स्वयं सशक्त होकर अन्य महिलाओं को प्रेरित कर रही है जय मां लक्ष्मी समूह की महिलाएं
बिलासपुर. कहा जाता है कि जहां चाह है वहां राह है। कुछ महीनों तक रोजगार के अभाव में आर्थिक तंगी से जूझ रही ग्राम परसदा की महिलाओं पर यह कहावत सही साबित होती है। राज्य शासन की जनकल्याणकारी नीतियों के चलते अब उन्हें आत्मनिर्भरता की नयी राह मिल गयी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा अनुरूप सुराजी गांवों में गौठान का निर्माण किया गया है। जहां स्व सहायता समूहों को आर्थिक गतिविधियों से जोड़ा गया है। विकासखंड कोटा के ग्राम परसदा में भी गौठान का निर्माण किया गया है। जहां जय मां लक्ष्मी स्व सहायता समूह की महिलाएं जैविक खाद बनाकर आर्थिक रूप से सशक्त हो रही है और बेहतर परिवार एवं समाज निर्माण में अपना योगदान दे रही हंै। गांव की महिलाएं बुलंद हौसलों के साथ वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने में जुटी हुई है। समूह की 10 महिलाओं का एक समूह बनाकर इन्हें विविध गतिविधियों से जोड़ा गया है तथा वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने का प्रशिक्षण भी दिया गया है। प्रशिक्षित होने के पश्चात अब ये महिलाएं खाद का उत्पादन कर रही हैं जिससे उनके जीवन में आर्थिक समृद्धि आ रही है। जय मां लक्ष्मी स्व सहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि 56 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट खाद तैयार कर उन्होंने 36 क्विंटल खाद की बिक्री कर ली है। इससे उन्हें 33 हजार रूपये प्राप्त हुये है। खाद की खरीदी उद्यानिकी विभाग द्वारा की गई है। अब समूह की महिलाओं ने गोधन न्याय योजना के तहत गोबर से खाद बनाने की प्रकिया चालू कर दी है। पूर्व में गोबर कम मात्रा में मिलने से वर्मी कम्पोस्ट बनाने का कार्य सुचारू रूप से नहीं हो पा रहा था लेकिन अब गोधन न्याय योजना के लागू होने से पर्याप्त रूप में गोबर मिल रहा है। इस गोबर को वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने हेतु टांका में डाला गया है। निर्धारित समय के बाद उसे निकालकर 8 रूपये किलो की दर से खाद की बिक्री की जाएगी। राज्य शासन की गोधन न्याय योजना से यहां की महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ा है और भविष्य में इस योजना से और अधिक तरक्की करने की नयी आस उनमें जगी है। राज्य शासन को धन्यवाद देते हुए समूह की महिलाएं कहती है कि इन योजनाओं के चलते ही अब वे किसी पर आर्थिक रूप से निर्भर नहीं है।