पौने 4 लाख रूपये का केंचुवा और खाद बेचकर बनाया कीर्तिमान


बिलासपुर. घर की बाड़ी में छिड़काव करने के लिए छोटी छोटी टंकियों में खाद तैयार कर शुरू किया गया व्यवसाय आज लाखों के लेनदेन तक पहुंच गया है। शिवतराई की मां महामाया स्व सहायता समूह की महिलाओं ने 362 क्विंटल खाद व 3.60 क्विंटल केंचुआ बेचकर पौने 4 लाख रूपये की आमदनी कर ली है। कोटा विकासखण्ड अंतर्गत घने जंगलो और पहाड़ो से घिरे शिवतराई ग्राम पंचायत की आदिवासी महिलाएं आर्थिक रूप से इतनी आत्मनिर्भर हो जायेंगी कि अन्य महिलाओं के लिए रोल माॅडल बन जायेगी यह किसी ने भी नहीं सोचा होगा। मां महामाया महिला स्व सहायता समूह की 16 महिलाओं ने कुछ वर्षाें पहले अपने घरों में लगाई गई बाड़ी के लिए केंचुआ खाद बनाना शुरू किया। उस समय तो वे अपने उपयोग के लिए ही खाद तैयार करती थी लेकिन आवश्यकतानुसार दूसरे लोगों को भी छोटे रूप में खाद की ब्रिकी करती थी। जब इन्होेंने खाद बनाने की विधि सीख ली और इसकी ब्रिकी होने लगी तब इन्होंने अपने गांव के गौठान से 1500 रूपये टे्रक्टर की दर से चरवाहों से गोबर खरीदना और वृहद रूप मंे खाद बनाना शुरू किया। इनका सबसे पहला ग्राहक वन विभाग बना। इन्होंने अपनी नर्सरी के लिए इनसे खाद खरीदना चालू किया। समूह से खाद खरीदने वालों में उद्यान विभाग, वन विभाग, फार्म हाउस संचालित करने वाले किसान एवं स्थानीय किसान शामिल है। शिवतराई गौठान में अब तक 2 हजार 52 क्विंटल गोबर की खरीदी की जा चुकी हंै। समूह द्वारा अब तक 380 क्विंटल खाद तैयार किया जा चुका है तथा 362.82 क्विंटल खाद की ब्रिकी भी कर ली है। समूह ने 8 रूपये प्रति किलो की दर से वर्मी खाद की ब्रिकी कर 3 लाख 2 हजार रूपये से अधिक आय अर्जित की है। इसी तरह बिलासपुर नगर निगम ने भी समूह से 360 किलोग्राम केंचुआ खरीदा है जिससे समूह को 72 हजार रूपये की आमदनी हुई है। जिला पंचायत बिलासपुर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी गजेन्द्र सिंह ठाकुर ने समूह की महिलाओं द्वारा किये गये प्रयास की सराहना करते हुए इसे औरो के लिए प्रेरणा बताया। उन्होंने कहा कि इस तरह की गतिविधियों में भाग लेने वाले प्रत्येक समूहों को हरसंभव सहायता दी जायेगी ताकि प्रदेश सरकार की योजनाओं को जमीनी स्तर पर मूर्तरूप दिया जा सके।

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