आत्मकथा का मुख्य कारक अंतर्द्वंद्व ‘धुंधली राहें ‘का हुआ विमोचन

 

बिलासपुर.  नगर के वरिष्ठ कवि अमृतलाल पाठक की आत्मकथा “धुंधली राहें ” का विमोचन करते हुए मुख्य अभ्यागत थावे विद्यापीठ गोपालगंज बिहार के कुलपति डॉ.विनय कुमार पाठक ने कहा-
आत्मकथा का संवाद स्वयं से होता है और अंतर्द्वंद्व ही इसका प्रथम चरण है।यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि आत्मकथा जीवन के उत्तरार्द्ध में लिखा जाता है जो जीवन का उपसंहार होता है। इसमें अपने जीवन की कमियों, दुर्बलताओं, पाप-पुण्य का भी उल्लेख होना चाहिए,जिससे व्यक्ति पापमुक्त हो सके।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ पत्रकार एवं उपन्यासकार केशव शुक्ल ने कहा-उस व्यक्ति की आत्मकथा के बारे कुछ कहना अत्यंत कठिन है जिसे बचपन में माँ की गोद,चलने की उमर में पिता की उंगलियां न मिली हों।उनकी आत्मकथा आगत प्रेरणा स्रोत के रूप में कार्य करेगा। उल्लेखनीय है कि केशव शुक्ला कृतिकार अमृतलाल पाठक के बालसखा हैं।उन्होंने बचपन से उच्च पद तक पहुंचने के संघर्ष को भी दर्शाया।
कार्यक्रम के संयोजक वरिष्ठ कवि एवं नवगीतकार विजय तिवारी ने इन पंक्तियों से कृतिकार के काव्य अभिनन्दन का गान किया जिसके बोल थे-
” अभिनन्दन है अग्रज
आज तुम्हारा।
तुम चमको नभ
अब बनकर ध्रुवतारा।”
काव्य अभिनन्दन के क्रम में हास्य- व्यंग्य के कवि अशर्फी लाल सोनी ने भी काव्य पाठकर अभिनन्दन पत्र भेंट किया।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि एवं संचालन की दोहरी जिम्मेदारी निभाते हुए वरिष्ठ कवि हरबंश शुक्ल ने आत्मकथा के तत्वों को समझते हुए कहा-आत्मकथा आने वाली पीढ़ियों के लिए पदचिन्ह और प्रकाश स्तंभ स्वरूप होते हैं।उनके द्वारा सन् 1723 में बेंजामिन फ्रेंकलिन द्वारा रचित आत्मकथा को प्रथम आत्मकथा निरूपित किया।
विशिष्ट अतिथि श्रीमती संध्या/डॉ.अभिषेक शर्मा ने कहा-मेरे पापा की आत्मकथा ह्रदय को संवेदित करती है।उनकी बेटी होना मेरे लिए गर्व की बात है।धुंधली राहें में पापा का संघर्ष अक्षरशः सत्य है।
आरंभ में माँ सरस्वती के श्री विग्रह पर दीप प्रज्ज्वलन किया गया।इसके बाद कु.आद्या पाठक ने स्वागत गान किया एवं कु.नित्या शर्मा ने नृत्य प्रस्तुत किया।कृतिकार अमृतलाल पाठक ने कृति पर प्रकाश डालते हुए अपनी शैशवावस्था अपनी माँ खो देने की पीड़ा को व्यक्त किया।इससे उपस्थित लोगों की आंखें भीग गईं।शाल,श्रीफल से अतिथियों का सम्मान किया गया।
विश्व हिंदी पृष्ठभूमि नईदिल्ली भारत के छत्तीसगढ़ शैक्षिक प्रकोष्ठ की अध्यक्ष डॉ.संगीता बनाफर, उपाध्यक्ष डॉ.अनिता सिंह, सांस्कृतिक प्रभारी डॉ.आभा गुप्ता, मीडिया प्रभारी शिवमंगल शुक्ला द्वारा अमृतलाल जी का शाल- श्रीफल से सम्मान किया गया।छन्दाचार्य ओ.पी.भट्ट ने काव्या भिनन्दन किया।अन्य साहित्यिक संस्थाओं द्वारा भी अमृतलाल जी का सम्मान किया।अंत में उनके पुत्र विनायक चंद्र शर्मा ने आभार व्यक्त किया।
विमोचन के इस गरिमामय समारोह साईं आनन्दम् ,वैष्णवी विहार में छत्तीसगढ़ के कवि एवं साहित्यकार सम्मिलित हुए।इनमें बुधराम यादव,केवलकृष्ण पाठक, एन. के.शुक्ल,राकेश खरे,विनय पाठक(रेशम केंद्र वाले),दिनेश्वर राव जाधव,हूप सिंह क्षत्रिय,रमेश श्रीवास्तव,शीतल पाटनवार,राजेश सोनार,मनोहरदास मानिकपुरी, शिवशरण श्रीवास्तव,मकरध्वज श्रीवास्तव,भरत वेद,श्रीमती मनीषा भट्ट,पूर्णिमा तिवारी,श्रीमती कल्याणी तिवारी,नरेंद्र कुमार,ललित शुक्ल, आकांक्षा पांडेय,राम निहोरा राजपूत,राजेंद्र तिवारी, राकेश पांडेय,दीपक दुबे,विपुल तिवारी, श्वेता खंडेलवाल,सेवकराम श्रीवास्तव अध्यक्ष बिलासपुर कायस्थ समाज सहित अन्य साहित्यकार एवं गणमान्य नागरिक मौजूद थे।
कृतिकार अमृतलाल जी के परिजन में श्रीमती कीर्तिमाला पाठक,श्रीमती प्रमिला कृष्णकुमार पाठक,श्रीमती निधि विनायक चन्द्र शर्मा,रमाशंकर पांडेय,बसंत शर्मा, अनिल पांडेय तथा उनके ग्राम से आये लोग थे।

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