Ram Janmbhoomi Trust में भ्रष्टाचार? Champat Rai बोले- झूठ और राजनीति से प्रेरित हैं आरोप


नई दिल्ली. अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर राजनीति अपने चरम पर है. विपक्षी दलों ने मंदिर का निर्माण करा रहे श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. अब इस मामले में ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने एक बयान जारी कर सफाई दी है. उन्होंने विपक्षी दलों के आरोपों को राजनीति से प्रेरित और झूठ करार दिया है.

चंपत राय ने दी सफाई

चंपत राय ने अपने बयान में कहा कि मंदिर परिसर को वास्तु अनुसार सुधारने, यात्रियों के लिए आने-जाने का रास्ता ठीक करने और मंदिर की सुरक्षा की दृष्टि से छोटे-बड़े मंदिरों और मकानों को पूर्ण सहमति से खरीदा गया था. जमीन के दाम 2 करोड़ से बढ़ कर 18 करोड़ होने के आरोपों पर चंपत राय ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में जमीन खरीदने वालों की संख्या बढ़ गयी थी.

इसके अलावा बयान में कहा गया कि उत्तर प्रदेश सरकार भी अयोध्या के विकास के लिए बड़ी मात्रा में जमीन खरीद रही थी, जिसकी वजह से अयोध्या में जमीन के दाम एकदम से बढ़ गए थे. खरीदी गई जमीन अयोध्या रेलवे स्टेशन के पास है और अब तक जितनी भी जमीन ट्रस्ट की ओर से खरीदी गई है वो खुले बाजार के रेट से भी कम कीमत पर खरीदी गई है. चंपत राय ने बताया कि जमीन की खरीदारी कोर्ट फीस और स्टाम्प पेपर के साथ ऑनलाइन की जा रही है.

विपक्षी दलों ने उठाए सवाल

वहीं, इससे पहले समाजवादी पार्टी सरकार में मंत्री रहे और अयोध्या के पूर्व विधायक पवन पांडे ने अयोध्या में चंपत राय पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की. सपा के अलावा कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने भी ट्रस्ट पर घोटाले के आरोप लगाए हैं.

कांग्रेस ने भी आरोप लगाया कि भगवान राम के नाम पर दान लेकर घोटाला किया जा रहा है. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर आरोप लगाया, ‘हे राम, ये कैसे दिन… आपके नाम पर चंदा लेकर घोटाले हो रहे हैं. बेशर्म लुटेरे अब आस्था बेच ‘रावण’ की तरह अहंकार में मदमस्त हैं’.

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी ट्रस्ट पर आरोप लगाते हुए हा कि चंपत राय ने संस्था के सदस्य अनिल मिश्रा की मदद से दो करोड़ की जमीन 18 करोड़ में खरीदी. उन्होंने आरोप लगाया कि यह सीधे-सीधे धन शोधन का मामला है और सरकार इसकी सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय से जांच कराये.

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