किसी को देखकर नजरें झुका लेने से भला सादगी का क्या ताल्लुक.!

प्राकृतिक आपदा एवं विकट संकट के समय पीड़ित लोगों के सहायतार्थ प्रधानमंत्री राहत कोष होंने के बावजूद “पी एम केयर” बनने की आवश्यकता क्यों पड़ी साहेब ?? सवाल आपकी नीति और नियत का है! प्रधानमंत्री राहत कोष में विपक्षी दलों का भी समावेश होता है इन्हें राहत कोष के आए एवं व्यय की जानकारी रहती है!  वर्तमान समय में विश्वव्यापी करो ना महामारी के प्रकोप से भारत भी प्रभावित है हजारों लाखों द्वारा इस संकट के समय पर पीड़ितों के सहायतार्थ दान स्वरूप राशियां दी जा रही है अकेले रेलवे मंत्रालय द्वारा 151 करोड़ों रुपए की धनराशि इस राहत कोष मे उनके कर्मियों द्वारा दी गई है लगभग ऐसा ही सभी शासकीय अर्ध शासकीय उद्योगपतियों व्यापारी एवं आम नागरिकों द्वारा अरबों खरबों की संपत्ति दान स्वरूप दी गई है। संकट के समय में देश को उभारने एवं इस लड़ाई को लड़ने हेतु इस रशी को बड़ी चालाकी से देश के मुखिया द्वारा इसमें भी राजनीतिक लाभ हानि देखते हुए बहुत चतुराई से पूर्व के प्रधानमंत्री राहत कोष को ब्लॉक कर नया पीएम केयर के नाम पर अकाउंट खोल इन दानदाताओं की राशि इसमें ली गई। एकला चलो की नीति के तहत आम लोगों द्वारा दी गई इस राशि का लेखा-जोखा आय-व्यय को बड़े आसानी से छुपाया जा सकें ना खाता ना बही जो साहेब कहे वही सही की तर्ज पर कार्य करते हुए इस नए अकाउंट का जन्म हुआ जिसमें कोई भी विपक्षी पार्टी का व्यक्ति इसका सदस्य नहीं होगा और ना ही इसका लेखा-जोखा आम लोगों को समझ में आएगा। एक सोची-समझी साजिश के तहत अरबों खरबों रुपए के घोटाले दान धर्म के आड़ में कर दिए जाएंगे चिंतन और मनन होना चाहिए कि संकट काल में भी देश के राजा को जहां आम गरीब एवं पीड़ित लोगों की सेवा करनी चाहिए वही इस नए अकाउंट के नाम पर मेवा खाने की तैयारी में जुटी है। यदि ऐसा कुछ नहीं है तो प्रधानमंत्री राहत कोष के अकाउंट को बंद करना नया पीएम केयर अकाउंट खोलने की जरूरत क्यों पड़ी  इस बात का संकेत है कि कहीं ना कहीं दाल में कुछ काला है!! जनाब!!

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