आरएसएस के दबाव में छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने विश्व आदिवासी दिवस का बहिष्कार कियाः भूपेश बघेल
रायपुर. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि आरएसएस के दबाव में छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने विश्व आदिवासी दिवस का बहिष्कार कर दिया और इस तरह से भाजपा ने प्रदेश के लाखों आदिवासियों व उनकी संस्कृति का अपमान किया है. उन्होंने कहा है कि इसके लिए प्रदेश के आदिवासी भाजपा को कभी माफ़ नहीं करेंगे.
श्री बघेल ने अपने बयान में कहा है कि आरएसएस ने आखिर अपना असली रंग दिखा दिया है और भाजपा सरकार पर दबाव बनाकर विश्व आदिवासी दिवस के कार्यक्रम रद्द करवा दिए. श्री बघेल ने कहा है कि रायपुर में विश्व आदिवासी दिवस पर दो कार्यक्रम आयोजित थे. एक रायपुर के इंडोर स्टेडियम में था जिसमें मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को शामिल होना था और दूसरा कार्यक्रम महंत घासीदास संग्रहालय की कला वीथिका में आदिवासियों पर आयोजित एक प्रदर्शनी थी, जिसका उद्घाटन भाजपा सरकार के वरिष्ठ आदिवासी मंत्री रामविचार नेताम को करना था. एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री गए नहीं और दूसरा कथित ‘अपरिहार्य कारणों से’ स्थगित कर दिया गया.
उन्होंने कहा है कि आरएसएस के अनुषांगिक संगठन वनवासी कल्याण आश्रम की ओर से एक सार्वजनिक बयान दिया गया है जिसमें कहा गया है कि भारत के आदिवासियों के लिए विश्व आदिवासी दिवस की कोई प्रासंगिकता नहीं है. अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह के बयान से स्पष्ट है कि आदिवासियों के इस दिवस को संघ एक अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र के रूप में देखता है. श्री बघेल ने कहा है कि आदिवासियों की अलग सांस्कृतिक पहचान आरएसएस को हमेशा से खटकती रही है और इसीलिए वे इसका विरोध करते हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा है कि भाजपा ने आदिवासियों व उनकी संस्कृति का जो खुला विरोध किया है उसे छत्तीसगढ़ के आदिवासी नहीं भूलेंगे और भाजपा को कभी माफ़ नहीं करेंगे. उन्होंने कहा है कि भाजपा आदिवासियों को सिर्फ़ वोट बैंक की तरह देखती है और इसीलिए उसने कहने को तो एक आदिवासी को मुख्यमंत्री बना दिया है पर उन्हें अपने आदिवासी भाई बहनों के साथ उत्सव मनाने से भी रोक रही है.
उन्होंने कहा है कि छत्तीसगढ़ की एक तिहाई से अधिक आबादी आदिवासियों की है और उनकी विशिष्ट संस्कृति छत्तीसगढ़ को अलग पहचान देती है. इसी पहचान के चलते विश्व आदिवासी दिवस को कांग्रेस की सरकार ने अवकाश घोषित किया था और आदिवासी नृत्य महोत्सव मनाना शुरु किया था जिसमें न केवल देश भर के बल्कि विदेश के आदिवासी समूह भी शामिल होते थे. श्री बघेल ने कहा है कि प्रदेश भर के आदिवासी अलग अलग जगह एकत्रित होकर जब विश्व आदिवासी दिवस मना रहे थे तो आरएसएस का एक संगठन इसका खुला विरोध कर रहा था.