मोदी राज में मीडिया, संवैधानिक संस्थायें, शिक्षण संस्थायें सभी में आपातकाल – भूपेश

रायपुर । राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि भाजपा किस मुंह से आपातकाल के विरोध में आज काला दिवस मना रही है, बीते 11 वर्ष से देश में अघोषित आपातकाल चल रहा, लोकतंत्र का गला घोटा जा रहा हैं। संविधान खतरे में है, संविधान बदलने की साजिश रचा जा रहा है, लोगों की मूलभूत की सुविधा खत्म हो गई है, हर वर्ग में हताशा दिख रहा है, मोदी सरकार की कुनीतियों के खिलाफ बोलने से लोग डर रहे हैं, मीडिया पर क्या दिखेगा-छपेगा यह पीएमओ दफ्तर तय कर रहा है।
11 साल अघोषित आपातकाल – पिछले ग्यारह सालों और तीस दिनों से भारतीय लोकतंत्र पांच दिशाओं से हो रहे एक संगठित और खतरनाक हमले की चपेट में है। मोदी राज में मीडिया, संवैधानिक संस्थायें, शिक्षण संस्थायें सभी में आपातकाल लगा है।
राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि संविधान बदलने के लिए जनादेश की मांग भाजपा ने लोकसभा चुनाव में किया। प्रधानमंत्री ने 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की विरासत को धोखा देने के इरादे से ‘‘चार सौ पार’’ का जनादेश भारत की जनता से मांगा था ताकि संविधान बदल सकें। लेकिन भारत की जनता ने उन्हें यह जनादेश देने से मना कर दिया। जनता ने मौजूदा संविधान में निहित आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय को संरक्षित-सुरक्षित करने एवं आगे बढ़ाने के लिए वोट दिया।
राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि जबसे मोदी सरकार बनी है, मोदी सरकार ने लगातार संसदीय परंपराओं और मर्यादाओं को तार-तार किया है। जनता से जुड़े मुद्दे उठाने भर पर सांसदों को मनमाने तरीके से निलंबित कर दिया गया। सरकार ने राष्ट्रीय महत्व के गंभीर मुद्दों पर चर्चा से इंकार किया है। महत्वपूर्ण विधेयकों को बगैर बहस के जबरन पारित कराया गया। संसदीय समितियों की भूमिका को दरकिनार कर दिया गया। है।
राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की भूमिका अप्रासंगिक बना दी गयी है। चुनाव आयोग की निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लग चुके हैं। कुछ राज्यों में विधानसभा चुनावों की पारदर्शिता को लेकर जो गंभीर सवाल उठे, उन्हें जानबूझकर नजरअंदाज किया गया। चुनाव की तारीखों और चरणों को इस तरह से तय किया गया कि उसका सीधा लाभ सत्तारूढ़ पार्टी को मिले। प्रधानमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं द्वारा दिए गए विभाजनकारी और भड़काऊ बयानों पर भी चुनाव आयोग पूरी तरह चुप्पी साधे रहा है।
राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि भाजपा ने विपक्षी नेतृत्व वाली राज्य सरकारों को गिराने के लिए धनबल का इस्तेमाल किया और ये सब विधायकों की खरीद-फरोख्त के जरिए किया गया। विपक्ष शासित राज्यों में विधेयकों को रोकने और विश्वविद्यालयों की नियुक्तियों में अनावश्यक हस्तक्षेप करने के लिए राज्यपाल कार्यालय का दुरुपयोग किया गया। केंद्र सरकार द्वारा संवैधानिक राजकोषीय व्यवस्थाओं को दरकिनार कर उपकर (सेस) का जरूरत से ज्यादा उपयोग करते हुए राज्यों को उनके वैध राजस्व हिस्से से वंचित कर दिया गया।
राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि सरकार द्वारा न्यायपालिका को अंदर ही अंदर धमकाने की एक निश्चित नीति रही है, इसके लिए पदोन्नति में देर, दंडात्मक स्थानांतरण, समझौता परस्त न्यायाधीशों को सेवानिवृत्ति के बाद लाभप्रद पदों की पेशकश और कॉलेजियम की सिफारिशों के मनचाहे कार्यान्वयन जैसे हथकंडे अपनाये गये हैं।
राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि पिछले वर्षों में टैक्स और नियामक एजेंसियों के जरिए डर का ऐसा माहौल बनाया गया है कि पहले बेबाक रहने वाले कई उद्योगपति अब चुप हैं। जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करके एक पसंसदीदा कॉर्पोरेट समूह को लाभ पहुंचाया गया, हवाई अड्डे, बंदरगाह, सीमेंट संयंत्र और यहां तक की मीडिया हाउस तक उस समूह को सौंप दिए गए। प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों पर मनमाने टैक्स नोटिस भेजे गए। सिविल सोसाइटी की लगभग 20,000 स्वतंत्र आवाजों को चुप करा दिया गया है।
राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि आज मीडिया पर अभूतपूर्व दबाव है। सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों और समाचार संस्थानों को धमकी, गिरफ्तार और छापे का सामना करना पड़ा है। मीडिया संस्थानों के मालिकों पर दबाव बनाया गया है कि वे सरकार परस्त पत्रकारों को ही नौकरी दें, सरकारी विज्ञापन और लाइसेंस अब संपादकीय सामग्री को प्रभावित करने के औजार बन गए हैं। टैक्सपेयर्स के पैसों से चलने वाले सरकारी प्रसारक विपक्ष को ट्रोल करने और समाज में विभाजनकारी नैरेटिव को बढ़ावा देने के साधन बन चुके हैं। जनता को ताकत देने वाला सूचना का अधिकार कानून (RTI) भी लगभग निष्प्रभावी कर दिया गया है।
राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग जैसी संस्थाओं का इस्तेमाल विभिन्न विपक्षी दलों के नेताओं को परेशान करने और उन्हें बदनाम करने के लिए किया जा रहा है। इन एजेंसियों का उपयोग करके भाजपा के लिए चुनावी बॉन्ड में 8,000 करोड़ रुपये की अवैध उगाही की गयी। जो लोग पार्टी बदलकर भाजपा में शामिल हो जाते हैं, वे अपने आप ईडी-मुक्त और सीबीआई-मुक्त हो जाते है।
राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि सरकार की आलोचना करने वालों को लगातार बदनाम किया गया है। सत्ता में बैठे लोगों द्वारा जानबूझकर नफरत और कट्टरता फैलाई जाती है। आंदोलन कर रहे किसानों को ‘‘खालिस्तानी’’ कहा गया, जातिगत जनगणना की मांग करने वालों को ‘‘अर्बन नक्सल’’ करार दिया गया। महात्मा गांधी के हत्यारों का महिमामंडन किया गया। अल्पसंख्यक समुदाय के लोग अपने जीवन और संपत्ति को लेकर भय के माहौल में जी रहे। दलितों और अन्य वंचित समूहों को लगातार निशाना बनाया गया है, और नफरत फैलाने वाले मंत्रियों को इनाम के तौर पर पदोन्नति मिली है।
मोदी राज में आपातकाल में मीडिया संस्थानों को डराने छापे मारे गये। बीबीसी, दैनिक भास्कर, न्यूज क्लिक, एनडीटीवी, द क्विंट, भारत समाचार, न्यूज लॉन्ड्री, द वायर जैसी मीडिया संस्थानों पर इनकम टैक्स, ईडी के छापे मारे गये।