जिले में सट्टा बाजार गर्म : पुलिसिया अभियान का अता-पता नहीं

बिलासपुर/अनिश गंधर्व. पुलिस का खुफिया तंत्र कमजोर होने के कारण शहर व आसपास के क्षेत्रों में खुलेआम सट्टा बाजार संचालित किया जा रहा है। पूर्व में पुलिस ने सटोरियों के खिलाफ अभियान चलाया था। इसके बाद फिर से सटोरिये सक्रिय हो गये हैं। मुख्य खाईवाल द्वारा चौक चौराहों में आदमी तैनात किया गया है, जो नंबर लिखते हैं और पेमेंट करते हैं। लाखों रूपये के इस अवैध कारोबार में पुलिस पर्दा क्यों डाल रही है समझ से परे है। इस अवैध कारोबार के चलते कई लोग बर्बाद हो रहे हैं, कर्ज में डूबकर आत्महत्या तक कर रहे हैं।

शहर में सट्टे का कारोबार लगभग 30 वर्षों से संचालित हो रहा है। पहले के दौर में कोई भी सट्टा पट्टी खिला लेता था, लेकिन आज के दौर में सब कुछ सेटिंग कर संचालित किया जा रहा है। सट्टा किंग के खाईवाल थाना क्षेत्रों में बट कर इस कारोबार को अंजाम दे रहे हैं। नंबर आने के पहले सारा पैसा मुख्य आफिस में पहुंचा दिया जाता है। इसके बाद नंबर ओपन होने पर हिसाब किया जाता है। शहर में 100 से ज्यादा लोग सट्टा पट्टी लिखने का काम कर रहे हैं। बुधवारी बाजार को मुख्यालय बनाकर सट्टा किंग आराम से अपना कारोबार संचालित कर रहा है। मजे की बात यह है कि पुलिस के सिपाही ये सब अपनी आंखों से देखते हैं किंतु कार्यवाही करने में विवश हैं। आखिर क्या कारण है कि पुलिस के सामने यह सब हो रहा है, और पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है। इस संबंध में शहर के प्रबुद्धजनों का कहना है कि सारा कुछ पुलिस से सेटिंग के बिना असंभव है।

किंग मेकर तक नहीं पहुंच पाती पुलिस
सट्टा किंग द्वारा चौक चौराहों में नंबर लिखने व पैसा एकत्र करने के लिये आदमी तैनात किया गया है। इधर पुलिस कार्यवाही कर सट्टा पट्टी के साथ नंबर लिखने वाले को दबोच लेती है। वह किसके कहने पर नंबर लिख रहा है इस पर पुलिस फोकस नहीं करती है और यही कारण है कि शहर में वर्षों से इस बड़े कारोबार को अंजाम तक पहुंचाने वाला सट्टा किंग कानून के दायरे में नहीं आता। इतना बड़ा कारोबार कोई छुटपुटिया आदमी संचालित नहीं कर सकता यह बात सभी जानते हैं।

महाराष्ट्र से संचालित कल्याण गेम पर लगाते हैं दांव
शहर में इन दिनों कल्याण और राजधानी नाइट के नाम पर लोग सट्टा खेल रहे हैं। सट्टा किंग अपने फायदे के लिये कई अन्य नंबरों पर भी दांव लगवाता है किंतु कल्याण गेम में सबसे ज्यादा वसूली होती है। इस गेम को पढ़े-लिखों के अलावा सभी तबके लोग खेलते हैं और पैसे भी पाते हैं। नाम नहीं छापने की शर्त में एक सटोरिये ने बताया कि रेलवे परिक्षेत्र में उनका आफिस है। मुख्य खाईवाल अपने करीबी को ही बुधवारी बाजार का एरिया देता है। यहां सबसे ज्यादा कलेक्शन होता है।

बुधवारी बाजार चर्चा में
रेलवे क्षेत्र होने के कारण बुधवारी बाजार में हमेशा चहल-पहल का माहौल रहता है। इन सबके बीच जुआ सट्टा और नशे का कारोबार यहां फल फूल रहा है। तोरवा, तारबाहर, सिरगिट्टी, लालखदान, व्यापार में सट्टा किंग अपने लोगों को यहां तैनात रखता है। ये सटोरिये सारा कलेक्शन करके दस मिनट के अंतराल में बुधवारी बाजार स्थित आफिस में जमा करते हैं। इसलिये बुधवारी बाजार को एक बड़ा हब बनाकर सट्टे के कारोबार को संचालित किया जा रहा है। बुधवारी बाजार क्षेत्र में धंधा करने के लिये सटोरियों में होड मची है। सट्टा किंग अपने करीबी खाईवाल को यहां का दायित्व सौंपता है।

सटोरियों के लिये सरकंडा क्षेत्र बना स्वर्ग
अरपापार के मोपका चौक, राजकिशोर नगर चौक, नूतन चौक, लिंगियाडीह सरकंडा, चिंगराजपारा और चांटीडीह के ठिकानों में दिन भर सटोरियों का मजमा लगता रहता है। पान ठेला, होटल और आटोरिक्शा की आड़ में सुबह से शाम तक कलेक्शन किया जा रहा है। पुलिस का हस्तक्षेप नहीं होने के कारण बिना भय के सटोरिये सट्टा-पट्टी लिख रहे हैं। सटोरियों के लिये सरकंडा क्षेत्र स्वर्ग बना हुआ है।

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