आदरांजलि देने का काम सिर्फ शब्दों से नहीं किया जाता। सच्ची आदरांजलि उस रास्ते पर चलकर दी जाती है, जिसे दिखाकर शैली हमारे बीच से गए हैं। यह रास्ता कैसे भी हालात हों, उनमे संघर्ष तेज करने, उसे आगे बढ़ाने और उसके आधार पर वामपंथी विकल्प तैयार करने तथा उसके अनुरूप संगठन बनाने का है।
शैलेन्द्र शैली स्मृति व्याख्यान-2021 में देश के सिद्ध और दुनिया के प्रसिद्ध पत्रकार पी साईनाथ ने “लुप्त होती पत्रकारिता और छीजता मीडिया” विषय पर दर्शकों-श्रोताओं को अपनी अनोखी सूचनाओं और असाधारण विश्लेषण से अवगत कराया। ‘लोकजतन’ द्वारा अपने संस्थापक सम्पादक की स्मृति में पखवाड़े भर तक चलाई जाने वाले व्याख्यानमाला में छात्र आंदोलन में शैली
प्रख्यात आलोचक वीरेंद्र यादव ने कहा कि आज देश के जो हालात हैं, उसमें तमाम वर्ग समाज को बचाने के लिए मोर्चे पर हैं। एक साहित्यकार और जनबुद्धिजीवी बतौर संविधान और जनतंत्र को बचाने के लिए हमें हस्तक्षेपकारी भूमिका निभानी होगी, जैसी कि प्रेमचंद ने निभायी थी। आजादी के आंदोलन के दौर में एक वक्त
यदि आपका बच्चा इंग्लिश मीडियम स्कूल में अध्ययनरत है और आप हिन्दी माध्यम से कम पढ़े लिखे व्यक्ति हैं; इसका तात्पर्य ये कि आपके बच्चे की बेसिक स्कूलिंग/ लर्निंग में पिछड़ने की लगभग गारंटी है। इन समस्याओं के निराकरण पर आधारित इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें। आपसे अनुरोध है कि इसे अन्य पालकों
शैलेन्द्र शैली स्मृति व्याख्यान-2021 में बोलते हुए अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की महासचिव मरियम ढवले ने उदारीकरण के दौर में आमतौर से और मोदी राज में खासतौर से महिलाओं की स्थिति भयावह रूप से खराब होने की बात कही। उन्होंने कहा कि कोरोना का बहाना लेकर जो पहलकदमी सरकार कर रही है, वह महिलाओं
“सर्कस के शेर, हाथी, कुत्ते और अन्य जानवर सर्कस में अधिकतर एक्ट बेहतर कर सकते हैं। यदि अन्य स्वजातीय जानवरों के साथ इनकी एक मानक टेस्ट या परीक्षा ली जाये तो सर्कस के ये जानवर अन्य जानवरों से अच्छे या कहें तो अधिक अंक लाएंगे। ख्याल रखना इन नम्बर्स के आधार पर आप इन सर्कस
“भारत के स्वतन्त्रता आंदोलन, उसके हासिल संविधान और सारी मुश्किलों को झेल कर भारत को अपना वतन चुनने वाले जम्मू कश्मीर के अवाम को अपमानित करके 5 अगस्त 2019 को कश्मीर से राज्य का दर्जा छीनकर उसे तीन टुकड़ों में बांटने वाली केंद्र सरकार को अपने आचरण पर शर्म करनी चाहिए और देश की जनता
“कार्पोरेटी हिंदुत्व लोकतांत्रिक भारत की हत्या कर रहा है। संवैधानिक मूल्यों को ध्वस्त किया जा रहा है। असहमति रखने वाले व्यक्तियों और संगठनों को फासीवादी औजारों से खामोश किया जा रहा है, समाज के लोकतांत्रिक माहौल – डेमोक्रेटिक स्पेस – को ख़त्म किया जा रहा है।” यह बात संजय पराते ने 19वें शैलेन्द्र शैली स्मृति
“ज्यों-ज्यों दिन की बात की गयी, त्यों-त्यों तो रात हुयी” की तर्ज पर पिछले चार दिनों में दो बड़ी और चिंताजनक घटनाएं घटी हैं। पहली : असम और मिजोरम की “सीमा” पर दोनों प्रदेशों (देशों नहीं, प्रदेशों) के सशस्त्र बलों में मुठभेड़ हो गयी। मेघालय के मुख्यमंत्री के मुताबिक़ असम ने एक आईजी पुलिस की
आखिरकार पिछले पखवाड़े देश के प्रमुख हिंदी अखबार दैनिक भास्कर पर मोदी-शाह के इनकम टैक्स और सीबीडीटी के छापे पड़ ही गए। पिछले कुछ महीनों से इस तरह की आशंका जताई जा रही थी। आम तौर से सत्तासमर्थक और खासतौर से भाजपा हमदर्द माने जाने वाले इस अख़बार ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर के
पेगासस जासूसी काण्ड में बाकियों को जो बुरा लगा हो सो लगा हो, अपन को तो अपने इधर के घोड़ों का अपमान बिलकुल भी नहीं भाया। पेगासस यूनानी पौराणिक गाथाओं के बड़े जबर घोड़े हैं – उनकी रफ़्तार और ऊंचाई तय करने की क्षमता इतनी है कि सवार को सीधे स्वर्गलोक तक पहुंचाने का माद्दा
कोरोना महामारी से तबाही झेल रहे पेरू का स्पेनिश उपनिवेशवाद से मुक्ति के बाद से 200 साल का इतिहास है, वहां पिछले 20 वर्षों से में लोकतंत्र जड़ पकड़ रहा है. 1985 के बाद से सत्ता में आने वाले पेरू के सभी राष्ट्रपति भ्रष्टाचार में उलझे हुए हैं, पिछले साल नौ दिनों में तीन राष्ट्रपति देश में आए. पेरू के तीन राष्ट्रपति भ्रष्टाचार के
“पेगासस से जासूसी!! हमे नहीं पता — कब, किसने, क्यों और किसकी कराई।” हर बड़कू और छुटकू यही जवाब पेले पड़ा है। इस जासूसी के कालखण्ड में सूचना प्रौद्योगिकी के मंत्री रहे नकफुलेजी ने कहा कि “आतंकवाद से बचाव के लिए किये गए उपायों पर संसद में चर्चा करना देशहित में नहीं !!” मतलब? क्या
“मैं कोई मूक दर्शक नहीं हूं, मैं संघर्ष का हिस्सा हूं। इसके लिए मैं कोई भी कीमत चुकाने के लिए तैयार हूं, कुछ भी कीमत।” “चर्च अपने गिरेबान में झांके और देखें कि किस तरह वह काम करता है। हम अगर गरीबों के लिए काम कर रहें है, तो हमें गरीबों की तरह और गरीबों
घोटाले के अयोध्याकाण्ड की खबर पुरानी हो गयी है। मगर बटुकों की भागवत कथा अभी शुरू ही हुयी है, इसलिए दोहराने की आवश्यकता बनी हुयी है। जिसे बिना किसी शक के आजाद भारत का सबसे बड़ा राजनीतिक, न्यायिक घोटाला और इतिहास का पिंडदान कहा जा सकता है, वह अयोध्या में कथित रूप से रामजन्मभूमि बताई
भाजपा और उसकी सरकारों का सचमुच में कोई सानी नहीं है। आप एकदम अति पर जाकर इनके द्वारा किये जाने वाले खराब से खराब काम की कल्पना कीजिये, वे अगले ही पल उससे भी ज्यादा बुरा कुछ करते हुए नजर आएंगे। आप उनके आचरण की निम्नतर से निम्नतम सीमा तय कीजिये, वे पूरी ढिठाई के
दो साल पहले वर्ष 2019 के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार देश में बलात्कार के 84 मामले हर रोज दर्ज किये जाते हैं। इन आंकड़ों का रखरखाव करने वाला सरकारी विभाग नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो अपनी रिपोर्ट में इन्हे दुष्कर्म कहता है। पिछले दिनो में भी हर रोज इस तरह के दुष्कर्म (बलात्कार) की घटनाएं घटी
हमारे सपूत किसी वायरस के शिकार हो गए हैं।उनमें नेतागीरी के लक्षण धीरे-धीरे उभरते जा रहे हैं।यह पुत्र के बिगड़ने की शुरुआत है।अभी इसकी रोकथाम हो सकती है। होली का सीजन था और हमारे चिरंजीव अपने जैसे चार निकम्मों को साथ लेकर लोगों के घरों में दस्तक दे रहा था।पता करने पर ज्ञात हुआ कि
हमारे मित्र रामलाल यूं तो ठलुहे हैं पर कभी बेकार में पीते नहीं,वे तब पीते हैं जब पीने का कोई कारण होता है।मसलन आज बहुत गर्मी है इसलिए पी लिया।ठंड बहुत लग रही थी इसलिए पी लिया।याने दारू दारू न हुई एयर कंडीशन हो गई जो अवसर पर पीने के बाद ठंडा- गरम करती है।
इन दिनों गंगा, यमुना, नर्मदा, केन, बेतवा सभी नदियों के वैतरणी नदी बन जाने की खबरें आ रही हैं। यहां ओड़िसा में कटक और बालासोर की सीमा पर बहने वाली वैतरणी की नहीं, हिन्दू धर्मशास्त्रों की वैतरणी नदी की बात हो रही है। यह यम की नदी है। यह नर्कलोक के रास्ते में पड़ने वाली