षा होती रही जगह-जगह बाबासाहेब का जय घोष के नारे लगा रहे थे पूरा वातावरण बाबा साहेब पूर्ण हो गया था।
चूंकि बाबा साहेब एक पुस्तक प्रेमी थे। पुस्तकें पढ़ना उन्हें सबसे अधिक प्रिय था। इसलिए बाबा साहेब की अस्थि को कार्यक्रम स्थल में एक अस्थाई लाईब्रेरी बनाकर ही रखा गया था। एवं वहां पर लोगों नें पुस्तकों, पेनों का भी दान दिया। (जिसे इकट्ठा कर बाबा साहेब के जन्मदिवस 14 अप्रेल को वितरित किया जाएगा।)
पश्चात धम्मचारियों द्वारा सामूहिक बुद्ध वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत हुई।
डॉ बाबासाहेब अंबेडकर प्रतिमा स्थल मे आयोजित कार्यक्रम संध्या 7.30 बजे धम्म देशना का आयोजन प्रारंभ हुआ।
डॉ बाबासाहेब अंबेडकर अस्थि यात्रा कार्यक्रम को सफल बनाने में अम्बेडकर अनुयायी
अनामिका पाटिल, वंदना भांगे, प्रज्ञा मेश्राम, रश्मि नागदौने, चतुर्वेदी मैम, टंडन मैम, संघमित्रा वाहने, वर्षा रामटेके, कल्पना नाईक, नितेश अंबादे , मनोज बौद्ध, विनोद उके, जितेंद्र खोब्रागड़े, बसंत बौद्ध, डॉ. मयंक मेश्राम, देवेन्द्र मोटघरे, कुणाल रामटेके, राजा नंदेश्वर, सागर हुमने, मिलिंद खोब्रागडे, सुर्यकांत भालाधरे, कमलेश लव्हात्रे, भरत पाटिल, शीतल रामटेके की अहम भूमिका रही।
कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका बौद्ध समाज अध्यक्ष सारंग राव हुमने, हरीश वाहने, नरेंद्र रामटेके ,अशोक वाहने, सुखनंदन मेश्राम, नारायणराव हुमने, मगन गेडाम, एम. आर. बाम्बोडे, छेदीलाल मेश्राम,
डॉ.पंकज टेंभूर्णिकर , डॉ.के . के शहारे , धर्मेंद्र टेंभूर्णिकर, राजेश हुमने, प्रफुल्ल गेडाम, कैलाश गजभिए, संतोष खोब्रागड़े, आंनद गेडाम, अशोक बौद्ध, कपिल डोंगरे, दीपक नागदौने , सुमित, अविनाश, आनंद, जयंत मेश्राम, राहुल , हर्षवर्धन रामटेके, शैलेश चंद्रिकापुरे, संजय राव ,शैलेश गजभिये, राजेश रामटेके , अजिताभ कुमार, भरत वेद,भरत खरसन, विनोद कुर्सेल कमलकांत ,आसिफ भाई ,जितेंद्र पाटले ,राजेश्वर सोनी, जितेंद्र भावे, कृष्णा रात्रे, कमल सिंह, श्याम मूरत कौशिक, प्रभाकर ग्वाल, राम सिंह बौद्ध , क्रांति साहू ,संतोष साहू, राजेश बंजारे की रही। बौद्ध समाज, भारतीय बौद्ध महासभा , डॉ अंबेडकर युवा मंच के अलावा सतनामी, सूर्यवंशी, रविदासी, खटीक, सोनकर, डोमार, अनुसूचित अनुसूचित जाति जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग अल्पसंख्याक महासंघ अजाक्स के पदाधिकारी एवं मुस्लिम समाज के सदस्य भी उपस्थित रहे।
डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर अस्थि यात्रा कार्यक्रम का संचालन संघमित्रा वाहने, जितेन्द्र खोब्रागडे देवेंद्र मोटघरे द्वारा किया गया। आभार प्रदर्शन कुणाल रामटेके द्वारा किया गया।