धरती के खत्‍म होने का समय बताता है यह Temple, जानिए इसे क्‍यों कहते हैं ‘जीवित शिवलिंग’?


नई दिल्‍ली. आज भी कई रहस्‍य ऐसे हैं, जिनके पीछे के कारण विज्ञान अब तक नहीं खोज पाई है. फिर चाहे वह हर साल अमरनाथ (Amarnath) की गुफा में बनने वाला बर्फ का शिवलिंग हो या फिर मप्र के एक मंदिर में दिनोंदिन बड़ा हो रहा शिवलिंग हो. जी हां, मप्र के खजुराहो (Khajuraho) में स्थित मतंगेश्वर मंदिर (Matangeshwar Temple) का शिवलिंग ऐसा शिवलिंग है जो लगातार बड़ा होता जा रहा है.

कहा जाता है जीवित शिवलिंग 

इस शिवलिंग को एकमात्र ‘जीवित शिवलिंग’ (Jeevit Shivling) माना जाता है क्‍योंकि यह लगातार बड़ा हो रहा है. इसकी ऊंचाई 9 फीट से ज्‍यादा हो चुकी है. यह शिवलिंग हर साल करीब 1 इंच बड़ा हो जाता है. इसकी एक खास बात यह भी है कि यह शिवलिंग जितना धरती के ऊपर नजर आता है, यह उतना ही धरती के अंदर भी समाया हुआ है. स्‍थानीय मान्‍यता है कि जिस दिन धरती के अंदर का शिवलिंग पाताल लोक तक पहुंच जाएगा, उस दिन पृथ्वी का अंत हो जाएगा.

ये है पौराणिक कथा 

गुजरते समय के साथ शिवलिंग के बड़े होने के पीछे की वजह एक पौराणिक कथा में बताई गई है. इसके अनुसार शिव जी ने पांडवों में सबसे बड़े भाई युधिष्ठिर को एक चमत्कारी मणि दी थी, जिसे युधिष्ठिर ने मतंग ऋषि को दे दिया था. बाद में यह मणि राजा हर्षवर्मन को मिल गई और उन्‍होंने इसे जमीन में गाड़ दिया. कहते हैं कि उस मणि से ही यह जीवित शिवलिंग बना है. मतंग ऋषि के नाम पर ही इसे मतंगेश्वर शिवलिंग कहते हैं.

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