छत्तीसगढ़ की संस्कृति को विश्वस्तरीय पहचान दिलाने में अग्रसर होंगे : कुलपति
बिलासपुर. आचार्य अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी कुलपति अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर ने प्रेसवार्ता में कहा कि विश्वविद्यालय शिक्षण विभाग में अभी कुल 5 विभाग है, जिनके लिए स्वीकृत शैक्षणिक 35 पद है। वर्तमान में इनमें 18 पद रिक्त है, इसी तरह हमारे विश्वविद्यालय के लिए गैर शैक्षणिक कार्मिकों हेतु 193 पद स्वीकृत है जो लगभग सभी रिक्त है। मेरी प्राथमिकता उच्च शिक्षा को गति देने के उद्देश्य से रिक्त पदो पर यथाशीघ्र भर्ती करना है।
इस विश्वविद्यालय के लिए राज्य शासन ने कोनी में लगभग 57 एकड़ की भूमि आबंटित की है जिस पर 120 करोड़ रूपय लागत की परियोजना प्रस्तावित है। वर्तमान में केवल एक अकादमिक भवन का निर्माण लगभग पूर्णता की ओर है। मेरा द्वितीय प्राथमिकता इस विश्वविद्यालय भवन को प्रस्तावित परियोजना के अनुरूप मूर्त रूप देते हुए, इस क्षेत्र के ज्ञान पिपासु छात्र-छात्राओं के लिए सर्वसुविधायुक्त एक आधुनिक उच्च शिक्षा केन्द्र के स्वप्न को साकार करना है।शिक्षा के विकास में शोध एवं नवाचार का विशेष महत्व है। स्तरीय शोध का अभाव लम्बे समय से देश के शिक्षाविदों के द्वारा उघृत किया जाता रहा है, अतः स्थानीय शिक्षाविदों के परामर्श से हमें तत्काल विश्वविद्यालय के द्वारा प्रस्तावित पाठ्यक्रम के संचालन में आ रही बाधाओं को दूर करते हुए इसे गति प्रदान करना है।
शिक्षा का क्षेत्र अनंत संभावनाओं से भरा हुआ है। हमें अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय को जीवंत करना है, जिसके लिए इसमें नये विभागों की स्थापना करना है, जिसमें प्रदेश के मांग के अनुरूप विकास एवं रोजगार उन्मुख नए-नए पाठ्यक्रम प्रारंभ करने की योजना की ओर भी अग्रसर होगें। इसी तारतम्य में विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय एवं अन्र्तराष्ट्रीय स्तर के विभिन्न संगोष्ठीयों एवं कार्यशालाओं का आयोजन समय-समय पर किया जायेगा। भारत के विभिन्न संस्थाओं के साथ हमारा समझौता ज्ञापन होगा जिससे की विश्वविद्यालय को उद्योग एवं समाज के साथ परस्पर जोड़ा जा सकें जिससे की अधिक से अधिक छात्र-छात्रायें लाभान्वित हो।
छत्तीसगढ़ राज्य जनजातिय बाहुल्य प्रदेश है जो अपने आप में अलौकिक सांस्कृतिक धरोहर से परिपूर्ण है। विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के माध्यम से शासन की योजनाओं को गाँव एवं ग्रामीणों तक मजबूती के साथ पहूँचाया जायेगा। यहाँ की संस्कृति को विश्वस्तरीय पहचान प्रदान करने में हम अग्रसर होगें।इस क्षेत्र से मेरा विगत वर्षो में गहरा सम्बन्ध रहा है, स्वाभाविक है कि यहाँ के शिक्षकों तथा शिक्षाविदों के साथ समय-समय पर विभिन्न विषयों पर मेरी चर्चा होती रही है।