16 जून को वाम पार्टियां मनाएंगी विरोध दिवस

रायपुर.कोरोना संकट और अविचारपूर्ण व अनियोजित लॉक डाउन के कारण इस देश के गरीबों के सामने जो रोजी-रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है, उसको हल करने में मोदी सरकार पूरी तरह विफल रही है। 15 करोड़ अतिरिक्त लोग बेरोजगार हो गए हैं, बड़ी तेजी से भुखमरी बढ़ रही है और प्रवासी मजदूर किसी सरकारी सहायता के बिना आज भी पैदल अपने गांवों की ओर लौटने के लिए मजबूर हैं। इतने संकट में भी आम जनता की आजीविका की रक्षा तथा उसे सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा देने के लिए कदम उठाने के बजाय मोदी सरकार कारपोरेट हितों की रक्षा के लिए ही प्रतिबद्ध है। इसलिए मोदी सरकार की इन जन विरोधी नीतियों के खिलाफ गरीबों और प्रवासी मजदूरों की समस्याओं को केंद्र में रखकर प्रदेश की पांच वामपंथी पार्टियां 16 जून को विरोध दिवस मनाएगी।
आज यहां जारी एक संयुक्त बयान में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के संजय पराते, भाकपा के आरडीसीपी राव, भाकपा (माले)-लिबरेशन के बृजेंद्र तिवारी, भाकपा (माले)-रेड स्टार के सौरा यादव तथा एसयूसीआई (सी) के विश्वजीत हारोडे ने कहा है कि वर्ष 2019-20 की जीडीपी 4% रहने से स्पष्ट है कि देश की अर्थव्यवस्था को ध्वस्त करने में मोदी सरकार की कॉर्पोरेटपरस्त और जनविरोधी नीतियों की बहुत बड़ी भूमिका है। राजस्व संग्रहण में 2.3 लाख करोड़ रुपयों की कमी आई है और अब इसका पूरा भार आम जनता पर डाला जा रहा है। राज्यों से बिना विचार-विमर्श किये जिस तरीके से तालाबंदी की गई, उसमें लॉक-डाऊन के बुनियादी सिद्धांतो का पालन ही नहीं किया गया। नतीजन उससे न तो देश में कोरोना महामारी पर काबू पाया जा सका है और न ही आम जनता को राहत देने के कोई कदम उठाये गए हैं। आम जनता बेकारी, भुखमरी और कंगाली की कगार पर पहुंच चुकी है।
वाम नेताओं ने कहा कि आज अर्थव्यवस्था जिस मंदी में फंस चुकी है, उससे निकलने का एकमात्र रास्ता यह है कि आम जनता के हाथों में नगद राशि पहुंचाई जाए तथा उसके स्वास्थ्य और भोजन की आवश्यकताएं पूरी की जाए, ताकि उसकी क्रय शक्ति में वृद्धि हो और बाजार में मांग पैदा हो। उसे राहत के रूप में “कर्ज नहीं, कैश चाहिए”।
इसीलिए वामपंथी पार्टियां आयकर के दायरे के बाहर के सभी परिवारों को आगामी 6 माह तक 7500 रुपये मासिक नगद दिए जाने; हर व्यक्ति को 10 किलो अनाज हर माह मुफ्त दिए जाने; दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को खाना-पानी के साथ अपने घर लौटने के लिए मुफ्त परिवहन की व्यवस्था उपलब्ध कराने; क्वारंटाइन केंद्रों में उन्हें पौष्टिक आहार देने तथा चिकित्सा सहित सभी बुनियादी मानवीय सुविधाएं उपलब्ध कराने और उनके साथ मानवीय व्यवहार किये जाने; मनरेगा मजदूरों को 200 दिन काम उपलब्ध कराने तथा इस योजना का विस्तार शहरी गरीबों के लिए भी किये जाने; मनरेगा में मजदूरी दर न्यूनतम वेतन के बराबर दिए जाने तथा काम न दे पाने की स्थिति में बेरोजगारी भत्ता दिए जाने; राष्ट्रीय संपत्ति की लूट बंद करने, सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण पर रोक लगाने और श्रम कानूनों और कृषि कानूनों को तोड़-मरोड़कर  उन्हें खत्म करने की साजिश पर रोक लगाने की मांग कर रही हैं।
वाम नेताओं ने कहा कि प्रदेश की सभी वामपंथी पार्टियां, उनके कार्यकर्ता और समर्थक इन ज्वलंत मांगों पर आम जनता को लामबंद करेंगे और 16 जून को फिजिकल डिस्टेंसिंग व कोविड-19 के प्रोटोकॉल को ध्यान में रखकर पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन आयोजित करेंगी।

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