
लाख चूड़ी निर्माण में निपुण हैं ग्रामीण आदिवासी महिलायें

बिलासपुर. जिले के विकासखंड मरवाही की आदिवासी महिलायें लाख की चूड़ी बनाने में निपुण हो गई हैं और इसके द्वारा प्रतिदिन 300 रूपये तक की आमदनी वे घर बैठे प्राप्त कर रही हैं।
जिले के मरवाही विकासखंड के ग्राम बंशीताल, दानीकुंडी, बरगवां, बघर्रा की ग्रामीण महिलायें स्व-सहायता समूहों के माध्यम से विभिन्न व्यवसाय अपनाकर अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूती प्रदान कर रही हैं। मरवाही क्षेत्र में रंगीन लाख बहुत मात्रा में होता है। व्यापारियों द्वारा इसे सस्ते में खरीदकर महंगे दामों में बाहर बेचा जाता है। क्षेत्र में पहली बार लाख का मूल्य वर्धित कर इसे लघु व्यवसाय के रूप में स्थापित कर ग्रामीण आदिवासी महिलाओं द्वारा अतिरिक्त आय प्राप्त करने का कार्य किया जा रहा है।
मरवाही के विभिन्न ग्रामों की महिलायें देवसेना स्व-सहायता समूह के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र में उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कर आत्मनिर्भरता प्राप्त कर रही हैं। इसी समूह की महिलाओं ने लाख चूड़ी एवं गहना निर्माण का व्यवसाय प्रारंभ किया है। इसके लिये वनमंडल मरवाही द्वारा ईएसआईपी परियोजना अंतर्गत उन्हें प्रशिक्षण दिया गया है। ग्राम बरगवां की श्रीमती रेणु, श्रीमती सियावती, श्रीमती जयकुमारी, दानीकुंडी की श्रीमती नीता बाई कोरवा, श्रीमती केशकली श्याम, श्रीमती कृष्ण कुमारी पाव, श्रीमती सियावती आदि महिलायें इस कार्य में जुटी हुई हैं। वे 10 मिनट में बिना नग वाले लाख की चूड़ी सेट और डेढ़ घंटे में नग वाली चूड़ी सेट तैयार कर लेती हैं। चूड़ी बनाने के लिये लाख उन्हें व्यापारी से खरीदना पड़ रहा है लेकिन समूह की महिलाओं की योजना है कि वे खुद ही गांव के लोगों से लाख खरीदेंगी और उसकी प्रोसेसिंग भी करेंगी। जिससे उन्हें ज्यादा फायदा मिलेगा और बिचैलियों से भी मुक्ति मिलेगी। इन महिलाओं ने बताया कि महिला बाल विकास विभाग की सुपरवाईजर श्रीमती सृष्टि वर्मा के सतत मार्गदर्शन में वे यह व्यवसाय अपनाने के लिये प्रेरित हुई हैं।
देवसेना महिला समूह द्वारा निर्मित चूड़ियों की बिक्री हेतु 36 माॅल बिलासपुर के बिहान बाजार में जगह उपलब्ध कराया गया है और इसे लोगों द्वारा पसंद भी किया जा रहा है। चूड़ियों के तरह-तरह के डिजाईन के संबंध में भी लोग सुझाव दे रहे हैं। जिससे इन महिलाओं का उत्साहवर्धन हो रहा है। अब वे लोगों की पसंद के अनुसार आधुनिक डिजाईन की चूड़ियां बनाने के लिये प्रशिक्षण लेने की योजना बना रही हैं। इस उपलब्धि से ग्रामीण महिलाओं की आमदनी के साथ-साथ उनका आत्मविश्वास भी बढ़ा है।
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