VIDEO : साहित्य और पत्रकारिता ऐसी दुनिया जिसमें लोग अपना घर फूंककर आते है : केशव शुक्ला

बिलासपुर/अनिश गंधर्व. शहर के वरिष्ठ पत्रकार केशव शुक्ला अपने शुरूवाती कार्यकाल से लेखनी में माहिर रहे। स्कूली समय में ही वे लिखना शुरू कर दिये थे। शहर में पत्रकारिता से रिटायर होने के बाद अभी तक 12 पुस्तकों का प्रकाशन करा चुके हैं। अभी तीन और पुस्तक प्रकाशित होने के लिये तैयार हैं। हाल ही में प्रकाशित उनकी पुस्तकों में चुटकी भर धूंप (कहानी संग्रह), बोनसाई बसन्त (लघु व्यंग्य संग्रह) और कॉलर पकड़ संस्कृति (व्यंग्य संग्रह) का प्रकाशन हुआ। श्री शुक्ला द्वारा प्रकाशित पुस्तक का विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरण दास महंत ने विमोचन किया है। रायपुर में केशव शुक्ला की धर्मपत्नी अंबी देवी शुक्ला, शिवशंकर दुबे, शिवमंगल शुक्ला की उपस्थिति में उनके पुस्तकों का विमोचन कर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरण दास महंत ने शुभकामनाएं दी है। केशव शुक्ला की सभी पुस्तकें बुक्स क्लिनिक बिलासपुर से मुद्रित एवं प्रकाशित हैं। इसके डॉयरेक्टर हितेश सिंह का भी प्रकाशन में पूर्ण सहयोग रहा। उक्त चार के अलावा शुक्ला जी के अन्य प्रकाशित पुस्तकों के शीर्षक इस प्रकार हैं-घोड़ादाना स्कूल, चलते-चलते, शनिचरी मत जइयो, काल-पात्र,वो 8 दिन,सवेरे-सवेरे,कहत कबीर, थाह-अथाह। प्रकाशनाधीन पुस्तकों में तुम्हारे लिए (काव्य संग्रह),बसेरा (उपन्यास), पत्रकारिता के गंगा- ठाकुर सम्मिलित हैं।

चंदन केसरी संवाददता से चर्चा करते हुए केशव शुक्ला ने दोहा देते हुए कहा कि कबीर खड़ा बाजार में लिया लुआठी हाथ जो घर फूंके आपने चले हमारे साथ। साहित्य और पत्रकारिता ऐसी दुनिया है जिसमें लोग अपना घर फूंककर आते हैं। क्योंकि इसके बाद उनके घर लौटने का रास्ता नहीं रह जाता। जब वे साहित्य की दुनिया में आये ( कक्षा 9वीं, 10वीं में) इसके बाद लगातार लिखते रहे। पत्रकारिता में आया तो लेखन बंद हो गया है पत्रकारिता में खबरें लिखने लगा। साहित्य का लेखन छूट गया। उन्हें लगा कि उनके भीतर का साहित्यकार मर गया है। उन्होंने बताया कि अभी हाल ही में उनकी चार नई पुस्तकों का विमोचन विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत के हाथों हुई है। अभी उनकी 12 पुस्तकं प्रकाशित हो चुकी है तीन और पुस्तकों का प्रकाशन अभी शेष है जो पूरी तरह से तैयार है।

तीन आने वाले पुस्तक तुम्हारे लिए (काव्य संग्रह), बसेरा (उपन्यास) और पत्रकारिता के गंगा ठाकुर आदि है। यह सारी पुस्तकें अमेजॉन, फ्लिपकार्ट, गूगल बुक, प्ले स्टोर आदि पर ऑनलाइन बिक रही है। इसके पाठक देश सहित विदेशों में भी पढ़ी जा रही है। जिसमें जर्मनी, आस्ट्रेलिया, इंग्लैण्ड, इटली, फ्रांस, न्यूजीलैंड में बड़ी संख्या में पाठक है।

 

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