पटवारी कार्यालयों में सहायकों की नियुक्ति गैरकानूनी

बिलासपुर. पटवारी कार्यालय में सहायक रखने का कोई प्रावधान नहीं है इसके बाद भी बिना अनुमति पटवारियों द्वारा सहायकों की नियुक्ति की गई है। सहायकों को वेतन किस मद से दिया जाता है इसका भी कोई अता पता नहीं है। भ्रष्टाचार करने के लिए पटवारियों द्वारा सहायकों पूरा सहयोग लिया जा रहा है। आलम यह है कि पटवारी से ज्यादा सहायक मालामाल हो गये हैं, इनकी संपत्ति की अगर जांच की जाये तो कई चौकाने वाले तथ्य उजागर होंगे।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी राजस्व विभाग द्वारा पटवारी कार्यालयों में अंगत की पैर तरह जमे सहायकों को पनाह दिया जा रहा है जो कि गैर कानूनी है। मिशल नक्शा, बी-1 में हेरफेर करने के कई मामले सामने आ चुके हैं इसके बाद भी राजस्व विभाग अधिकारी गंभीर लापरवाही करते चले आ रहे हैं। जमीन दलालों के लिए काम करने वाले पटवारियों का हौसला इतना बुलंद है कि खुलेआम रिश्वत मांगते हैं। वहीं पटवारियों से ज्यादा सहायक भी चालाक हो गए हैं। लोगों का काम अटकाकर रखना जमीन के रेट के हिसाब से कब्जा रिपोर्ट देने के एवज में मोटी राशि वसूली का खेल खुलेआम चल रहा है। पैसे नहीं देने वालों को महिनों चक्कर काटने के बाद भी कुछ हासिल नहीं हो रहा है।
हाईकोर्ट के जस्टिस प्रशांत मिश्रा ने अपने एक आदेश में साफ तौर पर कहा था कि पटवारी कार्यालय में बाहरी व्यक्ति बैठकर काम नहीं कर सकता है न ही पटवारी उससे कोई काम ले सकता है। पटवारी कार्यालय में अगर सहायक रखा गया है तो भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जाये। हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी पटवारी कार्यालयों में सहायक गैर कानूनी तरीके से काम कर रहे हैं। मानो ऐसा हो रहा है कि भ्रष्टाचार करने के लिए राजस्व विभाग को बनाया गया है।
सरकारी और आबादी जमीनों में कूट रचना करने के खेल में माहिर पटवारियों पर आज तक ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है। कार्यालय में पदस्थ सहायक को किस मद से राशि प्रदान की जाती है इसका भी कोई अता पता नहीं है वहीं सहायक का कोई आपराधिक रिकार्ड है की नहीं इस पर भी गौर नहीं किया जा रहा है। सहायक को कम से कम कितना वेतन मिल रहा है या फिर कितना मिलना चाहिए? इस सवाल का जवाब कोई देने को तैयार नहीं है। मिशल, नक्शा में हेराफेरी और सरकारी जमीनों का बंदरबांट करने वाले सहायक अब नियंत्रण से बाहर हो गए हैं। पटवारियों का तो आना जाना लगा रहता है लेकिन सहायक वहीं का वहीं जमा रहता है। लोग भी सहायक से ही ज्यादा मिलना पसंद करते हैं। जनहित में सरकारी दफ्तरों में अवैधानिक रूप से तैनात किए गए सहायकों पर भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत कार्रवाई किए जाने की सख्त आवश्यकता है।
जूना बिलासपुर का पटवारी रविवार को भी रहता है तैनात
पटवारियों को पैसे की भूख इतनी है कि छुट्टी के दिन भी रिश्वतखोरी करने के लिए कार्यालय पहुंच जाते हैं। जाति आमदानी निवास प्रमाण पत्र बनवाने पहुंचे लोगों को रविवार को भगा दिया जाता है। जूना बिलासपुर पटवारी कार्यालय में रविवार को कमरा बंद करके काम करते सरेआम देखा गया। वहीं सहायक खान भी कम समय में ज्यादा कमाई का चुका है। अपने उल्टे सीधे को लेकर सहायक खान रोजाना तहसील कार्यालय में भी डटा रहता है।