भारत-उज्बेकिस्तान के बीच है गहरा रिश्ता : प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल
वर्धा. महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में उज्बेकिस्तान से हिंदी सीखने आये अध्यापकों के स्वागत समारोह में कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि भारत और उज्बेकिस्तान के बीच रिश्ते ऐतिहासिक और प्राचीन रहे हैं। दोनों देशों की संस्कृति और सभ्यता का गहरा संबंध है। विश्वविद्यालय में उज्बेकिस्तान स्थित ताशकंद स्टेट यूनिवर्सिटी फॉर ओरिएंटल स्टडीज के 6 अध्यापकों का ‘पाँच सप्ताह का हिंदी-अंग्रेजी भाषांतरण कार्यक्रम’ के लिए आगमन हुआ है। सोमवार (01 अगस्त) को कुलपति की ओर से उज्बेकिस्तान के निलुफर खोजाएवा, सिराजूद्दीन नुर्मातोव, काबिलजान खाजियेव, मकतूबा मुर्तजा खोजाएवा, मामुरा सुलेमानोवा एवं निलुफर नोरोवा का ‘संवाद कक्ष’ में स्वागत किया।
कुलपति प्रो. शुक्ल ने कहा कि दोनों देशों के बीच ढ़ाई हजार वर्षों का व्यापारिक संबंध रहा है। सन 2016 से दोनों देशों के संबंधों को नया आयाम मिला है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में उज्बेकी भाषा का अध्ययन शुरू करने पर विचार चल रहा है। उज्बेकिस्तान के सिराजूद्दीन नुर्मातोव ने कहा कि ताशकंद विश्वविद्यालय में पिछले 50 वर्षों से हिंदी के साथ दक्षिण एशिया की भाषाओं का अध्ययन हो रहा है। स्थानीय लोग हिंदी से अच्छी तरह से परिचित है। हिंदी फिल्में तथा धारावाहिकों का उज्बेकी भाषा में अनुवाद किया जाता है। भारत की हिंदी फिल्में उज्बेकिस्तान में काफी लोकप्रिय हैं।
प्रतिकुलपति प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल ने बताया कि विदेश मंत्रालय की ओर से आयोजित कार्यक्रम के अंतर्गत हिंदी सीखने के लिए आए शिक्षक, अधिकारी आगामी सितंबर में उज्बेकिस्तान में होने वाले सम्मेलन में भाग लेंगे। विदेश मंत्रालय हिंदी से 14 भाषाओं के लिए भाषांतरण कार्यक्रम चला रहा है। इसी के अंतर्गत इन अध्यापकों विदेश मंत्रालय ने नामित कर हिंदी विश्वविद्यालय भेजा है। इस अवसर पर कुलसचिव काद़र नवाज़ खा़न, आवासीय लेखक प्रो. रामजी तिवारी, प्रो. एल. कारुण्यकरा, प्रो. गोपाल कृष्ण ठाकुर, प्रो. के. के. सिंह, प्रो. अवधेश कुमार, डॉ. राजीव रंजन राय, डॉ. राम प्रकाश यादव, डॉ. श्रीनिकेत कुमार मिश्र, सुश्री ऋचा कुशवाहा, डॉ. मीरा निचळे एवं डॉ. जीतेंद्र उपस्थित थे।