शिक्षकों से अपराधी जैसा बर्ताव, जिले में पद रिक्त फिर भी जबरिया जिला बदर किए जा रहे

युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया अन्यायपूर्ण, ठेके पर वसूली गिरोह चला रही है सरकार


रायपुर ।
 युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि रायपुर शहर और जिले में व्याख्याता के 250 से ज्यादा पद रिक्त हैं, लेकिन जिले के व्याख्याताओं को जबरिया जिले से बाहर भेजा जा रहा है। जिले और शहर के भीतर के स्कूलों की रिक्तियां जानबूझकर षडयंत्र पूर्वक छुपाई गई है, काउंसिलिंग के दौरान शिक्षकों को आसपास के स्कूलों का विकल्प नहीं दिया जा रहा है। ये शिक्षक हैं, प्रदेश और देश का भविष्य गढ़ते हैं, अपराधी नहीं, जो युक्तियुक्तकरण के नाम पर अन्यायपूर्ण जिलाबदर कर रही है सरकार।


प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वर्ष प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग नहीं बल्कि संगठित लूट का गिरोह चल रहा है। नियम केवल दिखावे के लिए बनाए गए हैं जिनका पालन विभाग के अधिकारी खुद ही नहीं कर रहे हैं। स्कूल और शिक्षकों के अतिशेष होने का आधार छुपाया जा रहा है, अतिशेष की सूची सार्वजनिक नहीं की गई है। वरिष्ठता और कनिष्ठता में भी भेदभाव किया जा रहा है। अपने चहेतों को बचाने के लिए सारे नियम तोड़े जा रहे हैं। चक्रीय क्रम और संकाय वार शिक्षकों की पदस्थापना के नियम अपनी मर्जी से अपने चहेतों के लाभ के अनुरूप अलग अलग परिभाषित करके सुविधानुसार लागू कर रहे हैं। अतिशेष शिक्षक और स्कूलों के जिलेवार सूची शिक्षकों के विषय और वरिष्ठता क्रम के साथ जारी करें सरकार।


प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है की काउंसलिंग और कमेटियां केवल खानापूर्ति के लिए बनी हैं, न कही शिक्षकों की कोई सुनवाई है, न समाधान। युक्ति उपकरण के नाम पर शिक्षकों पर किए जा रहे अत्याचार के खिलाफ सैकड़ो मामले उच्च न्यायालय में दाखिल किए गए हैं, जिस पर लगातार माने उच्च न्यायालय विभाग से या अपेक्षा कर रही है कि शिक्षकों के आपत्ति पर सुनवाई कर निर्णय ले, लेकिन इस सरकार का रवैया राहत के बजाय टाल मटोल करने और शिक्षकों का भयादोहन करने में है। शिक्षाविभाग में अब तक की सबसे बड़ी धांधली और भेदभाव पूर्ण कार्यवाही वर्तमान में युक्तियुक्तकरण के नाम पर अतिशेष शिक्षकों की सूची में है, व्यवस्था के नाम पर जबरिया ट्रांसफर किया जा रहा है। नगर निगम के स्कूल जब शिक्षा विभाग में मर्ज हो चुके है, उनका वेतन शिक्षा विभाग से निकल रहा है। फिर युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया से निगम के स्कूल और शिक्षक बाहर क्यों? काउंसलिंग की प्रक्रिया जिले स्तर से शुरू होती है, जब जिले के स्कूलों में पद रिक्त है फिर उसको छुपाना शिक्षकों के साथ धोखा है, उन्हें काउंसिलिंग के दौरान विकल्प में शामिल नहीं कर दूसरे जिले के दुरुस्त स्कूलों में दबाव पूर्वक भेजा जाना अत्याचार है, अन्याय है।

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