विधायक बने शैलेश का कांग्रेसी क्यों कर रहे विरोध?


बिलासपुर/अनिश गंधर्व. बिलासपुर की राजनीति में ऐसा पहली बार हो रहा है कि किसी निर्वाचित जनप्रतिनिधि से धक्का-मुक्की खुद पार्टी के नेता कर रहे हैं। लगातार कांग्रेसी विधायक शैलेश को आड़े हाथों लेकर विरोध कर रहे हैं। पार्टी की अंदरूनी लड़ाई खुलकर सामने आने लगे तो विपक्षी इसका खुलकर उपयोग करते हैं और सरकार की छवि भी खराब होती है। पार्टी हित में कांग्रेस आला कमान को अंदरूनी लड़ाई को समाप्त करने की जरूरत है।

जनसमर्थन से विधायक बने शैलेश का कांग्रेसी क्यों कर रहे विरोध समझ से परे है। राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी अच्छी तरह से समझ रहे है कि कौन क्या कर रहा है। बिलासपुर प्रवास पर पहुंचे मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के दौरान ही विधायक शैलेश पाण्डेय और ब्लॉक अध्यक्ष तैय्यब हुसैन आपस में भिड़ गए। विधायक शैलेश पाण्डेय ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से की है। बहरहाल आपसी खींचतान का सिलसिला जारी है। 15 सालों से सत्ता से दूर रहे कांग्रेस सत्ता में आते ही अपना असली चेहरा दिखाना शुरू कर दिए हैं, ऐसी चर्चा शहर में चल रही है।

कौन किसका करीबी है और किसकी बातों को मुख्यमंत्री ज्यादा सुनते हैं इस  पर इन दिनों ज्यादा राजनीति चल रही है। मंच पर भाषण देने की बात हो या फिर कौन अतिथि रहेंगे सबसे ज्यादा जोर इन्हीं बातों में दिया जा रहा है। सत्ता में वापसी के बाद तेजी से विकास कार्यों पर समर्पित होने की सख्त जरूरत होती  है क्योंकि पुन: चुनाव जीतने सरकार को जवाब भी देना पड़ता है। झूमा झटकी तत्काल हो और तत्काल खत्म हो ऐसा भी नहीं हो पा रहा है। पार्टी के भीतर ओहदा देखा जा रहा है कि मुख्यमंत्री का कौन करीबी है और कौन किस गुट का है। वक्त है बदलाव का नारा लेकर सत्ता में लौटे कांग्रेसियों को खुद पर बदलाव लाने की सख्त आवश्यकता इन दिनों है।

बिलासपुर में लगातार चार बार विधायक चुने गए मंत्री अमर अग्रवाल को हराने कांग्रेस आला कमान ने शैलेश पाण्डेय पर भरोसा किया, तब संगठन से जुड़े पार्टी की दिन रात सेवा करने वाले नेताओं ने जोरदार विरोध भी किया, फिर भी कांग्रेसी नेताओं ने शैलेश का सहयोग किया और चुनाव जीतने में भारी मदद की। राज्य में कांग्रेस की सरकार भी बन गई, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री भी बना दिया गया। भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य में विकास के कार्य भी किए जा रहे हैं लेकिन कांग्रेसी आपस में खेमेबाजी करने से बाज नहीं आ रहे हैं, जिसका असर भी दिख रहा है। जनहित में कांग्रेस आला कमान को बचे हुए तीन वर्ष में सब कुछ ठीक करने की आवश्यकता है नहीं तो सांप निकल जाये और लकीर पीटने जैसी स्थिति भी हो सकती है।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!