नवजागरण के पुरोधा थे तिलक : विजय दत्त श्रीधर
वर्धा. महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग की ओर से लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की जयंती पर ‘स्वराज और भारत बोध के पत्रकार लोकमान्य तिलक’ विषय पर शुक्रवार (23 जुलाई) को आयोजित ऑनलाइन विशेष व्याख्यान में संबोधित करते हुए सप्रे संग्रहालय, भोपाल के संस्थापक और पत्रकारिता के इतिहास के विशेषज्ञ श्री विजय दत्त श्रीधर ने कहा है कि लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक स्वतंत्रता आंदोलन के महान नेताओं में अग्रगण्य और नवजागरण के आंदोलन के पुरोधा थे।
विजय दत्त श्रीधर ने कहा कि लोकमान्य तिलक ने 1857 के आज़ादी के आंदोलन की मंद पड़ी ज्वाला धधकायी और उसमें एक नई चेतना और ऊर्जा का संचार कराया। तिलक एक मनस्वी लेखक, तेजस्वी संपादक, ओजस्वी जननायक और कुशाग्र अधिवक्ता के रूप में जाने जाते थे। श्री श्रीधर ने कहा कि भारत की आज़ादी की लड़ाई अन्य देशों की आज़ादी की लड़ाई से सर्वथा भिन्न थी। यह लड़ाई मात्र सत्ता परिवर्तन अथवा राजनीतिक स्वतंत्रता तक सीमित नहीं थी। समूचा राष्ट्रीय जनजीवन और उसके राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक आयाम नवजागरण के चिंतन और चिंता के महत्वपूर्ण अंग थे। नवजागरण के लगभग सभी पुरोधा पत्रकारिता को कारगर औजार के रूप में मान रहे थे। ऐसे महानायकों में तिलक अग्रगामी हैं। श्री श्रीधर ने आज़ादी के आंदोलन में लोकमान्य तिलक के अहम योगदान को विस्तार से रेखांकित किया।
अध्यक्षीय उद्बोधन में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि लोकमान्य तिलक ने स्वराज हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है के नारे के साथ आजीवन अहर्निश संघर्ष किया। वे एक महान राष्ट्रवादी और दार्शनिक तथा एक शिक्षक, खगोलविद, इतिहासविद्, अधिवक्ता और भारतीय संस्कृति के पुनर्भाष्यकार के रूप में अग्रगण्य हैं। कुलपति प्रो. शुक्ल ने कहा कि लोकमान्य तिलक ने जनजागरण और जनचेतना का शिक्षा के माध्यम से सम्यक उपयोग किया। लोकमान्य तिलक ने गणशोत्सव जैसे उत्सव को लोक जागरण के उपकरण के रूप स्थापित किया। कुलपति ने कहा कि गरम दल के नेता के रूप में तिलक के प्रभाव को समग्रता के साथ लिखा जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि आज़ादी के आंदोलन के महान नेताओं को समग्रता और संपूर्णता में देखना चाहिए।
कार्यक्रम में स्वागत एवं प्रास्ताविक वक्तव्य मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ के अधिष्ठाता, जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रो. कृपाशंकर चौबे ने दिया। कार्यक्रम का प्रारंभ सहायक प्रोफेसर डॉ. जगदीश नारायण तिवारी द्वारा प्रस्तुत मंगलाचरण से हुआ। संचालन जनसंचार विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. राजेश लेहकपुरे ने तथा धन्यवाद ज्ञापन जनसंचार विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. धरवेश कठेरिया ने किया। कार्यक्रम में अध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थियों ने बड़ी संख्या में सहभागिता की।