बदहाल रेलवे कॉलोनी की गलियों से बेखबर अधिकारी अपने बंगलों में भोग रहे है तमाम सुख-सुविधा, कर्मचारियों के लिए नहीं है फंड : रामाराव

बिलासपुर. रेलवे क्षेत्र के भाजपा नेता और पूर्व पार्षद  वी रामा राव आज भी क्षेत्र की समस्याओं को लेकर जितने जागरूक और सक्रिय हैं उतने तो मौजूदा पार्षद भी नहीं है।  कभी रेलवे क्षेत्र शहर के सबसे सुव्यवस्थित इलाकों में से हुआ करते थे। यहां की सड़कें चमचमाती रहती थी। कॉलोनी मैं आमोद प्रमोद के लिए सुव्यवस्थित गार्डन, गलियों में साफ-सफाई रेलवे की पहचान हुआ करती थी।  लेकिन पिछले कुछ सालों में रेलवे कॉलोनियां बदहाली का दंश झेल रही है और ऐसा अधिकारियों के उपेक्षा के चलते हो रहा है।
रेलवे क्षेत्र के पूर्व पार्षद रामाराव ने बताया कि बरसात के बाद पूरे रेलवे कॉलोनी में आदम कद गाजर घास उग आए हैं, जिस में मौजूद सांप , बिच्छू और तरह-तरह के कीड़े कॉलोनी वासियों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं , इसलिए लोग डरे सहमे रहते है। घर के आस-पास ही गाजर घास की झाड़ियों का जंगल बन चुका है लेकिन इसकी सफाई नहीं हो रही है। पहले दशहरा के पहले ही रेलवे क्षेत्र में उग आयी झाड़ियों की विधिवत सफाई होती थी, लेकिन  यह अब अतीत की बात हो चुकी है।
इसी तरह रेलवे कॉलोनीयों में बने गार्डन और बाल उद्यान पूरी तरह से बदहाल और जर्जर हो चुके हैं। मेंटेनेंस ना होने से एक तरफ जहां यहां ऊंची- ऊंची झाड़ियां उग आई है तो वही यहां बनाए गए बेंच आदि निर्माण टूट-फूट चुके हैं। बच्चों के खेलने के लिए जो उपकरण लगाए थे वे पूरी तरह से खत्म हो चुके हैं। गार्डन इस कदर बदहाल है कि लोग वहां जाना तक पसंद नहीं करते, इसलिए रेलवे क्षेत्र के गार्डन असामाजिक तत्वों के अड्डे बन चुके हैं।  चाहे वह वायरलेस कॉलोनी में स्थित गार्डन हो, एन ई कॉलोनी, आरटीएस कॉलोनी, कंस्ट्रक्शन कॉलोनी या फिर न्यू लोको कॉलोनी। सभी जगह स्थिति कमोबेश एक जैसे ही है।
वही रात होते ही अधिकांश इलाकों में अंधेरा पसर जाता है। बिलासपुर रेलवे स्टेशन पहुंचने के लिए लोग आमतौर पर बड़ा गिरजा चौक से बारह खोली चौक  होते हुए और व्यापार विहार से भी बारह खोली चौक होते हुए स्टेशन पहुंचते हैं, लेकिन शाम के बाद से ही यह दोनों इलाके अंधेरे में डूब जाते हैं । यहां स्ट्रीट लाइट ना के बराबर है।  जो है भी वह सड़क के इतने पीछे और झाड़ियों से ढक चुके हैं, जिससे रोशनी सड़क तक नहीं पहुंचती । इसलिए रात होते ही यहां अंधेरा छा जाता है, जिससे एक तरफ दुर्घटना की आशंका होती है तो वहीं लूटपाट की आशंका से भी लोग डरे सहमे रहते हैं।
पूर्व पार्षद वी रामाराव ने बताया कि उन्होंने इन सब मुद्दों पर रेलवे अधिकारियों से बार-बार चर्चा की है, लेकिन रेलवे अधिकारी फंड नहीं होने की मजबूरी बताकर समस्या से पल्ला झाड़ लेते हैं। जबकि इन्हीं अधिकारियों के बंगले के आसपास नियमित सफाई होती है। सड़कें चमचमा रही है और शाम होते ही वो इलाके रोशनी से नहाने लगते है। यानी कि रेलवे के अधिकारी जानबूझकर अपने कर्मचारियों के साथ भेदभाव कर रहे हैं।  रामा राव का कहना है कि उनके 4 बार पार्षद रहने के 20 साल के कार्यकाल में कभी इस तरह की समस्या नहीं आई, क्योंकि वे रेलवे के अधिकारियों से बेहतर तालमेल बनाकर यह काम करा लेते थे, लेकिन मौजूदा रेलवे क्षेत्र के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों में इच्छाशक्ति की कमी होने और उनके निष्क्रिय होने से पूरा रेलवे क्षेत्र बदहाल हो चुका है। अधिकारियों पर किसी का ज़ोर नहीं चलता। एक तो रेलवे के अधिकारी अपने क्षेत्र में नगर निगम को कोई काम नहीं करने देते और खुद भी किसी तरह का काम नहीं कर रहे, जिससे आज  रेलवे क्षेत्र की पहचान यहां की टूटी-फूटी सड़कों, बदहाल गार्डन, सड़क के दोनों ओर मौजूद झाड़ियां, अंधेरे में डूबे मोहल्ले बन चुके हैं।
बिलासपुर के विकास के साथ रेलवे क्षेत्र के दोनों ओर कई कॉलोनियां बन चुकी है। इस वजह से लोगों को मजबूरी में रेलवे क्षेत्र से होकर आना जाना पड़ता है। रेलवे कॉलोनी में रहने वाले रेलवे कर्मचारियों के साथ बिलासपुर के इन नागरिकों को भी रेलवे अधिकारियों के अकर्मण्यता का दंश झेलना पड़ रहा है।  पूर्व पार्षद रामा राव ने कहा कि वे जल्द ही इन सब मुद्दों को लेकर रेलवे के आला अधिकारियों से एक बार फिर चर्चा करेंगे और फिर भी अगर समस्या का समाधान ना निकला तो वे इसके खिलाफ जन आंदोलन करेंगे।

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