November 24, 2024

छत्तीसगढ़ में जनता को सस्ता ईंधन क्यों नहीं बताये सीएम राज्य में चल रही विरोधाभासो की भूपेश सरकार : अमर अग्रवाल

बिलासपुर. भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री  अमर अग्रवाल जारी प्रेस रिलीज में कहा कि केंद्र सरकार ने  विगत 3 नंवम्बर को एक्साइज ड्यूटी कम करके जनता को बड़ी राहत दी है. अन्य राज्यो की तरह भूपेश सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है कि प्रधानमंत्री जी के आग्रह किए जाने पर जनता के हित में वैट (VAT) घटाकर लोगों को राहत दी जाए लेकिन पेट्रोल और डीजल की दरों में कमी को लेकर के राज्य की सरकार केवल राजनीतिक बहानेबाजी में लगी हुई है।छत्तीसगढ़ की जनता जानना चाहती है कि  सरकार द्वारा जनता के हित में लिए गए निर्णय योजनाओं और नीतियों का लाभ से राज्य सरकार द्वारा क्यो वंचित किया जा रहा है।जब बढ़े हुए दाम जनता चुकाती है तो  सस्ती हुई सेवाओ का लाभ भी समान रूप से मिले। केवल राजनीतिक कारणों से प्रदेश की जनता के साथ दोहरा व्यवहार भूपेश बघेल की सरकार को बंद करना चाहिए, आखिर छत्तीसगढ़ भारत के अन्य राज्यो में से एक राज्य है। दरअसल छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल का एजेंडा शुरू से केंद्र विरोधी रहा है,2009 में मनमोहन सरकार की  एक्साइज की दर तक केंद्र सरकार को कर में छूट देनी चाहिए, उनका यह बयान बिल्कुल गैरतार्किक है। एक तरफ तो वे 2 वर्ष पूर्व स्थिति में वेट कर को कम नहीं करना चाहते, दूसरी ओर 12 साल पूर्व की स्थिति में एक्साइज में छूट चाहते हैं।छत्तीसगढ़ में वर्तमान में पेट्रोल पर स्टेट टैक्स यानी वैट के रूप में 25 प्रतिशत प्लस 2 रुपए तथा डीजल पर 25 प्रतिशत प्लस 1 रुपए प्रति लीटर आरोपित किया जा रहा है। राज्य की सरकार केंद्र की तरह निर्णय लेवे तो 100 रु ली की जगह 85 रु लीटर पेट्रोल और 75- 80 रु ली में डीजल छत्तीसगढ़ की जनता को उपलब्ध कराया जा सकता है।केन्द्र सरकार द्वारा पिछले  दिनों अन्य उपाय करते हुए  पाम आयल, सोयाबीन और सूरजमुखी पर 2.5% आधार शुल्क  समाप्त करने की घोषणा की गई है। खाद्य तेलों में कमी के लिए कृषि उपकर  भी घटाया गया है। पेट्रोल पर और  डीजल पर की गई कटौती से विभिन्न वर्गों को सीधा लाभ मिलेगा। 22 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेश में भी वैट में कमी करके लोगों को राहत दी है। दोनों मिलाकर देखें तो डीजल की कीमतों में लगभग ₹20 की कमी ,पेट्रोल में लगभग 13 रू  कमी का लाभ उपभोक्ताओं को मिलने वाला है।  केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से खाद्य तेलों में 5 रु से 20 रु किलो कमी आई है। आने वाले दिनों में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि सरसों के वायदा कारोबार पर रोक लगाने से सरसों के तेल के दाम में भी कमी आएगी। अनुमान है कीमतों में कमी का लाभ आम उपभोक्ताओं तक पहुंचेगा एवं  बचत बढ़ेगी,मांग में वृद्धि होगी,तरलता बढ़ेगी, मुद्रास्फीति से संबंधित उपभोक्ता धारणा में परिवर्तन आएगा।कीमतों में कटौती का लाभ उद्योग जगत के साथ किसानों को होगा। च जिसके सकारात्मक प्रभाव से  परिवहन लागत में कमी आएगी, रोजमर्रा  चीजों में बढ़ते दामों पर अंकुश लग सकेगा। केवल एक्साइज  कटौती से केंद्र सरकार को राजस्व हानि  50 से 65 हजार करोड़ अनुमानित हैं लेकिन इकोनॉमी की  बढ़ी रफ्तार  राजस्व के स्रोतों में वृद्धि कर राजस्व हानि को वहनीय बनाया जा रहा है। इस प्रकार  ईंधन की कीमतों में प्रति लीटर कमी के साथ खाद्य तेलों में आयात शुल्क प्रतिस्थापन व प्रशुल्कों में की गई कमी का सीधा असर घरेलू बजट के साथ  अर्थव्यवस्था की रफ्तार में  पड़ेगा,किन्तु छ ग में भूपेश बघेल सरकार की नीयत जनता को राहत देने वाली नही है। वैट में छूट की बजाय केंद्र की आलोचना का राग अलापने मगन है।पिछले  ढाई वर्ष से  छत्तीसगढ़ की जनता को  भ्रमित करने में का कार्य किया गया है। राज्य मंत्रिमंडल में संवाद हीनता ,मतभेद और सत्ता संघर्ष से  विकास के कार्यो से सरकार का कोई सरोकार नही है,इसलिए राज्य की जनता को पेट्रोल में छूट का लाभ नहीं मिल पा रहा है। वाणिज्यकर मंत्री टी एस सिंह देव वेट में कटौती के लिए प्रस्ताव भेजे जाने की बात करते हैं लेकिन दूसरी ओर उनके प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री द्वारा कोई विचार नही होता है, यह देश के लोग जान चुके हैं।आज भी जब अपने हिस्से का वेट टैक्स अन्य राज्यों की तरह कम करके जनता को ईंधन जनित महंगाई में राहत देना चाहिए तो भूपेश बघेल केंद्र सरकार की नुक्ताचीनी में लगे हुए हैं,इससे साबित हो गया है, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को केवल अपनी कुर्सी बचाने से मतलब है।श्री अग्रवाल ने कहा एक तरफ भूपेश बघेल  पेट्रोल और डीजल की दरों में कटौती को लॉलीपॉप कहते हैं और दूसरी तरफ से खुद वैट में कटौती करने को तैयार नहीं है,  बल्कि  आने वाले चुनाव का धान के समर्थन मूल्य 2800 रु क्विटल किए जाने का शिगूफा  छोड़ने में लगे है।श्री अग्रवाल ने कहा डीजीपी की बदली पर मुख्यमंत्री का बयान आया है कि डीजीपी को  प्रशासनिक व्यवस्था की दृष्टिकोण से बदलाव किया गया है इससे यह बात साबित करती है कि 3 वर्षों से  प्रशासनिक   अव्यवस्था का आलम है जिसके लिए केवल राज्य सरकार  जिम्मेदार है। वस्तुतः भूपेश बघेल की सरकार विरोधभासो की सरकार है जिसका प्रमुख लक्ष्य केंद्र को उलाहना देना,के संवैधानिक ढांचे पर  अविश्वास जताना और अपनी अकर्मण्यता और खोखले वादों की नाकामी को केंद्र सरकार के माथे डालना है। तीन वर्षों में सरकार ने कोई भी नई योजना शुरू नहीं की है जिसका जनता के हितों से सीधा सरोकार हो।

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