May 5, 2024

आज के बच्चे कल के भविष्य इसलिए इन्हें सुपोषित बनाना आवश्यक : मंत्री डॉ डहरिया


रायपुर. नगरीय प्रशासन एवं विकास तथा श्रम मंत्री डॉ शिवकुमार डहरिया आरंग विकासखंड के ग्राम कुकरा में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आयोजित वजन त्यौहार कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने यहाँ बच्चों का वजन कराया और किशोरी बालिकाओं को सुपोषण किट सहित अन्य सामग्री बांटी। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मंत्री डॉ डहरिया ने कहा कि जिस तरह मजबूत भवन बनाने के लिए मजबूत नीव तैयार की जाती है, उसी तरह देश का बेहतर भविष्य तैयार करने के लिए सबसे पहले स्वस्थ और सुपोषित बच्चे तैयार किया जाना जरूरी है। आज के बच्चे ही कल के भविष्य है, इसलिए इन्हें स्वस्थ और सुपोषित बनाने में किसी तरह की कमी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने सभी ग्रामीणों को वजन त्यौहार के विषय में बताते हुए अपने घर और आसपास के बच्चों का वजन कराने की अपील की।

मंत्री डॉ डहरिया ने कहा कि बच्चों के पोषण स्तर के आंकलन के लिए वजन करना आवश्यक होता है। वजन कराने से बच्चों के विकास की सही जानकारी मिल पाती है। उन्होंने अभिभावकों से कहा है कि बच्चों के सुपोषण पर विशेष ध्यान दें और उन्हें पौष्टिक आहार जरूर दें। पौष्टिक आहार से बच्चों में शारिरिक और मानसिक विकास होता है। उन्होंने कहा कि उम्र के साथ बच्चों के विकास का पता लगाने उसकी ऊंचाई और वजन लिया जाता है। इससे सुपोषण और कुपोषण की जानकारी मिल पाती है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में एनीमिया से पीड़ित महिलाओं और किशोरी बालिकाओं के लिए भी योजनाएं चलाई जा रही है। आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से बच्चों और महिलाओं को सुपोषित बनाने के लिए लगातार पौष्टिक आहार दिया जा रहा है। गर्भवती महिलाओं का भी विशेष ख्याल रखा जा रहा है। विगत ढाई साल में प्रदेश के अधिकांश जिलों में कुपोषण की दर में कमी आई है। दूरस्थ आदिवासी क्षेत्रों में भी सुपोषण का स्तर बढ़ा है। उन्होंने सभी अभिभावकों से आंगनबाड़ी केन्द्रों में जाकर वजन त्यौहार में शामिल होने का आग्रह भी किया। मंत्री डॉ डहरिया ने महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा चिन्हित किशोरी बालिकाओं और बच्चों को सुपोषण किट तथा स्वच्छता सामग्री भी वितरित किया। इस अवसर पर जनपद अध्यक्ष श्री खिलेश्वर देवांगन, उपाध्यक्ष श्रीमती हेमलता साहू, श्री कोमल साहू सहित जिला और जनपद पंचायत के सदस्य, विभाग के अधिकारी कर्मचारी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका सहित बच्चों के साथ उनकी माताएं उपस्थित थीं।

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