April 26, 2024

भारत सरकार के विधि एवं न्याय मंत्रलाय ने देश के सभी उच्च न्यायालयों को  निशा देशमुख के पत्र संदर्भ ग्रहण करने की प्रार्थना की है 

छत्तीसगढ़ की समाज सेविका निशा देशमुख कार्यस्थल पर महिलाओं के लैंगिक उत्पीड़न निवारण व्यवस्था तंत्र स्थापित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कार्य कर रही है । इस विशाल लोकहित की गतिविधि के तहत कामकाजी महिलाओं को लैंगिक उत्पीड़न मुक्त कामकाजी वातावरण दिलवाने के लिए निशा देशमुख ने केंद्रीय मंत्रालयों से संपर्क करके कामकाजी महिलाओं के अधिकारों को सुनिश्चित करवाने के लिए एक नोटिस सूचना पत्र भेजा था और आवश्यक विधि अपेक्षित कार्यवाही प्रक्रिया में सक्षम प्राधिकारियों द्वारा महिलाओं को संरक्षण देने वाले विधि निर्देशों को महत्व दिए जाने के लिए पत्र व्यवहार किया था उल्लेखनीय है की निशा देशमुख ने भारत सरकार के विधि एवं न्याय मंत्रलाय से भी उच्च न्यायालयों में कामाकजी महिलाओं की स्थिति के बारे में अवगत करवाया था जिसके बाद भारत सरकार के मंत्रालय ने भारत के सभी उच्च न्यायालयों को निशा देशमुख के द्वारा उठाए गए विषयों के सदर्भ में पत्र लिखा और भारत के सभी उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रारो के माध्यम से उच्च न्यायालयों से महिलाओं के कार्यस्थल पर लौगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013 के प्रावधानों का नियमानुसार अनुपालन कार्यवाही सुनिश्चित करने की प्रार्थना की है उल्लेखनीय है की यह कार्यवाही छत्तीसगढ़ की एक महिला के पत्र पर केंद्रीय विधि मंत्रालय द्वारा संज्ञान लेकर की गई अभूतपूर्व कार्यवाही है l
विधि मंत्रालय ने की त्वरित कार्यवाही
दिनांक: 05 मई, 2023 सभी उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल, महिलाओं के कार्यस्थल पर लौगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013 के प्रावधानों का नियमानुसार अनुपालन कार्यवाही सुनिश्चित करवाने हेतु श्री अमरजीत सरोआ अवर सचिव, भारत सरकार विधि एवं न्याय मंत्रलाय न्याय विभाग जैसलमेर हाउस ने प्रार्थना पत्र प्रेषित किया है और निवेदन किया है कि, माननीय महिला एवं बाल विकास मंत्री को संबोधित समाज सेविका श्रीमति निशा देशमुख, निवासी 134/ G रिसाली सेक्टर, जिला दुर्ग, छत्तीसगढ़ के द्वारा दिनांक 15.04.2023 के प्रार्थना पत्र का संदर्भ ग्रहण करने का कष्ट करें, जिसमें  दिनांक 05.08.2022 को लोक सभा में अतारांकित प्रश्न संख्या 3364 के उत्तर का उल्लेख कर कहा गया है कि, लैंगिक उत्पीड़न निवारण कार्यवाही करने हेतु उच्च न्यायालयों के समक्ष सूचना एवं आवश्यक कार्रवाई, यदि कोई हो तो अग्रेषित है।

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