हिंदी विश्वविद्यालय में हुआ श्री धर्मपाल पुस्तकालय का उद्घाटन

वर्धा. “पुस्तकें ही किसी शिक्षण संस्थान की अपनी पहचान होती हैं। जिस शिक्षण संस्थान में पुस्तकालय न हो वह व्यक्ति निर्माण नहीं कर सकता।” ये विचार महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के पंडित मदन मोहन मालवीय भवन  (दूरशिक्षा निदेशालय) के “श्री धर्मपाल पुस्तकालय” के उद्घाटन के अवसर पर हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला के कुलाधिपति डॉ. हरमहेंद्र सिंह बेदी ने कहे। इस अवसर पर उन्होंने यह भी कहा कि किसी एक विश्वविद्यालय में अलग अलग विभागों के अलग अलग पुस्तकालय उसकी समृद्धि को लक्षित करते हैं। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य रजनीश कुमार शुक्ल ने श्री धर्मपाल जी के जीवन और उनके विचारों के राष्ट्रीय महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि “निदेशालय का यह पुस्तकालय उनकी विचारणा को समर्पित है। उनके विचारों ने ही मनुष्य समाज को  इस अवसर पर शुचिता की और अग्रसर किया। निश्चित ही यह पुस्तकालय आज की युवा पीढ़ी के व्यक्तित्व की निर्मिति में अपनी भूमिका निभायेगा।”

इस अवसर पर निदेशालय के निदेशक प्रो. हरीश अरोड़ा ने कहा कि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य रजनीश कुमार शुक्ल द्वारा ‘श्रेष्ठ मनुष्य के निर्माण’ के विचार-बोध को यथार्थ रूप देने में यह पुस्तकालय अपनी महती भूमिका अवश्य निभाएगा। पुस्काका लय की प्रभारी और निदेशालय में हिंदी की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रियंका मिश्र ने आमंत्रित सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि निश्चित है यह पुस्तकालय आने वाले समय में अपनी अलग पहचान बनाएगा। उद्घाटन के इस अवसर पर प्रतिकुलपति द्वय प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल और प्रो. चंद्रकात रागीट, वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरूण’, बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय साँची की कुलपति प्रो. नीरजा एस. गुप्ता, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. सुरेंद्र दुबे, साहित्यकार डॉ. गुरनाम कौर, विभिन्न विद्यापीठों के अधिष्ठाता, विभागों के अध्यक्ष, केंद्रों के निदेशक तथा दूर शिक्षा निदेशालय के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. एम.एम. मंगोडी़, डॉ पीयूष, डॉ. शंभु जोशी, डॉ. अमरेन्द्र कुमार  शर्मा, डॉ. आनंद मंडित मलयज, डॉ.अनवर अहमद सिद्धीकी, डॉ. परिमल प्रियदर्शी सहित दूर शिक्षा निदेशालय के अधिकारी तथा कर्मचारी प्रमुखता से उपस्थित थे।

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